रायपुर

रायपुर : महिला बाल विकास में मिलेट्स के टेंडर को लेकर चल रहा सुनियोजित खेल…

◆ अधिकारियों की मिली भगत से सप्लायर को गुपचुप तरीके से टेंडर देने का मामला आया सामने…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के बनते ही बदलाव की अपेक्षा सभी को थी। पर आज भी शासकीय विभागों में पूर्व सरकार के खास अधिकारी कुंडली मारकर बैठे हुए है।सरकार बदलने के बाद भी इनका रवैया नही बदला। आज भी खेला करने का काम बड़े ही गोपनीय तरीके से किया जा रहा है।

ताजा मामला महिला बाल विकास विभाग का सामने आया है। नया रायपुर के इंद्रावती भवन में महिला बाल विकास विभाग में करोड़ो के काम को गुपचुप तरीके से एक बड़े सेठ को देने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। काम भी उस विभाग का जिनका सरकार से ज्यादा सरोकार है। बिना टेंडर के ही करोड़ो के काम को सुनियोजित तरीके से देने का खेल किया जा रहा है। प्रदेश की सरकार अपने बेहतरीन कार्यो को जनता तक ले जाने के लिए प्रयासरत है वही इस विभाग के अफसर करोड़ो के काम मे अपनी जेबें भरकर काम राजधानी के एक सेठ को देने की तैयारी में है। लोगो को जागरूक करके काम देने की योजना भी जबरदस्त बनाई गई है। महिला बाल विकास में मिलेट्स सप्लाई के काम का खेल इस बड़े सप्लायर सेठ ने बनाया है। इसमे काम उसको ही मिले इसके लिए इसने यहाँ के अफसरों को अपने आका मंत्री से भी बोलवाया है। वैसे इस मंत्री के पास दूसरा विभाग है पर विभाग की मंत्री अभी नई नई आई है। इनको विभाग के कामो की ज्यादा जानकारी है नही इसलिए सेठ ने अपने मंत्री से महिला बाल विकास विभाग के अफसरों को बोलवाने के बाद अपनी सेटिंग जमा ली है। सुनने में यह भी आया है कि इस काम के एवज में बडी रकम इन अफसरों को दी जा चुकी है। बतौर एडवांस के रूप में देने के बाद यह सप्लायर ने अपना खेल गोपनीय तरीके से खेल लिया है।

छत्तीसगढ़ के दस जिलों को लेकर एक प्रोजेक्ट बनाया गया।उसके बाद इन जिलों में बड़ी सप्लाई की जाएगी। वैसे इस सप्लायर ने अपने खास मंत्री के विभाग में भी सेटिंग कर ली है। करोड़ो का खेल किस तरह से इस सरकार में हो रहा है।इस बात की जानकारी अब दिल्ली तक भी जानी शुरू हो गयी है।

रायपुर के एक आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है कि महिला बाल विकास विभाग में पदस्थ अफसरों की भी जांच मुख्यमंत्री जी को करवानी चाहिए। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार इसी विभाग में किया जाता है। पूर्व की भूपेश बघेल सरकार में भी यहाँ करोड़ो अरबो का खेल हुआ था। भारत सरकार की योजना के फंड को एक निजी बैंक में जमा करवाकर यहाँ के अधिकारियों ने पांच कार भी अपने लिए मंगा लिए थे। उस मामले की भी जांच की जानी चाहिए। ऐसे बहुत से मामले महिला बाल विकास विभाग के पास है, जिनका भेद अभी खुलना बाकी है।

सुशासन वाली सरकार के नाम को खराब करने वाले सप्लायर व अफसरों को जेल के अंदर डालने की आवश्यकता है। मिलेट्स का काम संचालनालय में बैठे अधिकारी, अपनी जेबें भरने का खेल बेखोफ होकर कर खेल रहे है। इस मामले में विभाग के लोगो की मिलीभगत तो लगभग उजागर हो गयी है अब जरूरत सूबे के मुखिया को इस खेल में शामिल लोगों के ऊपर कार्यवाही करने की है ।

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