“चप्पल जूते की माला और टोपीबाज नेता की किरकिरी: दल्ली राजहरा का सियासी सर्कस!”

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले की दल्ली राजहरा नगर पालिका चुनाव के माहौल में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जिसने नगर के सियासी गलियारों में हंसी का तड़का लगा दिया है। खबर है कि एक प्रतिष्ठित नेता जो कभी नगर पालिका अध्यक्ष के पद पर आसीन रहा, अब उसे कुछ दिनों पहले चप्पल और जूतों की माला पहना दी गई थी! जी हां, आपने सही सुना, चप्पल और जूतों की माला! अब आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सा नया ट्रेंड चल रहा है? तो आपको बता दें कि इस बड़े नेता को वार्ड की महिलाओं ने चप्पल और जूतों की माला पहना दी थी, वो भी पूरी धूमधाम से! हालांकि, वार्ड की महिलाओं से गलती ये हुई कि उन्होंने इसकी फोटो नहीं ली और वीडियो नहीं बनवाया, वरना ये माला शायद सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता! शहर में चर्चा है कि एक राजनीतिक पार्टी का नेता जो एक पंचवर्षीय नगर पालिका अध्यक्ष के पद पर भी आसीन रहा है। उसे नगर के एक वार्ड में चप्पल जूते की वरमाला पहना दी जा चुकी है। वार्ड की महिलाओं से चूक यह हो गई कि उन्होंने इस प्रायोजित कार्यक्रम का वीडियोग्राफी नहीं करवाई। वहीं एक बहुचर्चित नेता जो डौंडीलोहारा विधायक बनने का सपना संजोए सालों से इंतजार कर रहे है उन्होंने चप्पल जूते की माला उस दागदार नेता के गले से उतार फेंकी और उन्हें आक्रोशित महिलाओं से बचाकर ले गए। सोचिए, यह नजारा अगर कैमरे में कैद हो जाता, तो वायरल वीडियो के साथ चुनावी बहस में बड़ा मसाला बन सकता था! अब नगर पालिका चुनाव के लिए शहर के लोग खासकर महिलाएं इस बात से नाराज हैं कि इनके भ्रष्टाचार के कारण उनका शहर काफी पीछे चला गया है।
शहर के मतदाता खासकर महिलाएं इस नगर पालिका अध्यक्ष के भ्रष्टाचारी कार्यकाल से बेहद नाराज है जिसके कारण उनकी पार्टी की भी भारी फजीहत हो रही है। वहीं देखा जा रहा है कि हर बार जिस पार्टी का शहर में दबदबा रहता है इस बार भ्रष्ट नेताओं के कारण नगर की जनता इन्हें सिरे से खारिज कर सकती है। हार जीत का खुलासा तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही होगा। लेकिन शहर के हर चाय ठेले और पान की दुकान में शहर के नागरिक इसी विषय पर चर्चा कर रहे है कि इस बार शहर के विकास के लिए लड़ाई लड़ने वाले नेता को ही नगर पालिका अध्यक्ष का ताज पहनाया जाएगा।
इसी बीच, शहर के राजनीतिक दलों के नेतागण भी सोच में हैं कि पार्टी के टिकट पर उन “धूमिल छवि वाले” नेताओं को आखिर किस वजह से टिकट दिया गया? क्या उनके पास कोई ‘बेहतर’ उम्मीदवार नहीं था? और फिर, अब ये स्थिति कि वे खुद चुनाव प्रचार से गायब हैं और पार्टी के बैनर पोस्टर से भी बाहर हो गए हैं। सबका यही कहना है कि इस नेता की वजह से पार्टी को खूब नुकसान हो सकता है! जनता का कहना है कि इतना भ्रष्टाचार देख कर लोग भड़क गए हैं!
मज़े की बात ये है कि शहर में एक और सियासी गलती हो गई। एक अवैध और गुंडा प्रवृत्ति के व्यक्ति को, जो हाल ही में एक वरिष्ठ पत्रकार को सैप्टिक टैंक में दफनाने की धमकी दे चुका था, पार्षद का टिकट दे दिया गया है! लोग अब कह रहे हैं, “क्या ये उम्मीदवार सियासी रेस में लड़ा या सीधे जेल जाने की लाइन में लग गया?”
अब देखना यह है कि शहर में दबदबा जमाने वाली दो प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की करतूत पार्टी के झंडे पर सवाल खड़ी कर रही है। वहीं इन पार्टियों के आलाकमान के दिमाग में क्या चल रहा था जो ऐसे धूमिल छवि वाले लोगों को पार्टी के टिकिट बांट दिए। अब देखना होगा कि शहर की जनता किसे चुनती है। शहर के लोगों में चर्चा है कि कौन नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होगा। कुछ लोगों का मानना है कि शहर के लिए जिसने लड़ाई लड़ी वहीं बनेगा नगर पालिका अध्यक्ष।
आपको बता दें कि जूते चप्पल की माला पहनने वाले नेता को पार्टी ने किनारे लगा दिया है। देखा जा सकता है कि यह नेता पार्टी के किसी भी चुनाव प्रचार में दिखाई ही नहीं दे रहा है और ना ही इसका थोबड़ा किसी बैनर पोस्टर में दिख रहा है। आप समझ सकते है कि इसके होने से पार्टी को कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है। लोगो का कहना है कि इतना अधिक भ्रष्टाचार जिससे शहर को लोग भड़क गए है।
उनके इस आक्रोश का परिणाम यह है कि जहां एक बार उस पार्टी का दबदबा था, अब वे खुद को सिरे से खारिज कर सकते हैं। यहां तक कि कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि इस बार चुनाव में वही नेता जीतेगा, जो शहर के विकास के लिए लड़ा है, ना कि वही नेता जिसने अपनी कुर्सी पर बैठकर भ्रष्टाचार की आंधी चलाई हो।
अब बस यही देखना है कि दल्ली राजहरा की जनता किसे पसंद करती है। वे किसे नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाएगी? और क्या पार्टी के आलाकमान ने ऐसी गलतियों को सुधारने का कोई प्लान बनाया है? जवाब तो परिणाम के बाद ही मिलेगा, लेकिन जनता तो कह रही है – “जो शहर के लिए लड़ा, वही बनेगा नगर पालिका अध्यक्ष!”
फिलहाल, राजनीति के इस मजेदार दौर में, जो माला पहनी, उसने एक बार फिर खुद को पार्टी से आउट किया और शहर की सियासत में नया मसाला बना दिया!