बालोद

आदिवासी छात्रावास के सात बच्चों की आधी रात ढाबे में दस्तक

अधीक्षक व चपरासी की घोर लापरवाही हो रही उजागर

 

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। सुदूर अंचलों के होनहार बच्चों की समुचित देखभाल और अनुशासन के साथ अध्यापन कार्य उद्देश्य को लेकर छात्रावासों में छात्रावास अधीक्षक की नियुक्ति शासन द्वारा की गई है। किंतु छात्रावास अधीक्षक अपने मूल कर्तव्य के प्रति कितने गंभीर रहते है। इसकी बानगी बालोद जिले के आदिवासी ब्लाक मुख्यालय डौंडी के शासकीय पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास और प्री मैट्रिक सूरज अनुसुचित जनजाति बालक छात्रावास में देखा जा सकता है। जहां के सात बच्चें छात्रावास से निकलकर आधी रात ही पास के ढाबे में दस्तक दे रहे हैं और छात्रावास के जिम्मेदार अधीक्षक व चपरासी को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। जिससे छात्रावास अधीक्षक व प्यून की घोर लापरवाही सामने आ रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते 11 जुलाई की रात लगभग 12 बजे नगर के बस स्टैंड के आगे धोबी नाला समीप स्थित ढाबे में दो बच्चे गुटका पाउच लेने पहुंचे थे। जहां पर उपस्थित आदिवासी समाज के महासचिव युवा नेता सुन्हेर कोसमा को इतनी देर रात बच्चों के ढाबे में आने पर शंका महसूस हुई। जब उन्होंने ढाबे से अपने घर आ रहे थे तब वही दो बच्चे के साथ कुल सात बच्चें रास्ते में बैठे हुए थे। तो उन्होंने देर रात रास्ते में बैठने और डौंडी के निवासी नही लगने के संबंध में उपरोक्त बच्चों के साथ कड़ाई से पूछताछ की जिसके बाद तीन बच्चों ने सूरज छात्रावास और चार बच्चों ने नए शासकीय पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में रहने की जानकारी दी। जिस पर सुन्हेर कोसमा को यह समझ में आ गई कि ये बच्चे शराब के नशे में है।

उन्होंने तुरंत छात्रावास के चपरासी को फोन लगाने और वस्तुस्थिति से अवगत कराए जाने पर चपरासी ने कहा कि बच्चे परदा (दीवार) फांदकर चले जायेंगे तो कितना देखरेख करें। कारण स्पष्ट है कि चपरासी भी मान रहा कि बच्चे दीवार फांदकर आधी रात बाहर जा रहे है। सुन्हेर कोसमा ने कहा कि उन्होंने दूसरे दिन सुबह पुनः बच्चों की जानकारी उनके द्वारा लिए जाने पर उक्त सभी बच्चों को सूरज छात्रावास के होने संबंधी जानकारी दी गई। सुनहेर कोसमा ने यह भी बताया कि आदिवासी बालक छात्रावास में अधीक्षकों की लापरवाही संबंध में उन्होंने समाज के साथ मिलकर बालोद जिला मुख्यालय में सहायक आयुक्त से मिलकर व्यवस्था में कड़ा सुधार लाने निवेदन किया गया। परंतु इस दिशा में सुधार तो दूर व्यवस्था दिन-ब-दिन बिगड़ती ही जा रही है और छात्रावास के कुछ बच्चे नशा करने छात्रावास से आधी रात तक बाहर निकल रहे है और पकड़े जाने पर अपने छात्रवास का नाम ना बताकर दूसरे छात्रावास में रहने की गोलमाल जवाब बच्चों द्वारा दे दिया जाता है। उन्हें यह भी पता चला है कि हॉस्टल वार्डन और अधीक्षक 24 घंटे अपनी ड्यूटी नही निभाते, जिसके चलते छात्रावास के बच्चे मनमर्जी के हो गए है। यही नहीं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अनेक छात्रावास अधीक्षको को नियम विरुद्ध दो छात्रावास स्थलों पर कार्यभार दे दिया गया है जिससे छात्रावास के बच्चे बेफिक्र हो गए है। इन्ही कारणों से आदिवासी छात्रावास के कुछ बच्चों के बिगड़ने में अधिक हाथ छात्रावास के जिम्मेदारो का लगता है।

इधर छात्रावास के सात बच्चों को आधी रात नशापान कर घूमने की घटना की जानकारी मिलते ही डौंडी भाजपा मंडल अध्यक्ष मनीष झा एवं मंडल महामंत्री अजय चौहान ने 12 जुलाई को बालोद सहायक आयुक्त से इस संबंध में मोबाईल में चर्चा कर लापरवाह अधीक्षक व चपरासी पर ठोस कार्यवाही की मांग की गई। जिस पर उन्होंने नोटिस जारी करने की बात कही। वही मीडिया द्वारा आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त श्रीमती मेनका चंद्राकर से बात किए जाने पर उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दोनो छात्रावास से जानकारी ली गई जिसमे पता चला कि सभी बच्चों का अटेंडेस लिया गया और बच्चे रात्रि अध्यापन कर रहे थे। गौरतलब है कि पिछले वर्ष नए शासकीय पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में एक बच्चा आत्मघाती कदम उठा रहा था, जिसे वार्ड नंबर चार के अजय चौहान द्वारा बचा लिया गया था।

अब छात्रावास के कुछ बच्चों का देर रात नगर में घूमकर नशा पान हालात में रहने की घटना को आदिवासी युवा नेता सुन्हेर कोसमा ने अपनी आंखो के सामने ही देखा है जिससे सहज समझा जा सकता है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के छात्रावास में अधीक्षक कितनी घोर लापरवाही बरत रहे है। जिन पर शासकीय विभाग के संबंधित उच्चाधिकारियों को अधीक्षकों की कार्यशैली पर कड़ी निगरानी और ठोस कार्यवाही किए जाने की नितांत आवश्यकता है।

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