सक्ती

सक्ती : भूमाफियाओं की रसुखदारी के सामने जिला कलेक्टर नतमस्तक ; भूमाफिया चला रहे अपना साँय साँय चक्कर??…

◆ गोंगपा के जिलाध्यक्ष बलवंत सिंह सिदार व जिला सचिव भानु प्रताप चौहान स्थानीय आदिवासियों को न्याय दिलाने आये सामने…

सक्ती। आदिवासी जमीन को कलेक्टर की विना अनुमति जमीन रजिस्ट्री मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर जिला गोंगपा अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई है। गोंगपा के जिला सचिव भानु प्रताप चौहान ने आरोप लगाकर मुख्यतयारनामा की कॉपी दिखाते हुए बताया कि मुख्तयारनामा के बल पर पूरा खेल खेला गया है। भूमाफिया जगदीश बंसल द्वारा तत्कालीन उपपंजीयक प्रतीक खेमका के साथ मिलीभगत व धांधली कर जमीन खरीदने का आरोप लगाया है, और कलेक्टर कार्यालय के सामने आंदोलन शुरू कर दिया है। वहीं

मुख्तयारनामा के बल पर खेला गया पूरा खेला…

गोंगपा पदाधिकारियों का आरोप है कि जगदीश बंसल और उपपंजीयक प्रतीक खेमका द्वारा आदिवासी समाज की महिला जानकी बाई की कंचनपुर स्थित 12 डिसमिल भूमि को नियम विरूद्ध जाकर रजिस्ट्री ककरवायी गई है, जोकि आदिवासीयों के  हितो पर सीधे तरीके से कुठाराघात है। मामले को लेकर जिला कलेक्टर के समक्ष भी कार्रवाई के लिए कई बार पत्र लिखने के बाद भी कोई उचित कार्रवाई आज तक नहीं की गई, व उनके उदासीन रवैये से हमारी भावनाएं बहुत अधिक आहत हुई है।

विभिन्न तिथियों में कलेक्टर सक्ती को दिए गए आवेदन…

गोंगपा की मांग है कि खरीददार भूमाफिया जगदीश बंसल और उपपंजीयक प्रतीक खेमका पर आदिवासी समुदाय के  हितों को ध्यान में रखकर और बाबा साहब के बनाए संविधान के विरुद्ध किए गए कृत्य पर एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की जा रही है और साथ ही आदिवासी भूमि को पुन उक्त आदिवासी परिवार के नाम पर किया जाए।

पूर्व में जमीनों को लेकर जगदीश बंसल पर कई मामले हो चुके हैं दर्ज : बता दें कि नगर सहित जिले में ज़मीन के कई मामलों में भूमाफिया जगदीश बंसल पर दर्ज हैं। वहीं नगर के लोगों का यह भी कहना है कि जगदीश बंसल द्वारा लगातार जमीन के मामलों में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी कर शासकीय सहित कई लोगों के निजी भूमि को भी हथियाया गया है। बावजूद इसके अब तक किसी भी प्रकार से कोई कार्रवाई नहीं होने से आज भूमाफिया के हौशले आसमानों पर हैं।

कलेक्टर ने जिस आवेदन को खारिज किया उसे आदेश बता कर दिया फर्जीवाड़ा : कलेक्टर के समक्ष जानकी बाई वगैरह द्वारा अपने स्वामित्व, की बारह, डिसमिल भूमि को विक्रय करने आवेदन किया गया था, जिसमें उक्त आवेदन को खारिज किया गया, जिसे आदेश बताते हुए रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी द्वारा अनुसूचित जनजाति के लिए बनाये गये नियमों को ठेंगा दिखाते हुए टिप लिख खारिज आदेश को पक्ष का आदेश दर्शित करते हुए बिना अनुमति रजिस्ट्री कर दिया गया।

प्रतीक खेमका तत्कालीन उपपंजीयक सक्ती को कारण बताओ नोटिस भी कराई गई थी तामिल : उक्त मामले के संबंध में कलेक्टर के संज्ञान में आते ही उपपंजीयक को नोटिस देते हुए अनुसूचित जनजाति के भूमि संबंधी धारा अन्तर्गत सात दिवस के भीतर जवाब भी मांगा गया था पर सरकारी दामाद बने उपपंजीयक का तबादला खुद अपने आपमें रहस्य है।

गोंगपा के जिला सचिव भानु प्रताप चौहान ने बताया कि मामले में 19 नवम्बर से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है, व मामले में राजस्व मंत्रालय सहित मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन सौपने की तैयारी प्रदेश कार्यालय द्वारा की जा रही है।

जिस तरह से पूरे मामले को दिमागी खेल करते हुए खेला गया है उससे जानकारों का यही मानना है कि आदिवासी मुख्यमंत्री की सरकार में आदिवासी समाज के लिए बने संविधान के साथ खिलवाड़ लगातार हो रहा  है। मामले को लेकर आम जन में चर्चाये आम है कि उपपंजीयक और आम मुख्तियार दोषी हैं और इन परिस्थितियों में एक्ट्रोसिटी एक्ट अन्तर्गत अनुसूचित जनजाति आयोग को स्वमेव संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का प्रावधान भी है।

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