अवैध सट्टा कारोबार : नंबर लगा तो बल्ले बल्ले, नही तो फिर निठल्ले
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के डौंडी तहसील में इन दिनों एक का 80 करने के फेर में सटोरिए सक्रिय हैं और सट्टे का खेल लगातार चल रहा है। बता दें कि यह धंधा ना सिर्फ शहर में बल्कि डौंडी नगर व दल्ली राजहरा शहर से सटे अनेक ग्राम खलारी, पेंड्री, घोटिया, कुसुमकसा, गिधाली और महामाया में अवैध सट्टा का कारोबार धड़ल्ले से बेख़ौफ़ अंजाम दिया जा रहा है। ज्यादतर मामले में पुलिस यहां पहुंच ही नही पा रही है उल्टे अपने उच्चाधिकारियों को “सब कुछ ठीक है” का रटा रटाया स्लोगन चिपका देती है। जबकि यहां तक वर्दीधारियों की पहुंच ही नहीं बन पा रही है।
यही कारण है कि स्थानीय लोगों की मदद से सट्टे का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। पुलिस द्वारा बार बार यही बताया जाता है कि आजकल मोबाईल अथवा मोबाईल ऐप से सट्टे का कारोबार चल रहा है। लेकिन मुद्दे की बात यह है कि ऑनलाइन सट्टे के कारोबार में होने बाद भी सट्टे में रकम की अदला बदली भी क्या सभी ऑनलाइन ही कर रहे है। सीधी सी बात है, सट्टे का कारोबार नगद में ही चल रहा है। जानकर बताते है कि सट्टे के कारोबार का मुख्य खिलाड़ी दल्ली राजहरा से ही है जिसे राजनीतिक सत्ता का खुला संरक्षण भी प्राप्त है। वही कोई संवाददाता इस विषय पर कुछ लिख व छाप दे तो उसे जान से मारने की धमकी देकर समाचार का खंडन तक करवा दिया जाता है। ये जानकारी पुलिस के उच्चाधिकारियों को पुलिसिया गुप्त तंत्र – एलआईबी रिपोर्ट से मिल भी गई है। लेकिन फिर भी आंख मूंदे सट्टे के अवैध कारोबार को खुला संरक्षण दिया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सत्ताधारी दल में अपनी क्षद्म पहचान बनाने वाले व्यक्ति द्वारा डौंडी ब्लॉक में सट्टे का अवैध कारोबार और अवैध रेत उत्खनन का भी कार्य किया जा रहा है। वे अपनी ऊंची पहुंच बताकर सरकारी तंत्र के आंख में धूल झोंक अपना काम निकाल लेता है।
आपको बता दें कि सट्टा जैसे संगीन अपराध को स्थानीय लोगों द्वारा भरे समाज में विस्तारपूर्वक चलाया जा रहा है। इससे खासकर युवा वर्ग को बहुत ज्यादा गहरा असर पड़ता है जिसके बाद वे इसी अंधेरी गर्त में समा जाते है। वही युवा सट्टे व जुआं जैसे संगीन अपराध में संलिप्त होते जा रहे हैं। लेकिन इस अपराध को रोकने में जिले की पुलिस खासकर डौंडी, महामाया व दल्ली राजहरा की पुलिस पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। राजहरा शहर के हर गली मोहल्ले और बाजार में खुलेआम सट्टे का कारोबार चल निकला है। कभी-कभार पुलिस दो-चार छोटे एजेंटों को पकड़कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर भी लेती है। जबकि हकीकत यह है कि सटोरियों के कारनामों को जानने के बाद भी पुलिस के स्थानीय और आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
वही कुछ गुप्त सूत्रों द्वारा बताया गया है और अवैध शराब और अवैध सट्टा कारोबार करने वालों द्वारा सेंटिंग के तहत हर माह एक निश्चित धन राशि संरक्षणकर्ता को दी जाती है जिसके चलते अवैध कारोबारियों को कोई डर अथवा भय नहीं है। जबकि महादेव सट्टा एप में कई करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ वासियों का बर्बाद हुआ है। इस एक के अस्सी के खेल में कई लोगो का घर, जेवर, जमीन, जायदाद तक बिक गए है, क्योकि सट्टे का कारोबार बहुत ही कम समय में अमीर आदमी बनने का सुनहरा सपना दिखाता है जिससे लोग इस बहकावे में आकर अपनी एक एक पाई इसमें गंवा देते है। सट्टे के चंगुल में पढ़े लिखे युवकों के साथ महिलाए, नाबालिग बच्चे और बुजुर्ग व्यक्ति भी इस खेल में अपनी किस्मत आजमाते हुए देखे जा रहे है। इनके अनुसार नंबर लग गया तो बल्ले बल्ले नही तो फिर हमेशा की तरह निठल्ले।