रायपुर

रायपुर : पूर्व मंत्री के पीए और उसके भाई का रसूख अब भी बरकरार, सुशासन की सरकार में भी ‘खेल’ जारी…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की सत्ता बदली, सरकार बदली, लेकिन मलाई खाने वालों का खेल जारी है। सत्ता परिवर्तन से पहले ही कुछ ‘खास’ लोग अपनी सेटिंग इतनी मजबूत कर चुके थे कि नई सरकार में भी उनकी धमक बनी हुई है। पूर्व कांग्रेस सरकार के एक कद्दावर मंत्री के बेहद करीबी रहे उनके पूर्व पीए ने समय रहते अपने ठिकाने सुरक्षित कर लिए और अपने भाई को भी सत्ता की नई बयार में प्रमोशन दिलवाकर मजे में बैठा दिया।

पीए की ‘खास’ चालाकी, सत्ता बदलने से पहले ही सेटिंग पूरी : बताया जाता है कि यह पूर्व पीए न केवल मंत्री का सबसे खासमखास था, बल्कि सारा राजनीतिक गणित वही तय करता था। कौन मंत्री से मिलेगा, कौन नहीं—यह सब उसी के इशारों पर चलता था। यहां तक कि कई लोगों का मानना है कि मंत्री की हार का बड़ा कारण भी यही पीए था, जिसने सत्ता में रहते हुए अपनी मनमानी चलाई और अंततः नाराजगी की आग में मंत्री की कुर्सी जल गई।

लेकिन मजे की बात यह है कि सत्ता जाते ही इस पूर्व पीए ने अपनी रणनीति बदल दी। उसे पहले ही आभास हो गया था कि कांग्रेस की विदाई तय है, इसलिए उसने अपनी मजबूत प्रशासनिक पकड़ के दम पर सुशासन की सरकार में भी अपनी जगह बना ली।

भ्रष्टाचार का काला खेल, भाई को भी मलाईदार पोस्टिंग : पूर्व की भूपेश सरकार में इस पीए और उसके भाई ने सरकारी तंत्र का जमकर दोहन किया। भाई को भी प्रतिनियुक्ति में रसूखदार विभाग में बिठा दिया गया, जहां से पांच साल तक सरकारी खजाने की लूट जारी रही। सुशासन की सरकार में जब विभाग की जांच शुरू हुई, तो चालाकी दिखाते हुए भाई को मूल विभाग में वापस भेज दिया गया। लेकिन खेल यहीं खत्म नहीं हुआ—अपने रसूख और नौकरशाहों से ‘गहरी सेटिंग’ के दम पर भाई का प्रमोशन भी करवा लिया गया।

कमिश्नर भी ‘खास’, पीए की सेटिंग अभी भी बरकरार : सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान कमिश्नर जो मंत्री जी के क्षेत्र में कलेक्टर रह चुके हैं, वे अब भी इस पूर्व पीए के इशारे पर काम कर रहे हैं। यही कारण है कि सत्ता बदलने के बावजूद पूर्व पीए और उसके भाई की मौज बनी हुई है। राजधानी सहित कई जिलों में इन दोनों ने करोड़ों की प्रॉपर्टी बना ली है, लेकिन कोई उनकी तरफ उंगली तक नहीं उठा पा रहा।

‘बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी?’-साय सरकार की नजर कब पड़ेगी? मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पहले ही साफ कर चुके हैं कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा और हर घोटाले की जांच होगी। अब बड़ा सवाल यही है कि इस पूर्व पीए और उसके भाई पर सरकार की जांच एजेंसियों की नजर कब पड़ेगी? क्या सुशासन की सरकार में भी भ्रष्टाचारियों का खेल इसी तरह जारी रहेगा, या फिर इन पर जल्द ही शिकंजा कसेगा? सत्ता किसी की भी हो, लेकिन मलाई खाने वालों का खेल जारी रहता है-अब देखना यह होगा कि साय सरकार की कार्रवाई इस ‘खास’ खिलाड़ी तक कब पहुंचती है!

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