लैलूँगा का ‘अटल चौक’ बना ‘अंधेर चौक’, दारू, दादागीरी और डर का तांडव ; प्रशासन सो रहा, शराब माफिया इलाके पर कर रहे राज…

लैलूँगा (रायगढ़)। छत्तीसगढ़ के लैलूँगा का ‘अटल चौक’ आज अपने नाम और गरिमा से नहीं, दारू, दलाली और दबंगई के लिए जाना जा रहा है। जिस चौराहे से स्कूल-कॉलेज के बच्चे गुजरते हैं, जहां से ग्रामीण बाजारों की रौनक शुरू होती है, उसी चौक पर एक शराब दुकान ने पूरे क्षेत्र को भय, अराजकता और अवैध वसूली की गिरफ्त में ले लिया है।
दारू दुकान नहीं, अपराध का खुला अड्डा है ये : यह दुकान अब महज़ शराब बिक्री का केंद्र नहीं, ‘शराबी मंडी’ बन चुकी है जहां न नियम बचा है, न शर्म। आरोप है कि शासन द्वारा निर्धारित दरों को ठेंगा दिखाते हुए प्रति बोतल ₹20 अधिक वसूला जा रहा है, और इस काले कारोबार पर ना कोई रोक है, ना कोई डर। चखना सेंटरों की भरमार है, जो बिना टेंडर और बिना अनुमति चल रहे हैं। शराबी दिनभर सड़क किनारे बैठकर नशे में झूमते हैं, गाली-गलौज और झगड़े आम हो गए हैं।
स्कूल-कॉलेज के छात्रों पर मनोवैज्ञानिक हमला : इसी रास्ते विद्यालय और महाविद्यालय के सैकड़ों विद्यार्थी रोज़ आते-जाते हैं। नशे में धुत लोगों की बदतमीज़ियाँ, फब्तियाँ और मारपीट अब रोज़ का दृश्य बन चुका है। छात्राओं और महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है, लेकिन शासन-प्रशासन अब तक गूंगा-बहरा बना हुआ है।
आबकारी विभाग की आंखें बंद या जेब गरम? : जब इस पूरे मामले पर आबकारी अधिकारी अंकित अग्रवाल से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने मामले की अनभिज्ञता जताई और कहा:
“मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई है, शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी।”
सवाल ये है : क्या प्रशासन तब जागेगा जब कोई बच्ची छेड़छाड़ का शिकार होगी? या जब शराबियों की हिंसा किसी की जान ले लेगी?
प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने फटकार लगाई, दुकान हटाने की माँग दोहराई :
“अटल चौक कोई मामूली जगह नहीं, यह लैलूँगा का दिल है। इसी से जशपुर, रायगढ़, पथलगांव के रास्ते जुड़ते हैं। ये दुकान यहां नहीं, कहीं जंगल में होनी चाहिए। मैंने दुकान हटाने के लिए आवेदन दिया है और लड़ाई जारी रहेगी।”
लोगों का फूटा गुस्सा, उठी एक मांग – दुकान हटाओ, अटल चौक बचाओ लोगों ने साफ कर दिया है :
“अगर शासन-प्रशासन कान में रूई डालकर बैठा रहेगा, तो जनता सड़क पर उतरेगी!”
ये लड़ाई सिर्फ शराब दुकान की नहीं, आने वाली नस्लों की सुरक्षा की है। अटल चौक को अराजकता से आज़ाद कराना ही होगा!