“रेत के सौदागर” कर रहे पैरी नदी की लूट, प्रशासन मौन – माफिया मस्त!…

गरियाबंद। पैरी नदी अब केवल बह नहीं रही, वह चीत्कार कर रही है। कुरूस केरा घाट पर हर रात उसके अस्तित्व को चीरकर अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है — और पूरा प्रशासन या तो आंखें मूंदे खड़ा है या फिर माफिया के साथ खड़ा है।
हमारी टीम जब ज़मीनी सच्चाई का पता लगाने घाट पहुंची, तो पाया कि प्रशासन और नेताओं के दावे पूरी तरह खोखले हैं।
रात के अंधेरे में तीन से अधिक चेन माउंटेन मशीनें घाट में प्रवेश करती हैं, और सुबह से पहले उन्हें पास की नर्सरियों में छिपा दिया जाता है।
50 से अधिक हाइवा – बेरोकटोक, बेधड़क : जिस राजिम बेरियर को माइनिंग विभाग “24 घंटे सतर्क निगरानी वाला” बताता है, उसी बेरियर से रात 10:38 बजे से सुबह तक, 50 से अधिक हाइवा रेत से लदी हुई बिना किसी रोक-टोक के गुजरती रहीं।
ना कोई जांच, ना अधिकारी, ना ही माइनिंग की उपस्थिति।
क्या यही है “अवैध खनन पूरी तरह बंद” होने की सच्चाई?
कागज़ों पर तैनात टीम, ज़मीन पर माफिया का राज : जब हमारी टीम ने जिला खनिज अधिकारी रोहित साहू से इस पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा –
“जिले में अवैध माइनिंग पूरी तरह बंद है। राजिम बेरियर पर हमारी टीम 24 घंटे तैनात रहती है। अगर कहीं कुछ हो रहा है, तो कार्रवाई की जाएगी।”
लेकिन जो सच हमारी टीम ने देखा, वह साफ़ करता है कि या तो प्रशासन जानबूझकर अंधा बना हुआ है, या माफिया के साथ सांठगांठ कर बैठा है।
क्या माफिया चला रहे हैं गरियाबंद प्रशासन? –
- क्या राजिम बेरियर सिर्फ कागज़ों पर सक्रिय है?
- क्या रेत माफिया को खुली छूट देने के लिए ही यह बेरोकटोक रास्ता बनाया गया है?
- और क्या विधायक रोहित साहू को सच दिखाई नहीं दे रहा, या वे भी “दावों” के भ्रम में हैं?
अब जनता पूछेगी – जिम्मेदार कौन? –जब पत्रकारों पर कवरेज के दौरान हमले होते हैं, जब घाटों पर खुलेआम लाठी-डंडे चलते हैं, और जब हर रात नदी को खोखला कर रेत से लदे हाइवा निकलते हैं, तब प्रशासन की चुप्पी लापरवाही नहीं, मिलीभगत को दर्शाती है।
अब सवाल नहीं, सीधी चेतावनी –
या तो माफिया हटेंगे, या फिर कुर्सियाँ!
हमारी टीम ने सच उजागर कर दिया है — कैमरे में सब दर्ज है।
अब जनता जाग चुकी है, और यह लड़ाई सवालों से नहीं, जवाबों से लड़ी जाएगी।