हर साल बहती है पुलिया, सूखती है संवेदना: पुटूकछार के ग्रामीण अब शासन से जवाब मांग रहे हैं…!

रायगढ़। जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पुटूकछार का हाल देखकर यही कहा जा सकता है कि यहां विकास की नहीं, उपेक्षा की नींव डाली गई है।
यहां हर साल एक पुलिया बहती है, लेकिन शासन-प्रशासन की संवेदना कभी नहीं जागती।
प्रश्न अब यह नहीं कि पुलिया क्यों टूटी प्रश्न यह है कि व्यवस्था कब बनेगी?
पुलिया नहीं, व्यवस्था की पोल बह गई : पुटूकछार को खम्हार से जोड़ने वाली पेटोरी चपटा नाला पर बनी पुलिया इस बार फिर ढह गई।
लेकिन इस बार केवल पुलिया ही नहीं, गांववालों की उम्मीदें और भरोसा भी मलबे में तब्दील हो चुका है।
अब गांव मुख्य मार्ग से पूरी तरह कट गया है-
- न वाहन आ-जा सकते हैं
- न बीमार अस्पताल पहुंच सकते हैं
- न बच्चे स्कूल जा सकते हैं
गांव एक बंधक शिविर में तब्दील हो चुका है – प्रकृति के आगे भी, और व्यवस्था के आगे भी।
RES विभाग का भ्रष्टाचार, नेताओं की उदासीनता : इस पुलिया का निर्माण आरईएस (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) विभाग द्वारा किया गया था।
लेकिन निर्माण में गुणवत्ता का नहीं, सिर्फ दिखावे का ध्यान रखा गया।
उपसरपंच भुनेश्वर यादव के अनुसार, बीते वर्ष पुलिया की जर्जर हालत को देखते हुए विधायक लालजीत राठिया एवं सांसद राधेश्याम राठिया को पत्र एवं मौखिक रूप से अवगत कराया गया था।
किन्तु परिणाम वही पुराना –
“आश्वासन मिला, कार्रवाई नहीं।”
RES विभाग ने इस बार भी सिर्फ खानापूर्ति करते हुए गिट्टी डालकर अस्थायी मरम्मत की।
तेज बहाव में वह व्यवस्था टिक न सकी और पुलिया फिर बह गई।
सवाल सीधा है – यह पुलिया पानी से टूटी या लापरवाही से?
यह प्रश्न अब केवल पुटूकछार का नहीं, पूरे रायगढ़ जिले की प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल है।
क्या हर वर्ष पुलिया टूटना केवल एक ‘प्राकृतिक आपदा’ है?
या फिर यह भ्रष्ट निर्माण, तकनीकी लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम है?
गांव के भीतर भी पुलिया टूटी, हालात भयावह : पंचायत के भीतर बथानपारा, फिटिंगपारा, कारालाईन, खर्रा, धौराभाठा जैसे मोहल्लों को जोड़ने वाली वन विभाग की पुलिया भी वर्षा के बहाव में क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
ग्रामीणों के अनुसार पुलिया की नींव पत्थरों से उथली बनाई गई थी, जो थोड़े से पानी में बह गई।
अब इन मोहल्लों में भी पैदल आना-जाना खतरनाक हो गया है।
एम्बुलेंस सेवा तक पहुंच से बाहर हो चुकी है।
आपदा प्रबंधन को दी गई सूचना, पर अब गांव की सहनशीलता टूट रही है : उपसरपंच ने आपदा प्रबंधन प्रभारी उज्ज्वल पांडे को स्थिति से अवगत कराया।
पांडे ने स्थल निरीक्षण और त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है,
परंतु अब गांव का धैर्य जवाब देने लगा है।
बी.डी.सी. जनकराम राठिया ने गांव पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और शासन स्तर पर मामला उठाने की बात कही।
लेकिन अब ग्रामीण आश्वासन नहीं, ठोस समाधान चाहते हैं।
पुलिया अब सिर्फ एक संरचना नहीं, सिस्टम की नाकामी का प्रतीक बन चुकी है : यह पुलिया अब सिर्फ पत्थर और सीमेंट नहीं,
बल्कि सरकारी उपेक्षा, खोखले विकास और संवेदनहीन राजनीति का प्रतीक बन चुकी है।
जब हर साल पुलिया बहती है और सरकार हर बार चुप रहती है,
तब जनता पूछने को मजबूर होती है —
“आख़िर ये पुलिया कब बनेगी? और भरोसा कब टिकेगा?”
अब बात सिर्फ रास्ते की नहीं – अधिकार और आत्मसम्मान की है : पुटूकछार के लोग अब सिर्फ पुलिया नहीं, अपने अधिकारों की बहाली और प्रशासनिक उत्तरदायित्व की मांग कर रहे हैं।
यदि शीघ्र ठोस पहल नहीं की गई,
तो यह मुद्दा जनांदोलन का रूप लेने को तैयार है।
यह खबर अब केवल सूचना नहीं शासन के लिए एक खुला पत्र है।
पुलिया टूटना हादसा हो सकता है,
पर हर साल उसका बह जाना – अपराध है।