रायगढ़

“लैलूंगा में पटवारियों की रिश्वतखोरी का आतंक! सीनियर पटवारी ₹41,000 डकार गया – किसान बोले: अब आर-पार की होगी लड़ाई !…”

रायगढ़। जिले का लैलूंगा अब किसानों की बदहाली नहीं, बल्कि पटवारियों के बेलगाम भ्रष्टाचार के लिए बदनाम होता जा रहा है। ग्राम तोलमा में सीनियर पटवारी रोहित पटेल ने सात किसानों से ज़मीन के बंटवारे के नाम पर ₹41,000 की अवैध वसूली की। और जब काम करने की बारी आई, तो साफ कह दिया –“मैं हल्का छोड़ चुका हूँ, जो करना है कर लो, पैसा नहीं लौटाऊंगा!”

ये शब्द किसी माफिया के नहीं, बल्कि एक सरकारी राजस्व अधिकारी के हैं – वो भी उस राज्य में, जहां कभी “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” का नारा गूंजा करता था!

किसानों से रिश्वत ली, काम नहीं किया – अब दे रहा है धमकियाँ :ग्राम तोलमा के किसान गुरबारू, रूजू, बुधराम, विनोद, राजेश, मंगरू, सोमारी और रन्थू ने बताया कि उन्होंने अपने संयुक्त कृषि खाता (ख.न. 04, रकबा 22.540 हेक्टेयर) का बंटवारा कराने के लिए आवेदन दिया था। पटवारी ने उनसे सूची बनाने और बंटवारे के काम के एवज में ₹41,000 नकद मांगे, जो उन्होंने कठिन परिश्रम की कमाई से दे दिए।

लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी न कोई दस्तावेज तैयार हुआ, न कोई काम। जब किसान जानकारी लेने पहुंचे, तो उन्हें दुत्कार दिया गया और खुलेआम धमकाया गया।

यह केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि पद का आपराधिक दुरुपयोग है : जो अधिकारी सरकारी पद का इस्तेमाल कर किसानों से अवैध धन वसूले, फिर काम भी न करे और धमकी दे, वह सिर्फ भ्रष्ट नहीं, अपराधी है। रोहित पटेल का यह कृत्य सीधा-सीधा धोखाधड़ी, शासकीय दायित्वों से पलायन और किसानों के साथ विश्वासघात है।

लैलूंगा : भ्रष्टाचार का गढ़ – तीसरा मामला एक़ महीने में –यह मामला कोई अपवाद नहीं है। पिछले एक महीने में लैलूंगा क्षेत्र के तीन पटवारियों पर गंभीर आरोप लग चुके हैं –

  • पटवारी रामनाथ पर रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध होने पर ऑफिस अटैच किया गया।
  • संगीता गुप्ता पर ग्रामीणों और जनपद सदस्य ने अवैध वसूली और अनुपस्थित रहने के आरोप लगाए – लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं।
  • और अब रोहित पटेल, जिसने खुलेआम किसानों को ठगा और सत्ता को ठेंगा दिखा दिया।

क्या यह केवल संयोग है? या फिर यह संगठित भ्रष्टाचार की पूरी श्रृंखला है?

प्रशासन की चुप्पी – क्या यह मौन समर्थन नहीं है? – प्रश्न यह उठता है कि जब एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, तो प्रशासन कानूनन कार्रवाई से पीछे क्यों हट रहा है?

क्या यह लापरवाही है, या फिर अंदरखाने कोई सांठगांठ चल रही है?

अगर हर शिकायत केवल कागज़ी कार्रवाई बनकर रह जाएगी, तो यह साफ है कि प्रशासनिक ढांचे में ही भ्रष्टाचार को मौन समर्थन प्राप्त है।

किसानों की हुंकार – “हमें दिखावटी जांच नहीं, न्याय चाहिए!” किसानों ने कहा है –

“हमने ₹41,000 देकर अपना हक मांगा था, भीख नहीं। अब हमें FIR, गिरफ्तारी और राशि की वापसी चाहिए – और वो भी तुरंत!”

यदि प्रशासन अब भी मूकदर्शक बना रहा, तो किसान धरना, चक्काजाम और आमरण अनशन जैसे कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे।

अब नहीं तो कभी नहीं : राजस्व विभाग की यह सड़ी हुई जड़ अब केवल जांच से नहीं, बल्कि सख्त कार्रवाई और जेल भेजने से उखड़ेगी।

यदि रोहित पटेल जैसे अधिकारी जेल नहीं गए, तो कल और कई किसान इसी तरह ठगे जाएंगे – और जनता का प्रशासन से विश्वास हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।

📣 “लैलूंगा में रिश्वत संस्कृति की कब्र खुदनी चाहिए – नहीं तो ये जहर पूरे ज़िले को निगल जाएगा!”

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