“शुद्ध जल के नाम पर बीमारी! बालोद के इस प्लांट में लापरवाही, लोगों की सेहत खतरे में”

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। आजकल हर घर में रिवर्स ओसमोसिस (आरओ) और अल्ट्रा वॉयलेट (यूवी) तकनीक वाले वाटर प्यूरीफायर आम हो गए हैं। लेकिन क्या ये वास्तव में शुद्ध पानी दे रहे हैं या आपकी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं? पानी, जो जीवन का आधार है, हमारे शरीर में 70% तक मौजूद होना चाहिए। इसकी कमी जानलेवा हो सकती है। लेकिन कुछ मुनाफाखोर व्यापारी, मुनाफा कमाने के लालच में लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। शासन ने पानी के शुद्धिकरण और बिक्री से जुड़े व्यवसायों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन कई फैक्ट्रियां इन नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं।
ऐसी ही एक लापरवाह फैक्ट्री की बात सामने आई है जहां बालोद जिले के ग्राम सांकरा (क) के पास स्थित “ओस जल” नामक मिनरल वाटर प्लांट की। पिछले माह 28 तारीख को ग्रामीणों की शिकायत पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने इस प्लांट में जांच की थी। जांच में कई खामियां सामने आईं थीं और प्लांट को इन्हें सुधारने की सख्त हिदायत भी दिए गए थे। साथ ही पानी के सैंपल भी लैब भेजे गए थे, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
हालांकि विभागीय कार्यवाही के बावजूद फैक्ट्री द्वारा अभी तक कोई सुधार नहीं किया गया, जिससे ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई। जब दोबारा शिकायत हुई, तो मीडिया टीम मौके पर पहुंची और वस्तुस्थिति का जायजा लिया। इसके बाद खाद्य विभाग की टीम ने एक बार फिर से “ओस जल” प्लांट पर जांच की।
गौरतलब है कि बालोद जिले के कुछ हिस्सों में पीलिया और डायरिया जैसी जलजनित बीमारियों की शिकायतें बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों को साफ और सुरक्षित पानी पीने की सलाह दे रहा है। लेकिन दूसरी ओर, कुछ जल आपूर्ति करने वाली निजी फैक्ट्रियां नियमों की अनदेखी कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या जिला प्रशासन इस लापरवाह फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगा अथवा फिर रिपोर्ट आने तक इंतजार करके इसे और समय दिया जाएगा? आम जनता की मांग है कि ऐसे प्लांट पर तत्काल और सख्त कार्यवाही हो ताकि लोगों की सेहत से कोई खिलवाड़ ना हो सके।
भारत में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और मिनरल वॉटर के निर्माण, पैकेजिंग और बिक्री के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा सख्त दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार पैकेज्ड पानी का स्रोत सतही जल, भूमिगत जल, समुद्री जल (डिसालिनेशन के बाद) या नगर निगम की जल आपूर्ति हो सकता है। पानी को उपयुक्त शुद्धिकरण प्रक्रियाओं जैसे कि रिवर्स ओस्मोसिस (आरओ), यूवी ट्रीटमेंट, एक्टिवेटेड कार्बन फिल्ट्रेशन आदि से गुजारना अनिवार्य है।
पानी की पैकेजिंग के लिए केवल खाद्य-ग्रेड सामग्री जैसे कि पीइ, पीवीसी, पीइटी, पीबीटी और पॉलीप्रोपाइलीन का उपयोग किया जाना चाहिए। प्रत्येक बोतल पर “पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर” या “नेचुरल मिनरल वॉटर”, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि, बैच नंबर, निर्माता का नाम और एफएसएसएआई लाइसेंस नंबर स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए। प्लांट में कार्यरत कर्मचारियों की नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वच्छता मानकों का पालन और उचित प्रशिक्षण अनिवार्य है। प्लांट से निकलने वाले अपशिष्ट जल का उचित उपचार और निपटान आवश्यक है ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
हाल ही में, एफएसएसएआई ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और मिनरल वॉटर को ‘उच्च जोखिम’ खाद्य श्रेणी में वर्गीकृत किया है। इसके तहत सभी निर्माताओं को एफएसएसएआई द्वारा मान्यता प्राप्त तृतीय-पक्ष खाद्य सुरक्षा एजेंसियों से वार्षिक निरीक्षण कराना अनिवार्य है। लाइसेंस या पंजीकरण प्राप्त करने से पहले निर्माताओं को अनिवार्य निरीक्षण से गुजरना होगा। निर्माताओं को उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और शुद्ध पानी प्रदान किया जा सके।
बालोद जिले के ग्राम सांकरा (क) के पास स्थित “ओस जल” प्लांट में पाई गई खामियां न केवल एफएसएसएआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हैं, बल्कि आम जनता की सेहत के लिए भी गंभीर खतरा हैं। वही इनकी पानी के कैन व डिब्बों में किसी दूसरे व्यक्ति का नाम अंकित है जो महाराष्ट्र राज्य के किसी पुलिस वाले का सरकारी नंबर 99753XXXX8 है। वहीं दूसरा नंबर 99492XXXX9 पूर्वोत्तर राज्य असम के किसी व्यक्ति का है। महाराष्ट्र के पुलिस वाले ने बताया कि उन्हें रोजाना पानी की कैन नहीं भेजे, तो कोई अन्य समस्या को लेकर फोन करता है जिससे वे काफी ज्यादा परेशान है।
जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे तुरंत सख्त कार्यवाही करें और सुनिश्चित करें कि सभी पानी के प्लांट्स निर्धारित मानकों का पालन करें। आम जनता को भी चाहिए कि वे केवल प्रमाणित और मान्यता प्राप्त स्रोतों से ही पैकेज्ड पानी खरीदें और किसी भी अनियमितता की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें।