सरकारी राशि के दुरुपयोग का मामला: नाली को ढांक पक्का निर्माण, भ्रष्टाचार के आरोप
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के डौंडी तहसील के ग्राम कुसुमकसा में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां निजी स्वार्थ के लिए शासन के लाखों रुपये फूंक दिए गए हैं। यहां शुक्रवार साप्ताहिक बाजार के पास स्थित आंगनबाड़ी भवन के बाजू से बह रही नाली पर सरकारी मद से पक्की सड़क का निर्माण किया गया है। इस निर्माण कार्य ने न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को उजागर किया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया है कि इस तरह के निर्माण कार्य को किसे और क्यों प्राथमिकता दी गई।
ग्राम पंचायत कुसुमकसा में शुक्रवार साप्ताहिक बाजार से लगे एक नाली को पक्के कंक्रीट से ढंक दिया गया है। जबकि इस तरह के कार्य का कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि नाली के ढंकने के बजाय, इसका उपयोग जल निकासी के लिए किया जाना चाहिए था। इस तरह के निर्माण कार्य से न केवल सरकारी राशि का अपव्यय हुआ, बल्कि इसके परिणामस्वरूप जल निकासी की समस्या भी बढ़ सकती है। कंक्रीट से ढंकी गई नाली, बारिश के पानी के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती है और गंदगी का जमावड़ा कर सकती है, जिससे ग्रामवासियों को और भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
ग्राम कुसुमकसा के ग्रामीणों में इस निर्माण कार्य को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि बिना किसी कारण के शासकीय राशि का दुरुपयोग किया गया है, और यह काम न तो गांव के विकास के लिए उपयुक्त था, न ही इसकी कोई वास्तविक आवश्यकता थी। ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि इस काम को क्यों प्राथमिकता दी गई, जबकि गांव के अन्य हिस्सों में नालियों की व्यवस्था नहीं है और गंदा पानी बहता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर शासकीय राशि से नालियों का सीमेंटीकरण करना था, तो गांव के सभी नालों और नालियों को समतल और ढांका जाना चाहिए था, न कि केवल एक विशेष स्थान पर काम किया जाना चाहिए था।
नालियों का सीमेंटीकरण और उन पर स्लैब डालने के लिए कुछ खास मानक और नियम होते हैं। यह कार्य केवल तभी किया जा सकता है जब जल निकासी की समस्या गंभीर हो और उसका समाधान अत्यंत आवश्यक हो। साथ ही, इसके लिए ग्राम पंचायत या अन्य सक्षम अधिकारियों से पूर्व अनुमति और उचित योजना की आवश्यकता होती है। जल निकासी व्यवस्था में किसी भी प्रकार का बदलाव करने से पहले, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है कि पानी का प्रवाह बिना रुकावट के होता रहे और इस प्रकार के कार्य से पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
इसके अतिरिक्त, अगर कोई निर्माण कार्य अवैध रूप से किया जाता है या उसका उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता, तो यह भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग के तहत आ सकता है। संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी निर्माण कार्य केवल ग्रामवासियों के हित में किया जाए, न कि व्यक्तिगत स्वार्थ या किसी विशेष व्यक्ति के लाभ के लिए। आपको बता दें कि सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले पर गुप्त सूत्रों ने बताया कि यह किसी फर्जी डॉक्टर के घर के पीछे रास्ते की आवाजाही के लिए किया जा रहा है जो कि बेहद शर्मनाक है। उन्होंने बताया कि नाली को ढांकने का कोई औचित्य ही नहीं दिख रहा है। वहीं इस संबंध में डौंडी जनपद सीईओ डीडी मंडले से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन नही उठाएं।
इस मामले में ग्राम पंचायत कुसुमकसा के सचिव नेमसिंह अलेंद्र को शासकीय राशि के दुरुपयोग के आरोप में निलंबित किया गया है। यह कार्यवाही भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया एक कदम है, लेकिन इस मामले के और भी पहलुओं की जांच की आवश्यकता है। क्या यह काम अन्य अधिकारियों की संलिप्तता से हुआ था? क्या यह काम किसी विशेष व्यक्ति के स्वार्थ के लिए किया गया था? इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए और अधिक जांच की आवश्यकता है। अब आगे देखना है कि वर्तमान सचिव की भ्रष्टाचार के मामले में क्या भूमिका रहती है।
यह पूरा मामला बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को उजागर करता है। जहां एक तरफ ग्राम पंचायत में अन्य समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, वहीं दूसरी तरफ एक विशेष स्थान पर बिना कारण के अव्यवस्थित और बेफिजूल निर्माण कार्य किया गया है। यह सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का एक उदाहरण बन गया है।
इस मामले में, ग्राम कुसुमकसा के जागरूक नागरिकों ने इस निर्माण कार्य को हटाने और शासकीय धन के व्यय को सही दिशा में लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह के निर्माण कार्य को किसी उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए, ताकि सरकारी धन का सही उपयोग किया जा सके। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं और किसी भी गलत कार्य में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।