छत्तीसगढ़दुर्ग संभागबालोदराज्य

किसकी शह पर चल रहे? बालोद जिले में अवैध ईंट भट्टे

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले में अवैध ईंट भट्ठों का संचालन एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल पर्यावरणीय संकट को जन्म दे रहा है, बल्कि सरकार के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुँचा रहा है। यहां भूजल स्तर में गिरावट के कारण जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में भीषण जल संकट की चेतावनी दी है, जो अवैध ईंट भट्ठों के संचालन से और भी गंभीर हो सकती है।

जिले में सभी जगह खासकर गुरूर ब्लॉक में अवैध रूप से ईंट भट्ठों का संचालन खुलेआम हो रहा है, जिसमें अवैध मिट्टी और लकड़ियों का प्रयोग किया जा रहा है। राजस्व और खनिज विभागों की निष्क्रियता के कारण इन अवैध गतिविधियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, जिससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, अवैध ईंट भट्ठा संचालकों की पहुंच वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं तक है, जिससे इन पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है। इस वजह से वर्तमान सरकार की छवि धूमिल हो रही है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों का कहना है कि ऐसे अवैध ईंट भट्ठों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। गिरते भूजल स्तर की निगरानी और संरक्षण के लिए प्रभावी उपाय किए जाने बेहद जरूरी है। राजस्व और खनिज विभाग के अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए। स्थानीय समुदायों को अवैध गतिविधियों के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र पर्यावरणीय और आर्थिक संकट की ओर अग्रसर हो सकता है।

आपको बता दें कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बगैर चिमनी वाले लाल ईंट भट्ठों को प्रतिबंधित किया गया है। वहीं जिले के राजस्व विभाग और खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इनको बढ़ावा देने में जुटे हुए बतायें जा रहे हैं उसे देखकर लगता है कि आगे आने वाले दिनों में हमारे यहीं अधिकारी और कर्मचारी हमारे जिले की खेती के लिए उपयुक्त उपजाऊ जमीन को बंजर बना कर अन्य स्थान पर रफूचक्कर हो जायेंगे।

गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में पेयजल का भयावह संकट बना हुआ है बावजूद इसके पूरे इलाके में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध ईट भट्ठा उद्योग हेतू कृषि में इस्तेमाल होने वाली पंप के पानी का लाभ खुलेआम बे रोकटोक किया जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक ईटा भट्ठा संचालक ने बताया कि उनके पास गुरूर तहसीलदार साहब आकर गये हैं। तहसीलदार साहब के द्वारा हमें कोई भी चेतावनी नहीं दी गई है और न ही हमें कृषि पंप के इस्तेमाल से मना किया गया है ऊपर से हमें बिजली विभाग की ओर से अस्थाई बिजली कनेक्शन भी दिलवाया जा रहा है। गुरूर तहसील अंतर्गत ग्राम पलारी, पेंन्डरवानी, कवंर, सनौद, डोटोपार,अरकार, चंदनबिरही, धनेली, मोखा, बोरिदकला, चूल्हा पत्थरा, सोरर जैसे अनेक गांवों में अवैध इट भट्टा का कारोबार कृषि मोटर पंप और विद्युत आपूर्ति कंपनी एवं माइनिंग विभाग और राजस्व विभाग के सरपरस्ती में किया जा रहा है।

ज्ञात हो कि राजपत्रित अधिकारी होने के नाते तहसीलदार साहब की भूमिका क्या होनी चाहिए यह बताने की आवश्यकता नहीं है किन्तु जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के द्वारा प्रतिबंधित अवैध ईट भट्ठा उद्योग गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र की उपजाऊ जमीन पर फल फूल रहा है वो बड़ा ही शर्मनाक है।

“अवैध रूप से संचालित ईट भट्टो का संचालन नियम विरुद्ध है। समय समय पर राजस्व विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती है। अवैध ईट भट्टो पर कार्यवाही के लिए तहसीलदार को बोलता हूं।”

आरके सोनकर, एसडीएम, गुरूर

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग
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