बाहरी राज्य के खानाबदोश उजाड़ रहे छत्तीसगढ़ की हरियाली
जंगलों में राजस्थानी भेड़ बकरियां का आगमन, विभागीय संरक्षण के चलते इनके हौसले बुलंद
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। बालोद वन मंडल के अंतर्गत बालोद रेंज और दल्ली राजहरा रेंज में हर्राठेमा सर्किल तथा बालोद सर्किल के जंगलों में ऊंट, भेड़, बकरी चरवाहे हरे-भरे पौधों को लगातार काट रहे हैं। बालोद वन परिक्षेत्र और दल्ली राजहरा रेंज में जंगलों और मैदानी इलाकों में राजस्थान, गुजरात के ऊंट-भेड़ों का डेरा जमाए हुए है। भेड़, बकरी, ऊंट एवं पशुओं को खिलाने के नाम पर हरे-पौधे वनस्पति को काट रहे हैं। एक ओर जहां करोड़ों रूपये लगाकर पौधारोपण करवाया जा रहा है वही दूसरी और गुजराती, राजस्थानी डेरा वाले भेड़-बकरियों का झुंड स्थानीय जंगल के जैव विविधता व पर्यावरण संतुलन का विनाश कर रहे है।
जिला मुख्यालय बालोद के सामाजिक कार्यकर्ता तरुण नाथ योगी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पिछले दो तीन वर्षों से गुजरात व अन्य राज्यो से आए हुए भेड़ बकरी चराने वाले जंगल के भीतर एक टोली में 200 से 300 भेड़ व बकरी को लेकर बालोद जिले के जंगल में कब्जा किये हुए है व ऐसे ही 25 टोली बालोद सर्किल व हर्राठेमा सर्किल में कब्जा किये हुए है।
हर्राठेमा सर्किल क्रमांक 70, 71, 73 व बालोद सर्किल क्रमांक 68 पड़ता है। इसी हर्राठेमा व बालोद सर्किल में वन्य प्राणी मयुर, हिरण, नीलगाय, खरगोश व जंगल में विचरण करने वाले वन्य प्राणी विचरण करते है लेकिन भेड़ बकरी वालों के आने के कारण जंगल के प्राण गांव व इधर उधर भाग रहे है साथ ही उन्हें जान का खतरा है व यही भेड़ बकरी वालों की टोली जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों का शिकार कर रहे है।
इस घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तरुण नाथ योगी ने शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए आवेदन सौप कर आवेदन में इन टोलियों को वन सीमा क्षेत्र से अन्यत्र बाहर करने की बात कही है। अगर इन्हे जंगल से नही निकाला जाता तो संगठन के द्वारा जंगल बचाओ नारे के साथ उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जवाबदारी वन विभाग की होगी। इस बात को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग को पहले से पहल करनी चाहिए।
एक ओर लगातार लकड़ी तस्कर भी वनों की कटाई कर रहे हैं। लेकिन वन विभाग कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। ग्रामीणों में वन विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश देखने मिल रहा है। बता दें कि इलाके में करीब कई सालों से राजस्थान, गुजरात की ऊंट भेड़-बकरी यहां पहुंच रही है ये बरसात के दिनों में जंगल में रहते हैं। वहीं गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों को पहुंच जाते हैं।
स्थानीय वनवासियों के अनुसार जिन स्थानों पर इनके भेड़, बकरी बैठते हैं वहां वनस्पति को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि राजस्थान व गुजरात के चरवाहे वर्षा व शीत ऋतु में जंगलों में रहते हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी की दिक्कत होने के कारण यह लोग मैदानी इलाकों में अपना डेरा जमाने लगते हैं। इन जंगलों में भेड़, बकरी व ऊंट का डेरा बालोद व दल्ली राजहरा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत जंगलों में भेड़-बकरी बड़ी संख्या में है। साथ में इनके साथ ऊंट भी है। जो पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जहां इनका डेरा रहता है उस स्थान पर हरियाली पूरी तरह खत्म हो जाती है। इस प्रकार जंगल को खत्म किया जा रहा है।