15 दिन से लापता हैं पूर्व विधायक चक्रधर सिदार के छोटे भाई, पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल अब तक कोई सुराग तक नहीं मिला…

रायगढ़। जिले के लैलूंगा विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक चक्रधर सिदार के छोटे भाई जयपाल सिंह सिदार रहस्यमय तरीके से 15 दिनों से लापता हैं, लेकिन पुलिस अब तक उनका सुराग तक नहीं लगा पाई है। परिजनों की शिकायत के बावजूद पुलिस की कार्रवाई बेहद लचर और गैरजिम्मेदाराना साबित हो रही है, जिससे परिजन और ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
जयपाल सिंह सिदार (43 वर्ष), ग्राम कटकलिया के निवासी और ग्राम सचिव हैं। वे 7 जुलाई को सुबह अपने बेटे को स्कूल छोड़ने निकले थे, लेकिन इसके बाद गायब हो गए। देर रात तक वापस न लौटने पर परिजनों ने खुद तलाश शुरू की और फिर थाना जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। मगर आज 15 दिन बीत जाने के बाद भी जयपाल की कोई खबर नहीं है।
पूर्व विधायक ने SP से लगाई गुहार, कार्रवाई से असंतुष्ट : पूर्व विधायक चक्रधर सिदार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल से मुलाकात की और एक लिखित आवेदन सौंपते हुए भाई की जल्द तलाश की मांग की। लेकिन इतने दिन गुजरने के बाद भी पुलिस केवल “जांच जारी है” जैसे घिसे-पिटे जवाबों तक ही सीमित है।
पूर्व विधायक का स्पष्ट आरोप है –
“पुलिस की कार्रवाई संतोषजनक नहीं है। 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग सामने नहीं आया है। साइबर सेल की टीम आई जरूर थी, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, किसी को कुछ नहीं पता। हम खुद भी खोजबीन कर रहे हैं।”
DSP का बयान, लेकिन हकीकत कुछ और : इस मामले पर डीएसपी सुशांतो बनर्जी ने बताया कि गुमशुदगी की रिपोर्ट के बाद पुलिस जांच कर रही है और कुछ सुरागों पर काम चल रहा है। हालांकि जमीन पर हालात बिल्कुल अलग हैं — न कोई CCTV फुटेज, न कॉल डिटेल का क्लू, न कोई संदिग्ध गिरफ्त में।
कई सवाल खड़े कर रही है यह गुमशुदगी :
- क्या जयपाल सिंह सिदार की गायब होने के पीछे कोई साजिश है?
- पुलिस अब तक कौन-कौन से ठोस प्रयास कर चुकी है?
- क्या किसी दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण जांच धीमी है?
- आखिर एक पंचायत सचिव और पूर्व विधायक का भाई अचानक कैसे गायब हो जाता है और 15 दिन तक कोई सुराग नहीं मिलता?
जनता में आक्रोश, जवाबदेही जरूरी : जयपाल सिंह सिदार कोई आम नागरिक नहीं हैं। वे एक ग्राम सचिव होने के साथ-साथ राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। यदि उनके मामले में भी पुलिस का यही हाल है, तो आम आदमी की सुरक्षा की कल्पना करना भी मुश्किल है।
पुलिस को जवाब देना होगा कि आखिर कौन लोग हैं जो इतने संगीन मामले में भी बचते फिर रहे हैं? और क्यों नहीं हो रही है कोई ठोस गिरफ्तारी या खुलासा?
अब समय आ गया है कि प्रशासन गंभीरता दिखाए, वरना लैलूंगा से रायगढ़ तक यह मामला बड़ा जन आक्रोश बन सकता है। सवाल सिर्फ एक व्यक्ति के गायब होने का नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता और नाकामी का है।