रायपुर

रायपुर में कानून को खुली चुनौती! वकार हुसैन पर सुनियोजित हमला – BNS की कठोर धाराओं में एफआईआर, लेकिन आरोपी अब भी आज़ाद…

रायपुर | क्या राजधानी रायपुर अपराधियों के लिए सुरक्षित शरणस्थली बनती जा रही है? क्या भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की नई धाराएं भी अब सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गई हैं? यह सवाल तब और अधिक प्रासंगिक हो जाता है जब एक युवक पर सरेआम हमला होता है, उसे जान से मारने की धमकी दी जाती है, एफआईआर दर्ज होती है — फिर भी आरोपी बेखौफ़ और बेलगाम घूमते नजर आते हैं।

घटना का घटनाक्रम – वकार हुसैन बना सुनियोजित हिंसा का शिकार : लोधीपारा निवासी वकार हुसैन सोमवार शाम अपने परिचितों से मिलने राजा तालाब गया था। यह एक सामान्य भेंटवार्ता कुछ ही पलों में एक हिंसक षड्यंत्र में बदल गई। वहां पहुंचे इम्तियाज़ खान और निसार खान उर्फ काकू ने पैसों के लेनदेन को लेकर विवाद शुरू किया, जो शीघ्र ही अपशब्दों, धक्का-मुक्की और मारपीट में तब्दील हो गया।

वकार हुसैन के अनुसार, उसे जान से मारने की धमकी दी गई और कहा गया, “तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे।” यह स्पष्ट रूप से पूर्वनियोजित हमला प्रतीत होता है, जिसकी जड़ें गहरी और इरादे खतरनाक हैं।

एफआईआर के बाद भी गिरफ्तारी नहीं – पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल : जब इतनी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हो चुका है, तब आरोपियों की अब तक गिरफ्तारी न होना पुलिस की कार्यशैली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या अपराधियों को पुलिस प्रशासन का परोक्ष संरक्षण प्राप्त है? या फिर यह केवल लापरवाही और संवेदनहीनता का परिणाम है?…

स्थानीय जनता में आक्रोश – “अगर अब चुप रहे तो कल किसी और की बारी होगी” : घटना के बाद लोधीपारा, राजा तालाब और आसपास के क्षेत्रों में असंतोष और तनाव की स्थिति बनी हुई है। नागरिकों, युवाओं और सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर यह मांग रखी है कि :

  • आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो,
  • मामले की न्यायिक निगरानी में जांच हो,
  • केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए,
  • क्षेत्र में स्थायी पुलिस गश्त सुनिश्चित की जाए।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी – क्या संवेदना अब सिर्फ चुनावी अवसरों तक सीमित रह गई है : घटना के कई दिन बीत जाने के बावजूद अब तक किसी भी स्थानीय विधायक, पार्षद या प्रशासनिक अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा नहीं किया और न ही कोई बयान जारी किया है। यह चुप्पी केवल शर्मनाक ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व से विमुखता का भी प्रतीक है।

यह सिर्फ वकार की नहीं, हर नागरिक की लड़ाई है : यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अब अपराधी पहले से अधिक संगठित, दुस्साहसी और कानून से बेखौफ हो चुके हैं। अगर इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह संकेत जाएगा कि BNS 2023 जैसी प्रभावी संहिताएं भी केवल दिखावे भर की हैं।

जनता की चेतावनी : यह प्रकरण न केवल कानून व्यवस्था, बल्कि सामाजिक चेतना की भी परीक्षा है। अब समय आ गया है कि जनता संगठित हो, आवाज़ बुलंद करे और यह स्पष्ट कर दे कि:

“अगर अपराधी आज़ाद हैं, तो जनता अब चुप नहीं रहेगी!”

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