रायगढ़

लैलूंगा : पुलिस-प्रशासन के नाक के नीचे चल रहा गौवंशो की तस्करी का काला खेल?…

रायगढ़। जिले में गौतस्करों के हौशले आसमान में हैं। इसे पुलिस विभाग की निष्क्रियता कहें या मिलीभगत, यह अपने आप मे खुद एक सवाल है। आपको बता दें कि बाकारूमा से बागुडेगा के बीच कुछ दिन पूर्व शाम 4 से 5 बजे आसपास बड़ी संख्या में मवेशियों को पैदल हांकते हुए ले जा रहे थे जिसे कहां कुछ स्थानीय लोगो ने वीडियो बनाकर मीडिया को गौ तस्करी के बारे में सूचना दी। 

अपना परिचय सार्वजनिक न करने का निवेदन करते हुए मीडिया के समक्ष मवेशी तस्करी को रोकने के लिए निवेदन किया गया। मीडिया की टीम ने जब इस वीडियो की तफ्तीश की तो ग्रामीणों से पता चला कि यह वीडियो कुछ दिन पुराना है उन्होंने मवेशी तस्करी से जुड़ी जो जानकारी दी है वह काफी चौंकाने वाली है।

उन्होंने बताया कि तस्कर पाराघाटी मवेशी बाजार से सिकाजोर उड़ीसा की ओर 200 से 300 मवेशियों क्रूरता पूर्वक हांकते हुए ले जाया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि वीडियो में मवेशियों की संख्या 200 से 300 के बीच है, जबकि प्रति सप्ताह तस्करी में लिप्त मवेशी ठेकेदार अलग-अलग टोलियो में दिहाड़ी मजदूरों के सहारे एक हजार से पंद्रह सौ मवेशियों को क्रूरता पूर्वक मारते-पीटते , बिना रुके मवेशियों को भूखे प्यासे पैदल हांककर ले जाते हैं। इन तस्कर की मदद करने दोपहिया और चार पहिया वाहन में बाउंसर आगे पीछे रेकी करते रहते हैं तथा उनके काम में व्यवधान पहुंचाने वालों को अपने साथ रखें घातक हथियारों से वार कर नुकसान भी पहुंचते हैं। तस्करी के दौरान रायगढ़ जिले के दूरस्थ वनांचल कई थाना क्षेत्र से होकर यह तस्कर गुजरते हैं।

पाराघाटी मवेशी बाजार से सिकाजोर उड़ीसा के मध्य ग्राम कौन कौन से गांव से होकर गुजरते हैं मवेशी तस्कर?… रायगढ़ की सीमा से लगे शक्ति मवेशी बाजार से पलगड़ा पहाड़ होते हुए जोबी खम्हार छाल बेहरामार कुडेकेला पुरूंगा होते हुए आमापाली से सिसरिंगा होते हुए रविवार को पाराघाटी मवेशी बाजार पहुचता है। जिसके बाद चरखापारा होते हुए बागुडेगा, कोडासिया भेलवाटोली, जांमबहार, मुकड़ेगा, सोनाजोरी, होते हुए सिकाजोर उड़ीसा मवेशी बाजार पहुंचता है।

शनिवार को आमापाली में मवेशी बाजार लगता है जिसके बाद रविवार को पाराघाटी का मवेशी बाजार लगता है, पाराघाटी से रविवार दिन व रात में बड़ी मात्रा में मवेशी तस्करी होती है। सोमवार को चरखापारा मवेशी बाजार से मवेशियों को तस्कर शाम ढलने के बाद रात के अंधेरे में बागुडेगा, कोडासिया, भेलवाटोली, जांमबहार, मुकड़ेगा, सोनाजोरी होते हुए सिकाजोर उड़ीसा मवेशी बाजार पहुंचता है।

बहरहाल मवेशी तस्करी पर लगाम लगाने के लिए उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देशों की स्थानीय थाना क्षेत्र के प्रभारी धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। गाहे बगाहे छोटी मोटी कार्यवाही भी होती है लेकिन ज्यादातर मामलों में मुख्य तस्करों के गिरेबान तक पुलिस के हाथ नही पहुंच पाते या फिर निजी स्वार्थ से अभिभूत जिम्मेदार अधिकारी गौ तस्करों को अभयदान दे रहे है।

शायद यही वजह है कि मावेशी तस्करों के हौसले बुलंद हैं और लैलूंगा अंचल मवेशी तस्करों का सुरक्षित व महफूज ठीकाना बन चुका है तथा रैरुमा और लैलूंगा थाना क्षेत्र में लंबे समय से मवेशी तस्करी का अवैध कारोबार फल फूल रहा है और तस्कर बेखौफ होकर गौ वंशो की धड़ल्ले से तस्करी की जा रही है।

मवेशी तस्करी के मामले आए दिन दैनिक अखबारों में मुख्य पेज पर सुर्खियों में बनती हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी छोटी मोटी कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपा लेते हैं लेकिन अंचल में मावेशी तस्करी को लगाम लगाने में असफल नजर आ रहे हैं।

खबर प्रकाशन के बाद यह देखना लाजमी होगा कि ग्रामीण वनांचल लैलूंगा और रैरूमा थाना क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय चल रहे तस्करों के हौसले बुलंद है। आखिर इस पर लगाम लगाने के लिए शासन प्रशासन क्या कार्यवाही करती है।

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