इस गांव में? खुलेआम बिक रही अवैध शराब, पुलिस और प्रशासन बना मूकदर्शक

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के ग्राम कुसुमकसा में इन दिनों अवैध शराब बिक्री का कारोबार खुलेआम और बेखौफ होकर चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिस गांव में यह गैरकानूनी गतिविधि हो रही है, वहीं थोड़ी ही दूरी पर शासकीय शराब दुकान भी स्थित है। बावजूद इसके गांव के प्रमुख स्थानों पर अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है और संबंधित विभाग इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, गांव के बीचोबीच, जहां जनसुविधाओं का केन्द्र होना चाहिए, वहां पर अवैध शराब का अड्डा बन गया है। शाम होते ही इन स्थानों पर भीड़ जुटने लगती है, जहां खुले में शराब बेची जाती है और पी जाती है। इससे गांव का सामाजिक माहौल पूरी तरह बिगड़ चुका है। महिलाएं और स्कूली छात्राएं इस मार्ग से गुजरने से डरने लगी हैं।
गौरतलब है कि गांव में पहले से ही शासकीय शराब दुकान विधिवत रूप से संचालित हो रही है, जहां निर्धारित दर पर सरकार की ओर से शराब की बिक्री होती है। इसके बावजूद, अवैध शराब की बिक्री का चलन यह दर्शाता है कि कुछ स्थानीय रसूखदार और जनप्रतिनिधि लोगों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह धंधा पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
बालोद जिले के ग्राम कुसुमकसा में अवैध शराब खुलेआम बिक रही है जबकि पास ही शासकीय शराब दुकान भी स्थित है बावजूद इसके गांव के प्रमुख स्थान पर अवैध शराब की बिक्री की जा रही है। आपको बता दें कि “कुसुमकसा गांव के शांति नगर में तालाब किनारे और गैरेज पारा में” अवैध शराब बिना किसी खौफ व डर के बेची जा रही है और शराबी बैठकर शराब भी पी रहे है। ग्रामीणों को आस थी कि जिले में नए एसपी के आने के बाद उनके गांव के हालात सुधरेंगे। लेकिन कुछ ऐसा होता दिख नहीं रहा है।
ग्रामीणों ने बालोद पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि राजहरा थाना प्रभारी तूल सिंह पट्टावी द्वारा अवैध कारोबारियों पर किसी प्रकार का अंकुश ही नहीं लगाया जा रहा है। जबकि राजहरा थाना क्षेत्र अंतर्गत आसपास के कई गांवों में अवैध शराब की बिक्री की जा रही है जिससे गांव का माहौल बेहद खराब हो चुका है। छोटे बच्चे और नौजवान शराब की लत में अपना स्वास्थ्य और भविष्य तबाह व बर्बाद कर रहे है। किंतु राजहरा थाना प्रभारी तूल सिंह पट्टावी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
वही सूत्र बताते है कि इनकी राजनीतिक पहुंच बहुत ऊंची है जिस कारण कांग्रेस और भाजपा के नेता इनके विषय में कुछ बोल नहीं पाते है वही कोई अखबार का संवाददाता इन नेताओं से इस मामले पर कोई बात कर दे तो नेता अगल बगल झांकने लगते है और कुछ फटाफट रफू चक्कर हो जाते है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां जहां यह थाना प्रभारी पदस्थ रहता है वहां अवैध कारोबारियों की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहता।
स्थानीय बुजुर्ग बताते है कि “यह कोई नई बात नहीं है। वर्षों से यह अवैध शराब बिक्री का धंधा यहां चल रहा है। कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं और युवाओं का भविष्य बर्बादी की ओर बढ़ रहा है।”
गांव की महिलाएं इस मामले में सबसे अधिक परेशान हैं। दिन ढलते ही शराबियों की भीड़ लग जाती है, जिससे राहगीरों खासकर महिलाओं को आने-जाने में मुश्किल होती है। कई बार अश्लील हरकतें और छेड़छाड़ की घटनाएं भी सामने आई हैं, लेकिन मामला न उठने से कार्यवाही नहीं हो पाई।
गांव के युवा तेजी से इस नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। अवैध शराब की गांव के वार्डो में आसान उपलब्धता के कारण स्कूली और कॉलेज जाने वाले छात्र भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। नशे की लत के कारण पढ़ाई में गिरावट, पारिवारिक कलह और आर्थिक तंगी जैसे हालात सामने आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम के तहत अवैध रूप से शराब बनाना, बेचना या संग्रह करना दंडनीय अपराध है, जिसमें जुर्माने और जेल की सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद, कुसुमकसा जैसे गांवों में खुलेआम इस कानून का उल्लंघन, प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है।
इस संबंध में जब आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस से प्रतिक्रिया ली गई, तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला। अधिकारी केवल जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ते नजर आए। जबकि कुसुमकसा के ग्रामीणों का कहना है कि जब तक ठोस कार्यवाही नहीं की जाएगी, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि कुसुमकसा गांव में अवैध शराब की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए। अवैध कारोबार में संलिप्त लोगों की पहचान कर उचित कार्यवाही की जाए। गांव में नियमित गश्त और निगरानी की व्यवस्था की जाए। शराबियों के अड्डों को स्थायी रूप से समाप्त किया जाए। दल्ली राजहरा शहर में युवाओं के लिए नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र की व्यवस्था की जाए।
ग्राम कुसुमकसा में अवैध शराब की समस्या अब एक सामाजिक अभिशाप बन चुकी है। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि गांव के भविष्य, युवाओं और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है। यदि समय रहते प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में इसके गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्यगत परिणाम सामने आ सकते हैं।