रायपुर ट्रंक मर्डर केस : ‘वकील’ बना ‘कातिल’ मकान की लालच में रची किशोर की हत्या की खौफनाक साजिश!…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में उस वक्त सनसनी फैल गई, जब इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के एक मकान में बंद ट्रंक से युवक की लाश बरामद हुई। अब इस चौंकाने वाले हत्याकांड की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। मृतक की पहचान रायपुर निवासी किशोर पैंकरा के रूप में हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस हत्या का मास्टरमाइंड कोई पेशेवर अपराधी नहीं, बल्कि क़ानून की किताब थामने वाला एक वकील है अंकित उपाध्याय।
वकील ने रचा खून का सौदा, पत्नी बनी हमसफ़र : इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस ने आरोपी वकील अंकित उपाध्याय और उसकी पत्नी शिवानी को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। दोनों को मंगलवार की शाम दिल्ली एयरपोर्ट से रायपुर लाया गया। वहीं, इस हत्याकांड में शामिल दो अन्य सहयोगी पहले ही रायपुर पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं।
मकान के सौदे में रची गई मौत की स्क्रिप्ट : सूत्रों के मुताबिक, मृतक किशोर पैंकरा ने अपना मकान 30 लाख में वकील अंकित को बेचा था। लेकिन लालच का चाबुक ऐसा चला कि अंकित ने वही मकान 50 लाख में किसी और को बेच दिया — किशोर को भनक तक नहीं लगने दी। जब किशोर को सौदे की जानकारी मिली, तो उसने अपना जायज़ हक़ मांगते हुए 10 लाख की हिस्सेदारी माँगी। यहीं से शुरू हुआ हत्या का खेल…
अंकित को यह मांग नागवार गुज़री, और उसने पत्नी शिवानी व दो अन्य साथियों के साथ मिलकर किशोर को रास्ते से हटाने की साज़िश रच डाली। एक सुनियोजित प्लान के तहत किशोर की हत्या कर दी गई और लाश को ट्रंक में भरकर मकान में छिपा दिया गया।
हाईप्रोफाइल गिरफ्तारी, दिल्ली से रायपुर तक चला ऑपरेशन : सीआईएसएफ और दिल्ली पुलिस की मदद से रायपुर पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल हत्या के आरोपियों को धर दबोचा। पुलिस का दावा है कि वकील अंकित उपाध्याय इस साजिश का मास्टरमाइंड है। वर्तमान में आरोपियों से गहन पूछताछ जारी है और केस से जुड़ी कई परतें अब भी खुलना बाकी हैं।
सवालों के घेरे में वकीलों की नैतिकता :एक वकील जिसने न्याय की शपथ ली हो, वही अगर हत्या की पटकथा लिखे, तो कानून और इंसाफ़ दोनों पर से भरोसा डगमगाने लगता है। क्या अब वकील भी कोर्ट के बजाय क्राइम सीन रचने लगे हैं?
यह मामला सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि कानून की पोशाक में छिपे लालच और धोखे का आईना है। रायपुर पुलिस की तत्परता ने एक बड़े अपराध का पर्दाफाश किया है, लेकिन अब पूरा प्रदेश यही पूछ रहा है “कानून के रखवालों से कौन बचाएगा साहब?…”