फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। वन विभाग का अमला नियम कानून के मामले में इतना कड़क है कि मजाल है कि बिना पूछे कोई वनांचल क्षेत्र का निवासी जंगल क्षेत्र में से घास का गठ्ठा भी ला ले या जलाऊ सूखी लकड़ी ला ले तो, वन कानून की धाराओं में लपेट लिया जाता है। यहां तक वन क्षेत्र से लगे हुये राजस्व का भी मामला हो तो वहां पर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी नियम कानून का हवाला देने लगते है लेकिन यदि जहां धनवर्षा की सेटिंग होती है और वहां पर कोई विभाग के नियमों के खिलाफ भी काम करें तो वहां पर क्षेत्र की सीमाओं को ही विभागीय अधिकारी कर्मचारी मापने लगते है और एक दूसरे पर थोपने लगते है।
इसी संबंध में हमारे संवाददाता ने बालोद जिले के डौंडी वन परिक्षेत्र के कुआंगोंदी सर्किल से डिप्टी रेंजर राधेश्याम नायक से फोन पर पूछा तो उन्होंने बिना मौका देखे फोन पर ही बताया कि वह स्थान राजस्व सीमा क्षेत्र में है। वह क्षेत्र वन सीमा अंतर्गत नही आता। जबकि हमारे संवाददाता जंगल क्षेत्र में मौजूद थे। जिस स्थान पर अवैध रेत उत्खनन हो रहा था उसके चारो ओर वन विभाग के कंटीले तारों की फेंसिंग थी। जिसमे से फेंसिंग तोड़कर रेत तस्करो द्वारा रास्ता बनाया गया था। अवैध रेत उत्खनन में लिप्त लोगों से मालिक का नाम पूछा गया तो उन्होंने किसी कुंआगोंदी के लोचन मरकाम का नाम बताया।
डौंडी वन परिक्षेत्र के कुंआगोंदी क्षेत्र के घने जंगल मे वन विभाग की भूमि पर जंगल से गुजर रहे नदी नाले में अवैध रेत खनन मामले में वन विभाग की टीम में डिप्टी रेंजर को सूचना दी गई। लेकिन उनके द्वारा किसी प्रकार की जानकारी नही देने के कारण वन विभाग के उच्चाधिकारियों से संपर्क साधा गया। जिसके बाद डौंडी वन परिक्षेत्र अधिकारी जीवन भोंडेकर को इस संबंध में सूचित किया गया जिसके बाद वन विभाग की टीम के पहुंचने से पहले अवैध रेत उत्खनन करने वालो को किसी के द्वारा खबर मिलने के बाद उनके द्वारा ट्रेक्टर में से रेत को जगह पर ही खाली करवा दिया गया।
ट्रेक्टर में से रेत के खाली हो जाने के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि वन क्षेत्र में एक ट्रेक्टर खाली ट्राली के साथ खड़ा पाया गया। जिसके बाद वन विभाग डौंडी द्वारा पंचनामा बनाकर अपने कर्तव्य की इति-श्री कर ली गई।
इस प्रकार वन विभाग की कार्रवाई से जंगली क्षेत्र में अवैध खनन करने वालो में हड़कंप सा मच गया है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में वन विभाग के इतने बड़े भू-भाग पर रेत का अवैध खनन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि नदी नाले से रेत का अवैध खनन कई महीनों से जारी था। जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि लोकल रेत माफिया, नियम कानून को ताक पर रखते हुए कई महीनों से वन विभाग की भूमि पर अवैध खनन कर रहे थे। आपको बता दें कि जिस वन क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा था वह स्थान डिप्टी रेंजर के घर और वनोपज जांच चौकी से महज 200 मीटर के भी कम की दूरी पर है। बता दें कि वन विभाग के जिम्मेदारों के अलावा वन सुरक्षा समिति की भी जिम्मेदारी है कि वन संपदा को सुरक्षित करने में वन विभाग का सहयोग करे लेकिन वन सुरक्षा समिति के पदाधिकारी और सदस्य भी इस मामले पर कुछ बोलना नही चाहते।
रेत के काले कारोबार का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सूत्र बताते है कि दिन दहाड़े अवैध रेत उत्खनन का खेल बीते कई दिनों से निरंतर जारी है। इसकी जानकारी वन विभाग और राजस्व विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारी को भी है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। लेकिन संबंधित विभाग के जिम्मेदार जानकारी मिलने के बाद भी देर से पहुंचते है। जिसका फायदा अवैध रेत उत्खनन करने वालो को मिल जाता है। ऐसी स्थिति में कैसे वन क्षेत्र और वन संपदा सुरक्षित रह सकते है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई तो जिम्मेदार कहते है कि खाली ट्रेक्टर और ट्राली मिलने पर पंचनामा बनाया गया है जिसके बाद नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। वही इस संबंध में बालोद वन मंडलाधिकारी बलभद्र सरोटे से फोन पर जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन नही उठाया।