छत्तीसगढ़दुर्ग संभागबालोद

आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन : सरकारी पानी टैंकर पर जनप्रतिनिधि की बड़ी तस्वीर पर सवाल

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। हाल ही में एक ऐसी घटना ने चर्चा का विषय बना लिया, जहां डौंडी जनपद पंचायत के एक जनप्रतिनिधि द्वारा सरकारी पानी टैंकर पर अपनी बड़ी तस्वीर लगाकर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। यह घटना आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है, जिससे न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग हुआ है, बल्कि चुनावी समय में इसका दुष्प्रभाव भी मतदाताओं पर पड़ सकता है। लेकिन जिले के कुछ फोटूछाप दलबदलु नेताओं को अपना खबसूरत थोबड़ा दिखाए बगैर नींद नहीं आती।

आदर्श आचार संहिता चुनावी प्रक्रिया के दौरान लागू होती है, जो उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी प्रचार और अन्य गतिविधियों पर कड़े दिशा-निर्देश प्रदान करती है। यह आचार संहिता सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग रोकने, सरकारी कार्यों में राजनीति का हस्तक्षेप न होने देने और चुनावी धांधली से बचने के लिए बनाई गई है।

इसके तहत किसी भी प्रकार से सरकारी संपत्ति या संसाधनों का चुनाव प्रचार के लिए उपयोग करना प्रतिबंधित है। किसी भी सरकारी वाहन, जैसे कि पानी टैंकर, स्कूल बस, एम्बुलेंस या अन्य सरकारी वाहनों पर राजनीतिक प्रचार, व्यक्ति या पार्टी के प्रचार के लिए तस्वीरें या पोस्टर चिपकाना कानूनन गलत है। यह जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रचार के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने का उदाहरण है।

भारतीय चुनाव आयोग का निर्देश : भारतीय चुनाव आयोग ने कई बार स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि आदर्श आचार संहिता के दौरान किसी भी सरकारी वाहन या संसाधन पर चुनावी प्रचार सामग्री नहीं लगाई जा सकती है। यह आदेश उल्लंघन करने पर उम्मीदवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का आधार बन सकता है।

नियम 10 और 11 का उल्लंघन : आदर्श आचार संहिता के नियम 10 और 11 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी प्रकार के सरकारी संसाधन, जैसे कि पानी टैंकर, स्कूल बस आदि का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो यह सरकारी धन का दुरुपयोग माना जाएगा।

विधिक प्रावधान : भारतीय दंड संहिता की धारा 171E और 171F के तहत किसी भी प्रकार से सरकारी संसाधनों का चुनाव प्रचार में उपयोग करना दंडनीय अपराध है। इसके अंतर्गत जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है।

आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उम्मीदवार या पार्टी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत: पार्टी या उम्मीदवार की सजा : अगर यह साबित होता है कि किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार ने सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया है, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है। इसके परिणामस्वरूप उनका चुनाव प्रचार रुक सकता है और उन्हें चुनावी प्रक्रिया से बाहर भी किया जा सकता है। यदि किसी जनप्रतिनिधि के खिलाफ आदर्श आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन पाया जाता है, तो उनकी सदस्यता रद्द करने तक की कार्यवाही तक की जा सकती है।

इस मामले में संबंधित अधिकारियों और जिला प्रशासन को इस प्रकार के उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। यदि यह मामला सामने आता है तो चुनाव आयोग को अवगत कराना चाहिए और संबंधित जनप्रतिनिधि के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए।

इससे पहले भी विधानसभा चुनावों के दौरान उस समय के डौंडी थाना प्रभारी मुकेश सिंह द्वारा खुले मंच पर एक राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह को हाथ में लेकर प्रदर्शन करते देखा गया था। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई जिससे इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति हो रही है। वहीं इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जा सकता है। सरकारी संसाधनों का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। अब यह देखना होगा कि संबंधित जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है, ताकि भविष्य में इस प्रकार के दुरुपयोग को रोका जा सके।

आदर्श आचार संहिता का पालन करना हर राजनेता और उम्मीदवार की जिम्मेदारी है, ताकि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी रहे। इस प्रकार के उल्लंघन से जनता के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और लोकतंत्र की मूलभूत अवधारणा को नुकसान पहुंचता है। वहीं डौंडी तहसीलदार देवेंद्र नेताम से इस संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहां की जांच कर कार्यवाही की जाएगी और आदर्श आचार संहिता का पालन हर हाल में किया जाएगा।

(आदर्श आचार संहिता को देखते हुए समाचार में भी उक्त जनप्रतिनिधि के नाम तथा चेहरे को छुपाने का प्रयास किया गया है।)

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग
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