बालोद में न्याय की जीत: अनुसूचित जाति की बेटी से घिनौनी हरकत के दोषी ओंकार महमल्ला को आजीवन कारावास, महिलाओं के साहस को सलाम

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/गुरूर। डॉक्टरी पेशे और मानवता को शर्मसार करने वाले बालोद जिले के गुरूर नगर पंचायत के पूर्व एल्डरमेन व ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रहे ओंकार महामल्ला को जिला न्यायालय ने उम्रकैद की सजा से दंडित किया है। इस फैसले ने न केवल अपराधी के घमंड को तोड़ा, बल्कि पीड़ित और तमाम महिलाओं के हक़ और इज्जत के लिए मिसाल कायम की है।
– 21 जुलाई 2025, सोमवार को बालोद जिला न्यायालय ने अनुसूचित जाति की एक बेटी के साथ कोल्ड ब्लडेड अनाचार व शारीरिक प्रताड़ना के आरोपी ओंकार महामल्ला को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास से दंडित किया।
– आरोपी ओंकार महमल्ला कांग्रेस शासनकाल में ब्लॉक अध्यक्ष, नगर पंचायत के एल्डरमेन और स्थानीय विधायक के बेहद करीबी रहे।
– घटना के अनुसार, डॉक्टर के रूप में कार्यरत रहे ओंकार महमल्ला के क्लिनिक में पेट दर्द का इलाज कराने गई किशोरी के साथ आरोपी ने उसका शारीरिक शोषण किया। उसने नाबालिग़ पीड़िता की गुप्तांगों में उंगली डालकर न केवल उसकी अस्मिता को रौंदा, बल्कि डॉक्टरी पेशे को भी कलंकित किया।
– आरोपों के अनुसार, ओंकार महामल्ला के क्लिनिक में इलाज के लिए आने वाली अन्य महिलाओं के साथ भी इस तरह की वारदातें आम रहीं, लेकिन आरोपी के राजनीतिक रसूख और दबंगई के चलते सभी महिलाएं डर से चुप रहीं।
– मामला तब खुला जब पीड़िता ने साहस दिखाते हुए अपने साथ हुए अपराध की पूरी हिम्मत से शिकायत दर्ज कराई।
– स्थानीय विधायक व कांग्रेस के पूर्व जनप्रतिनिधियों ने ना केवल आरोपी को बचाने की कोशिश की, बल्कि उलटा पीड़िता के परिवार की महिलाओं के खिलाफ झूठे आरोप भी लगाए।
– पीड़िता की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई; तत्कालीन गुरूर थाना प्रभारी ने भी आरोपी के दबाव में सहयोग नहीं किया था।
– पीड़िता को जिले के जागरूक पत्रकारों के सहयोग से पुलिस अधीक्षक बालोद के समक्ष शिकायत करनी पड़ी। उनकी सक्रियता पर असल में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और आरोपी की गिरफ्तारी मुमकिन हुई।
– लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार, न्यायपालिका ने पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाया। ओंकार महमल्ला को कठोर आजीवन कारावास से दंडित करते हुए एक सशक्त संदेश दिया कि कोई भी रसूखदार अपराधी न्याय से ऊपर नहीं।
महिलाओं के लिए संवेदनशील संदेश :
– यह फैसला उन सभी महिलाएं और बेटियों के लिए हौसला बढ़ाने वाला है जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से डरती हैं।
– समाज, पुलिस और न्याय व्यवस्था को महिलाओं की सुरक्षा में और अधिक सक्रिय और संवेदनशील होने की जरूरत है।
– पीड़ित बेटी के संघर्ष व साहस के लिए हर संवेदनशील नागरिक को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई के बावजूद हिम्मत नहीं हारी।
– यह घटना याद दिलाती है कि महिलाओं की गरिमा, अस्मिता और अधिकार हर हाल में सर्वोपरि हैं और उनका सम्मान समाज की असली पहचान है।
बालोद अदालत के इस फैसले ने न्याय, सामाजिक चेतना और महिला सम्मान का एक नया अध्याय लिखा है। उम्मीद है कि समाज और प्रशासन ऐसी अमानवीय घटनाओं के खिलाफ हमेशा इसी तरह मजबूती से खड़ा रहेगा और हर बेटी को न्याय दिलाएगा।