बालोद

आचार संहिता उल्लंघन और कब्रिस्तान की दीवार के निर्माण में भ्रष्टाचार, वक्फ बोर्ड ने भेजा नोटिस

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के दल्ली राजहरा स्थित जामा मस्जिद के मुतवल्ली (सदर) शेख नय्यूम पर भ्रष्टाचार और आचार संहिता उल्लंघन के गंभीर आरोप लग रहे हैं। वक्फ बोर्ड ने उन्हें दल विशेष के प्रत्याशी का समर्थन करने के मामले में नोटिस भेजकर 3 दिन के भीतर जवाब मांगा था, लेकिन अब तक उनका कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है। इस पर वक्फ बोर्ड की ओर से यह संकेत दिए जा रहे हैं कि यदि जल्द ही, शेख नय्यूम को मुतवल्ली के पद से बर्खास्त कर दिया जाएगा। वहीं दल्ली राजहरा शहर के लोगों ने शासन से मांग की है कि दल्ली राजहरा स्थित जामा मस्जिद के मुतवल्ली (सदर) शेख नय्यूम को पद से बर्खास्त कर मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।

वक्फ बोर्ड द्वारा भेजे गए नोटिस में आरोप है कि शेख नय्यूम और उनकी कमेटी ने नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार-प्रसार किया, जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है। इसके बाद, वक्फ बोर्ड ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन 3 दिन का समय बीतने के बावजूद भी शेख नय्यूम ने कोई जवाब नहीं दिया है। उनकी चुप्पी पर सवाल उठते हैं और यह मामला अब मीडिया में भी तूल पकड़ता जा रहा है।

वहीं, शेख नय्यूम का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है, जो भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। यह मामला बालोद जिले के दल्ली राजहरा स्थित मुस्लिम कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल से जुड़ा हुआ है। “आरटीआई एक्टिविस्ट फिरोज अहमद खान” ने संबंधित विभाग में आरटीआई के जरिए जानकारी निकाली जिसमें मालूम हुआ कि कब्रिस्तान की दीवार को मजबूती देने के लिए शासन ने 17.82 लाख रुपये खर्च किए थे। लेकिन केवल एक महीने में ही यह दीवार गिरकर जमीदोज हो गई। इसका कारण यह था कि दीवार की नींव तक नहीं डाली गई थी और लोहे की रॉड की मोटाई भी निर्धारित मानकों से कम थी। यह एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत होता है, जिसमें शेख नय्यूम की चुप्पी संदेहास्पद है। वहीं शहर में चर्चा का विषय है कि राजहरा के कुछ नौसीखिए नेता ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त मुतवल्ली को बचाने एडी – चोटी का जोर लगा रहे है।

सूत्रों के अनुसार, कब्रिस्तान की दीवार गिरने के बाद भी शेख नय्यूम ने अब तक इस मामले की शिकायत नहीं की है और चुप्पी साधे हुए हैं। यदि किसी जामा मस्जिद के मुतवल्ली द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होने का मामला सामने आता है, तो यह एक गंभीर स्थिति है। सवाल यह उठता है कि इस चुप्पी के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? क्या शेख नय्यूम इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं?

वक्फ बोर्ड द्वारा इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए, क्योंकि 17.82 लाख रुपये की बड़ी राशि का खर्च किया गया था, लेकिन सही निर्माण न होने के कारण दीवार एक महीने में ही गिर गई। यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार का संकेत देता है और इसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मामले में शेख नय्यूम की चुप्पी साफ तौर पर उनके भ्रष्टाचार में शामिल होने को दर्शाती है। यदि वह किसी कारणवश इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं, तो इसे उनके पद की जिम्मेदारी और नैतिकता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

अब यह जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड और संबंधित अधिकारियों की है कि वे इस मामले की पूरी जांच करें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें। वक्फ बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मस्जिदों और कब्रिस्तानों में होने वाले निर्माण कार्यों में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार न हो और इस तरह के मामले भविष्य में न हों।

वहीं, जनता और समाज को भी इस प्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूक होने की जरूरत है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना और जिम्मेदारों को जवाबदेह ठहराना हर नागरिक का कर्तव्य है। यदि ऐसे मामलों में चुप्पी साधी जाती है, तो इससे न केवल संबंधित संस्था की छवि धूमिल होती है, बल्कि समाज में भी गलत संदेश जाता है।

बालोद जिले के दल्ली राजहरा में हुए इस भ्रष्टाचार मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। शेख नय्यूम द्वारा किए गए आचार संहिता उल्लंघन और कब्रिस्तान की दीवार के निर्माण में भ्रष्टाचार का मुद्दा एक ऐसा विषय है, जिसे उजागर करना और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करना बेहद जरूरी है। वक्फ बोर्ड को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार के भ्रष्टाचार और अनियमितताएं रोकी जा सकें।

यह घटना पूरे समाज और संगठन के लिए एक बड़ी सीख है। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जागरूकता फैलाना और ईमानदार अधिकारियों को समर्थन देना समय की आवश्यकता है।

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग
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