गांव में फैल रहा प्रदूषण, सरपंच पति चला रहा नियम विरुद्ध ईट भट्ठा

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के डौंडी तहसील अंतर्गत ग्राम अड़जाल में चल रहे अवैध ईट भट्ठे। आपको बता दें कि गांव के बीचों बीच रहवासी इलाके में ही संतोष भंडारी नामक व्यक्ति द्वारा अवैध लाल ईट भट्ठे का संचालन किया जा रहा है। वहीं ग्राम अड़जाल के ग्रामीणों ने कई बार ग्राम पंचायत और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई कार्यवाही ही नहीं की जाती है। सबसे ज्यादा समस्या आसपास मौजूद घरों के छोटे मासूम बच्चों को घुटन के कारण सांस संबंधी कई बीमारी हो चुकी है। सीधी सी बात है रहवासी इलाके में लाल ईट भट्ठे होने की वजह से ईट भट्टो से निकलने वाले काले जहरीले धुंए की वजह से ग्रामीणों खासकर औरतों और मासूम बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वहीं सरपंच पति होने का नाजायज फायदा संतोष द्वारा उठाया जा रहा है। वहीं इसी के संरक्षण में पूरे गांव में अलग अलग जगहों पर कई ईट भट्ठे संचालित है।
इस संबंध में हमने जानकारी लेने के लिए ग्राम पंचायत सचिव को कई बार फोन भी लगाया किंतु उन्होंने फोन नही उठाया। वहीं गुप्त सूत्रों की माने तो गांव के बीचोबीच यह अवैध ईट भट्ठा पिछले कई वर्षों से संचालित है। वहीं जिले का खनिज विभाग भी इस ओर अपने कदम नहीं रखता। सूत्र बताते है कि जिला खनिज अधिकारी को ईट भट्ठा संचालक द्वारा हर माह बंद लिफाफा पहुंचा दिया जाता है जिस वजह से बालोद जिला खनिज विभाग का सरकारी वाहन इस ओर का रास्ता भूल जाता है।
इलाके के विभिन्न अखबारों और समाचार पोर्टलों के माध्यम से कई बार इस संबंध में समाचार भी प्रकाशित किए गए लेकिन विभाग द्वारा आज पर्यंत तक कोई कार्यवाही ही नहीं की गई। जिसकी वजह से अवैध ईट भट्ठा संचालकों के हौंसले बुलंद है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के अंदर मौजूद ईट भट्ठे पर कार्यवाही के लिए उन्होंने कई बार जिला खनिज अधिकारी श्रीमती मीनाक्षी साहू और खनिज निरीक्षक शशांक सोनी को फोन किया, लेकिन वे कभी फोन ही नहीं उठाते। ग्रामीणों ने बताया कि ईट भट्ठा संचालक संतोष द्वारा इलाके में स्वयं की जेसीबी मशीन द्वारा अवैध मुरूम उत्खनन भी किया जाता है। जिसे वे नजदीकी शहर व गावो में मुरूम की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमा रहा है। वहीं इसके द्वारा अपने अवैध ईट भट्टो में आग सुलगाने जंगल की लकड़ियों काटकर लाई जाती है जिससे वे ईट पकाने में इस्तेमाल करता है। सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि इनकी पत्नी ग्राम पंचायत की सरपंच भी है बावजूद उसके ग्राम में सारे अवैध कार्य खुलेआम संचालित है। वहीं प्रशानिक अधिकारियों को भी ऐसे अवैध ईट भट्टो पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। पर्यावरण से खिलवाड़ कर रहे ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त लोग ऐसा दुस्साहस न कर सके।
अवैध ईंट भट्टों का संचालन न केवल पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि यह कई कानूनी नियमों का भी उल्लंघन करता है। अवैध ईंट भट्टों से पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभाव। कोयला, लकड़ी और अन्य जीवाश्म ईंधनों के जलने से हानिकारक गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर वातावरण में फैलती हैं। इससे स्थानीय लोगों को श्वसन रोग, अस्थमा और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मिट्टी की अत्यधिक खुदाई से उपजाऊ जमीन बंजर हो जाती है। यह कृषि उत्पादन को प्रभावित करता है और भूजल स्तर में गिरावट लाता है। भट्टों से निकलने वाला रासायनिक अपशिष्ट पास के जलस्रोतों को प्रदूषित करता है, जिससे जलजीवों की मृत्यु और मानव उपभोग के लिए जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। भट्टों के निकट वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट होते हैं, जिससे वन्यजीवों का विस्थापन और प्रजातियों का संकट उत्पन्न हो सकता है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत किसी भी औद्योगिक इकाई को संचालन से पहले पर्यावरण स्वीकृति लेनी होती है। इसका उल्लंघन दंडनीय अपराध है। वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत हर भट्टे को संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होती है। बगैर अनुमति संचालन पर कठोर कार्यवाही का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ईंट भट्टों की स्थापना, संचालन और नियमन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए हैं।
राजस्व, खनिज एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारी द्वारा अवैध ईट भट्टों की जानकारी के बावजूद कार्यवाही नहीं करते तो उन पर प्रशासनिक जांच, निलंबन/बर्खास्तगी, आपराधिक मामला दर्ज (भ्रष्टाचार, पर्यावरण कानूनों की अवहेलना के लिए) किया जा सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 268 (लोक उपद्रव), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 तथा बीएनएस की धारा 275 (जनसुरक्षा को खतरे में डालना) आदि के तहत कार्यवाही की जा सकती है। वहीं अवैध ईट भट्टा मालिकों पर भारी जुर्माना/भट्टा सील करना/एफआईआर और जेल तक की कार्यवाही की जा सकती हैं।