जांजगीर-चांपा

सिवनी में सिर कुचलकर फेंका गया अर्जुन चौहान – क्या यह केवल हत्या है या सत्ता संरक्षित नरसंहार का ट्रेलर?…

• यह खबर उन लोगों के लिए नहीं है जो सिर्फ ‘घटनाएँ’ पढ़ते हैं - यह उनके लिए है जो ‘सच’ से आंख मिलाने का साहस रखते हैं।...

जांजगीर-चांपा। हरेली जैसे पवित्र त्योहार के दिन एक युवक घर से निकला और अगली सुबह उसकी लाश सड़क किनारे पड़ी मिली — सिर फटा हुआ, शरीर लहूलुहान और आत्मा रौंद दी गई। मृतक अर्जुन चौहान था – सिवनी गांव के पूर्व सरपंच का बेटा। सवाल यह उठता है:

क्या उसका अपराध केवल इतना था कि वह कुछ जानता था?
या फिर उसने झुकने से मना कर दिया था?

🧨 यह सिर्फ हत्या नहीं, एक स्पष्ट संदेश है -चुप नहीं रहोगे, तो मार दिए जाओगे : 

अर्जुन की लाश कोई दुर्घटना नहीं।
सड़क किनारे फेंका गया उसका शव एक मौन धमकी है – गाँव के नौजवानों के लिए, सच्चे लोगों के लिए, और उनके लिए जो सवाल पूछने का साहस रखते हैं।

सिर पर गहरी चोट, खून से लथपथ शरीर और पुलिस की आरंभिक चुप्पी — ये सभी इस ओर इशारा करते हैं कि यह घटना महज कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है।

FSL जांच, पोस्टमार्टम और पुलिस कार्रवाई – लेकिन जब ‘गुनहगार’ खुद सिस्टम में छिपा हो, तो कौन देगा न्याय? –

पुलिस कह रही है – “पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है”, “एफएसएल टीम जांच कर रही है”,
पर सवाल उठता है –
क्या अब तक की हज़ारों मौतों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने न्याय दिलाया है?
कितनी माताओं ने अपने बेटों के हत्यारों को जेल में देखा है?

🔥 यह हत्या प्रशासन और कानून व्यवस्था की आंखों के सामने हुई – फिर भी चुप हैं सब :

  • कहाँ हैं वे जनप्रतिनिधि जो हर चुनाव में दरवाज़ा खटखटाते हैं?
  • कहाँ है वह प्रशासन जो ‘क़ानून का राज’ होने का दावा करता है?
  • और सबसे अहम – क्या अर्जुन चौहान की मौत भी यूं ही दबा दी जाएगी?

🧱 असली सवाल ये हैं :

  1. अर्जुन आख़िरी बार किससे मिला था?
  2. क्या वह किसी प्रभावशाली व्यक्ति या गिरोह के निशाने पर था?
  3. किसे उसकी मौजूदगी से खतरा था?
  4. हत्या को दुर्घटना साबित करने की कोशिश क्यों की जा रही है?

अब चुप्पी भी अपराध है : यह मामला अब सिर्फ एक युवक की हत्या का नहीं रहा –

यह सत्ता, अपराध और मौन की साँठगाँठ का वह वीभत्स चेहरा है, जिसे समाज अक्सर नजरअंदाज़ करता है।

यदि अर्जुन को न्याय नहीं मिला, तो अगली लाश किसी और के घर से उठेगी।
और तब शायद वह किसी साधारण युवक की नहीं — बल्कि एक सच बोलने वाले की होगी।

जनता की मांग स्पष्ट है : 

  • अर्जुन चौहान की हत्या का प्रकरण दर्ज किया जाए।
  • पोस्टमार्टम व एफएसएल रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
  • एक विशेष जांच दल (SIT) गठित कर 7 दिनों में दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।
  • पीड़ित परिवार को सुरक्षा और न्याय की गारंटी दी जाए।

यह लाश सिर्फ एक शव नहीं — यह एक चेतावनी है!

अगर आज हम नहीं बोले,
तो कल हम भी अर्जुन की तरह ‘एक खबर’ में बदल दिए जाएंगे।
और तब शायद कोई आवाज़ भी न बचेगी, जो हमारी चीख़ों को सुन सके।

इस खबर को गाँव से लेकर संसद तक पहुँचाइए।
सोशल मीडिया से लेकर समाचार मंचों तक इसकी आग फैलाई जाए।
और तब तक मत रुकिए, जब तक अर्जुन को न्याय न मिल जाए।

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