विधानसभा में गरजीं भावना बोहरा, जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन घोटाले और सरकारी लापरवाहियों को लेकर सरकार को घेरा…

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के सत्र के दौरान पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन घोटाले, शिक्षकों की भारी कमी, आदिवासी भूमि विक्रय और इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी में अनियमितताओं पर तीखे सवाल दागे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार आम जनता के पैसे को बेतहाशा लुटा रही है, सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता गायब हो चुकी है और जनता के बुनियादी मुद्दों को दरकिनार कर दिया गया है।
भावना बोहरा के इन सवालों ने न सिर्फ सरकार को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि सदन में विपक्ष ने भी इन मुद्दों को गंभीरता से उठाने की मांग की।
जनसंपर्क विभाग में विज्ञापन घोटाला! आखिर क्यों दोगुना हुआ खर्च? : भावना बोहरा ने आरोप लगाया कि जनसंपर्क विभाग ने सरकारी विज्ञापनों की आड़ में करोड़ों रुपये का गबन किया है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर किस आधार पर विज्ञापन बजट को पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना कर दिया गया?
सरकारी आंकड़े ही उजागर कर रहे हैं घोटाले की कहानी :
- 3179 डिजिटल पोर्टल विज्ञापनों पर ₹67.16 करोड़ खर्च किए गए।
- 12,881 समाचार पत्र विज्ञापन पर ₹147.36 करोड़ की भारी-भरकम राशि खर्च की गई।
- 901 टीवी चैनलों के विज्ञापनों पर ₹140.93 करोड़ की बेतहाशा रकम दी गई।
- 187 रेडियो विज्ञापन पर ₹5.29 करोड़ खर्च किए गए।
भावना बोहरा ने सदन में कहा कि सरकार खुद स्वीकार कर रही है कि डिजिटल विज्ञापनों पर भारी खर्च किया गया, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के किसी भी समाचार पोर्टल को इसमें शामिल नहीं किया गया। इससे साफ है कि मनमाने तरीके से पोर्टलों को इम्पेनल कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है।
होर्डिंग्स घोटाले की परतें भी खुलीं : विधायक बोहरा ने होर्डिंग्स के भुगतान में भी बड़े घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि तीन महीने के अनुबंध के बावजूद, एक महीने में ही होर्डिंग्स हटा दी गईं, लेकिन पूरा भुगतान कर दिया गया। आखिर ये पैसा किसकी जेब में गया? क्या सरकार के पास इसका जवाब है?
मंत्री ने इस पर लीपापोती करने की कोशिश की, लेकिन भारी दबाव के बाद जांच कराने का आश्वासन देना पड़ा।
आदिवासी भूमि विक्रय में धांधली, बिना न्यायालय की अनुमति बिक रही जमीन? : भावना बोहरा ने कबीरधाम जिले में आदिवासी जमीन की बिक्री की अनुमति में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार खुद दावा कर रही है कि 2021-22 से 2024-25 तक 118 आवेदन आए, लेकिन मात्र 16 को ही अनुमति दी गई।
उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार की संभावना है, क्योंकि बिना न्यायालय की अनुमति कोई भी भूमि विक्रय नहीं हो सकता। फिर ये आवेदन कैसे पास किए गए? भावना बोहरा ने सरकार से इस पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की।
शिक्षा व्यवस्था चरमराई, हजारों स्कूलों में शिक्षक नहीं, सरकार मौन : प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर भी भावना बोहरा ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने सदन में सरकार से सवाल किया कि प्रदेश के हजारों स्कूल बिना शिक्षकों के कैसे चल रहे हैं।
सरकारी आंकड़े ही सरकार की खोल रहे पोल :
- प्रदेश में 56,601 शिक्षकीय पद रिक्त पड़े हैं।
- 5,912 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है।
- 439 स्कूल पूरी तरह से शिक्षक विहीन हैं।
भावना बोहरा ने सवाल किया कि जब सरकार को शिक्षकों की इतनी भारी कमी की जानकारी है, तो 33,000 शिक्षकों की भर्ती अब तक क्यों नहीं की गई?
मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि भर्ती प्रक्रिया विचाराधीन है और इसके लिए एक पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस पर विधायक बोहरा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि समिति बनाने से शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, सरकार को तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी: 45,000 लोगों का भुगतान लटका, सरकार बेखबर : विधानसभा में विधायक भावना बोहरा ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर दी जा रही सब्सिडी को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि सरकार वाहनों पर सब्सिडी देने का दावा तो कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हजारों लोगों को अभी तक उनका हक नहीं मिला है।
- सरकारी जवाब में बताया गया कि- 28,248 लाभार्थियों को अब तक सब्सिडी दी जा चुकी है।
- 45,000 वाहन मालिक अभी भी भुगतान के लिए इंतजार कर रहे हैं।
- वित्त विभाग को बजट प्रावधान के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन कोई समय-सीमा तय नहीं की गई।
भावना बोहरा ने इस पर कड़ा एतराज जताया और कहा कि अगर सरकार को पहले से पता था कि सब्सिडी देनी है, तो पर्याप्त बजट प्रावधान क्यों नहीं किया गया? उन्होंने इस योजना में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी भी जांच कराने की मांग की।
भावना बोहरा की सरकार को दो टूक – जनता के पैसे की लूट बंद करें : भावना बोहरा ने विधानसभा में अपनी बात रखते हुए साफ कहा कि सरकार सिर्फ वादे करना बंद करे और तत्काल ठोस कदम उठाए। उन्होंने जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन घोटाले, शिक्षकों की भर्ती में देरी, आदिवासी भूमि विक्रय में पारदर्शिता की कमी और ईवी सब्सिडी में गड़बड़ियों को लेकर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की।
भावना बोहरा के सवालों ने सरकार को झकझोर कर रख दिया। जवाब देने के लिए मंत्रियों को भी मजबूर होना पड़ा और सरकार ने जांच और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इन वादों पर अमल करेगी या फिर यह भी महज एक दिखावा बनकर रह जाएगा?