गंगा मैय्या मंदिर में 1351 बेटियों को नवकन्या भोज, 20 गांवों से आईं कन्याओं का सम्मान, परंपरा में बसी श्रद्धा और समरसता

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले स्थित गंगा मैय्या मंदिर, झलमला में शनिवार 05 अप्रैल 2025 को एक भव्य धार्मिक आयोजन हुआ, जिसमें 1351 बेटियों को नवकन्या भोज कराया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि समाज में बेटियों के सम्मान और समरसता की परंपरा को जीवित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हर साल आयोजित होने वाला यह आयोजन, अब व्यापक स्तर पर आयोजित किया जाने लगा है, जिसमें 20 गांवों की बेटियां सम्मिलित हुईं।
मां गंगा मैय्या मंदिर ट्रस्ट के सदस्य पालक ठाकुर ने बताया, “यह आयोजन कई वर्षों से जारी है और पहले केवल गांव की बेटियों को ही नवकन्या भोज कराया जाता था, लेकिन अब यह आयोजन वृहद रूप से हो रहा है। हम गर्व महसूस करते हैं कि हर साल 1100 से 1500 बेटियां इस आयोजन का हिस्सा बनती हैं।” उन्होंने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल बेटियों को सम्मानित करना नहीं, बल्कि उनकी महत्वता को स्वीकार कर समाज में समानता और भाईचारे की भावना फैलाना है।
आयोजन की शुरुआत प्राचीन हवन और पूजा के साथ हुई, जिसमें बेटियों को मां गंगा का रूप मानते हुए उनके चरण धोकर पूजा अर्चना की गई। इसके बाद, दोपहर 2:30 बजे से एक भव्य भोज का आयोजन किया गया, जो शाम तक चलता रहा। इस दौरान, 20 गांवों से आई बेटियों को स्वादिष्ट भोजन परोसा गया, और पूरे कार्यक्रम में श्रद्धालुओं और ग्रामीणों की भारी भीड़ ने हिस्सा लिया। यह आयोजन एक सामाजिक उत्सव की तरह था, जिसमें सभी ने मां गंगा के आशीर्वाद से बेटियों का सम्मान किया।
गंगा मैय्या मंदिर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय जागरूकता का भी प्रतीक बन चुका है। मंदिर ट्रस्ट के संरक्षक सोहनलाल टावरी ने कहा, “हमारे मंदिर परिसर में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध है और हम श्रद्धालुओं से आग्रह करते हैं कि वे नारियल कपड़े के थैले में लाकर मंदिर में लाएं। इस पहल से हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में योगदान दे रहे हैं।”
इस पावन अवसर पर बालोद नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिभा चौधरी, बालोद पुलिस अधीक्षक एसआर भगत, जिला पंचायत सीईओ संजय कन्नौजे, बालोद एसडीएम सुरेश साहू, एसडीओपी देवांश रॉठोर, बालोद टीआई रविशंकर पांडे और अन्य गणमान्य नागरिकों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कर इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया। उन्होंने कन्याओं के सम्मान में अपने विचार व्यक्त किए और इस तरह के आयोजनों की महत्ता पर बल दिया।
कार्यक्रम का समापन रविवार, 06 अप्रैल 2025 को झलमला के शीतला तालाब में परंपरागत रूप से ज्योत-ज्वारा विसर्जन से होगा। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि समाज में मिलजुल कर काम करने और हर एक के योगदान को सम्मान देने का प्रतीक भी है।
मंदिर ट्रस्ट के पालक ठाकुर ने कहा, “यह आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में हर वर्ग, हर जाति और हर धर्म के लोगों के बीच भाईचारे और समरसता का संदेश देता है। हम इस परंपरा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का काम करेंगे, ताकि समाज में हर लड़की को उसका अधिकार मिले, उसका सम्मान मिले।”
“बेटियां हमारे समाज की धरोहर हैं और उन्हें सम्मानित करना हमारी जिम्मेदारी है,” यह शब्द इस आयोजन के आयोजनकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए हर किसी के दिलों में गूंजे। इस आयोजन ने न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान की भावना को मजबूती दी, बल्कि एक साथ मिलकर समाज की समरसता और सामूहिकता का भी प्रतीक बना।