रायगढ़

सलखिया में “मीटर जांच” की आड़ में खूनी हमला!…

• क्या ये सिर्फ ज़मीन विवाद था या सत्ता और प्रशासन के नाम पर चल रही खुली गुंडागर्दी?...

रायगढ़। जिले के तहसील लैलूंगा के अंतर्गत ग्राम सलखिया में एक विवादित कच्चे मकान, बिजली मीटर और ज़मीन को लेकर शुरू हुआ मामूली विवाद अब संगीन अपराध और राजनीतिक संरक्षण के आरोपों तक जा पहुंचा है। दोनों पक्षों की एफआईआर से यह स्पष्ट होता है कि यह घटना केवल एक तकनीकी जांच नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित हमले और कब्जेदारी का गंभीर मामला है।

🩸 पहला पक्ष – मली बाई और उनके परिजनों पर हमला : चन्द्रशेखर भोय की ओर से थाने में दी गई लिखित शिकायत के अनुसार  – दिनांक 03 जून 2025, दोपहर लगभग 12 बजे, 14 लोगों का समूह जिसमें अंशुदेव, खगेश्वर, पंकज, क्षमेश, लूरा, गीता, राधे, अमरसाय, शनिराम, सरस्वती व अन्य शामिल थे, पूर्व नियोजित तरीके से मली बाई के घर में घुसा और मकान तोड़ने लगा।

जब मली बाई ने विरोध किया तो उन पर डंडों और हाथों से बर्बर हमला किया गया, जिससे उनके हाथ, सिर व चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। बचाव करने पहुंचे भतीजे बंशी भोय को भी डंडों से पीटा गया, जिससे उसका सिर फट गया और शरीर पर कई गंभीर घाव हुए।

जब चन्द्रशेखर भोय स्वयं पहुंचे तो उन्हें भी पीटा गया, लोहे की तार से पैरों पर वार किया गया और उनके चेहरे पर मिर्ची पाउडर फेंका गया।

👉 हमलावरों ने दावा किया कि उन्हें यह कार्यवाही करने का आदेश तहसीलदार शिवम पांडेय ने दिया है।

⚠️ दूसरा पक्ष – “मीटर जांच” करते समय हमला होने का दावा : खगेश्वर भोय द्वारा दी गई शिकायत के अनुसार –

वह, पंकज भोय, शनिराम, अमरसाय, ओमप्रकाश, लूरा बाई, गीता बाई और अन्य लोग “मीटर जांचने” के लिए दिनांक 03 जून को उक्त मकान पर गए थे।

वहाँ पर मौजूद चन्द्रशेखर, अर्जुन, परखित, बंशीधर, जोगीराम आदि ने उन पर डंडों और बांस की छड़ों से जानलेवा हमला किया। इस हमले में खगेश्वर के सिर पर 16 टांके, और अंशुदेव को 6 टांके लगे।

प्रशासनिक प्रश्नों के कटघरे में यह मामला :

  1. क्या 14 लोगों का जत्था सिर्फ “मीटर देखने” गया था?…
  2. क्या पंचायत सचिव, स्कूल लिपिक और अन्य ग्रामीणों का मीटर जाँच से कोई लेना-देना है?…
  3. क्या मीटर जांच की प्रक्रिया में डंडे, मिर्ची पाउडर और लोहे की तार लेकर जाना सामान्य है?…
  4. क्या तहसीलदार ने वास्तव में कार्रवाई का कोई आदेश दिया था? अगर हाँ, तो बिना पुलिस और बिजली विभाग की उपस्थिति में?…
  5. क्या यह पूरा घटनाक्रम ग्रामसभा द्वारा आरक्षित सामुदायिक भवन की जमीन पर कब्जेदारी से जुड़ा संगठित प्रयास है?…

⚖️ ज़मीन विवाद या प्रशासनिक संरक्षण में दबंगई? : विवादित मकान खसरा नंबर 204, रकबा 0.041 हेक्टेयर में स्थित है, जिसे ग्रामसभा ने दिनांक 05/03/2020 को सामुदायिक भवन के लिए आरक्षित किया था। इस पर स्थगन आदेश 05/06/2023 को तहसीलदार द्वारा पारित किया जा चुका है। बावजूद इसके वहाँ निर्माण कार्य और सामग्री डंपिंग की गई।

क्या ये आदेश की अवहेलना नहीं? और यदि नहीं, तो प्रशासन किसे संरक्षण दे रहा है?

🔍 सवाल जो अब प्रशासन से पूछे जाने चाहिए :

  • दोनों पक्षों ने गंभीर शारीरिक चोटों और जानलेवा हमले की FIR दर्ज की है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
  • तहसीलदार का नाम लेकर मकान तोड़ने का प्रयास आदेश था या डराने की चाल?
  • क्या यह प्रशासनिक आदेश की आड़ में सामुदायिक संपत्ति पर कब्जे की कोशिश थी?

📣 जन चेतावनी :

अगर प्रशासन इस पर निष्पक्ष जांच नहीं करता, तो यह सिर्फ एक ज़मीन विवाद नहीं, बल्कि गांवों में सत्ता संरक्षित कब्जे की एक खतरनाक मिसाल बन जाएगी।

🎤 स्थानीय ग्रामीणों की मांग:

“सरकार बताए – क्या अब कोई भी व्यक्ति प्रशासन का नाम लेकर किसी के घर में घुसकर मारपीट कर सकता है?”

📢 RM24 परिवार की मांग :

  • तत्काल दोनों पक्षों की गहन निष्पक्ष जांच,
  • घायल व्यक्तियों की चिकित्सकीय रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए,
  • तहसीलदार की भूमिका स्पष्ट हो,
  • और आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।

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