बालोद

नवीन कानूनों के संबंध बालोद पुलिस द्वारा पत्रकारों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन

पुलिस अधीक्षक समेत वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नए कानून के बारीकियों को पत्रकारों से की गई साझा

 

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। बदलाव भारतीय समाज की आवश्यकता और भावनाओं के अनुरूप है। कानून में संशोधन मुख्य रूप से अपराधी को दंड और पीड़ित को न्याय दिलाने किया जा रहा है। 1 जुलाई से पूरे देश में कानूनों में बदलाव किए गए हैं। यह दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर एक कदम है।

पुलिस मुख्यालय नया रायपुर के निर्देशानुसार दिनांक 11 जुलाई 2024 को साइबर सेल बालोद में पुलिस अधीक्षक एसआर भगत ने जिले के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया के प्रतिनिधियों को नए आपराधिक कानून के सम्बंध में जानकारी दी तथा नवीन कानूनों के संबंध में पत्रकारों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

बालोद पुलिस अधीक्षक एसआर भगत ने जानकारी देते न हुए कहा कि तीन ऐतिहासिक कानूनो- भारतीय दंड संहिता 1860, दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को क्रमशः भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 से प्रतिस्थापित करके आपराधिक न्याय प्रणाली में एक परिवर्तनकारी कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य ऐसी आपराधिक न्याय प्रणाली बनाना है जो न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि कानूनी व्यवस्था को भी और अधिक मजबूत बनाती है जिससे सभी के लिए सुलभ एवं त्वरित न्याय सुनिश्चित हो।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार जोशी ने मीडिया प्रतिनिधियों को जानकारी देते हुए कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता है और जिसके माध्यम से नए कानून के बारे में ज्यादा और प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य भारतीय कानूनी प्रणाली में सुधार करना और भारतीय सोच पर आधारित न्याय प्रणाली स्थापित करना है। नए आपराधिक कानून “लोगों को औपनिवेशिक मानसिकता और उसके प्रतीकों से मुक्त करेंगे” और हमारे मन को भी उपनिवेशवाद से मुक्त करेंगे। यह “दंड के बजाय न्याय पर ध्यान केन्द्रित” है। “सबके साथ समान व्यवहार” मुख्य विषय है। यह कानून भारतीय न्याय संहिता की वास्तविक भावना को प्रकट करते हैं। इन्हें भारतीय संविधान की मूल भावना के साथ बनाया गया है। यह कानून व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। यह मानव अधिकारों के मूल्यों के अनुरुप है। इन कानूनों की आत्मा न्याय, समानता और निष्पक्षता है। उन्होंने कहा कि नई कानून की मंशा बेहद उत्कृष्ट है।

एसडीओपी देवांश राठौर ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य 01 जुलाई 2024 से प्रभावशील हुए नवीन अपराधिक कानूनों जिसमे भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम को पत्रकारों को आवश्यक जानकारी से अवगत कराना था, ताकि वे समाज को सटीक और विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकें। कार्यशाला में (ई एफआईआर) इलेक्ट्रॉनिक प्रथम सूचना रिपोर्ट की जानकारी, सर्च एंड सीजर की नई प्रक्रियाओं , समयबद्ध प्रक्रिया, मॉब लिंचिंग, संगठित अपराध, झपटमारी, सामुदायिक सेवा व पेपरलेस प्रोसीजर समेत नए कानून के अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी दी गई।

उपरोक्त कार्यशाला में बालोद पुलिस अधीक्षक एसआर भगत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार जोशी, डीएसपी सुश्री नवनीत कौर, एसडीओपी देवांश राठौर, पत्रकार फिरोज अहमद खान, पत्रकार मोहनदास मानिकपुरी, पत्रकार जुनैद कुरैशी, पत्रकार रुपचंद जैन, पत्रकार किशोर साहू पत्रकार शिव जायसवाल व अन्य पत्रकारगण शामिल रहे।

 

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