रायपुर

रायपुर : जल संसाधन विभाग में झूठे शपथ-पत्र एवं हस्तगत कार्यों को छिपाकर करोड़ों के टेंडर मामले में बड़ा घोटाला…

• ‎अपराधिक प्रवृति का कांग्रेसी ठेकेदार अमित जायसवाल की पकड़ तगड़ी, कहीं मैली ना हो जाये सीएम साय और मंत्री केदार कश्यप की पगड़ी…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों तक सत्तासीन रही भाजपा 2018 में हत्थे से उखड़ गई और कांग्रेस का कुर्सी पर कब्जा हो गया। मात्र पांच साल में ही भूपेश बघेल की कार्यप्राणाली एवं कांग्रेस से त्रस्त होकर जनता ने भाजपा को एक बार पुन: सत्तासीन किया। भाजपा की केन्द्रीय समिति (संगठन) ने इस बार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के हिसाब से मुख्यमंत्री भी आदिवासी बनाया, साथ ही बस्तर के कद्दावर भाजपा नेता बलीराम कश्यप के सुपुत्र केदार कश्यप को सिंचाई विभाग का महत्वपूर्ण पद भी प्रदान किया।

आदिवासी सरलता की प्रतिमूर्ति कहलाता है किन्तु उनके इर्द-गिर्द रहने वाले चतुर-चालाक मक्कार कहलाने वालों के कारण बदनाम भी होता है और ऐसा ही एक मक्कार किस्म का शक्स इन दिनों सिंचाई मंत्री केदार कश्यप के इर्द-गिर्द पाया जा रहा है। जिससे विभागीय मंत्री सहित सीधे-साधे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है…। आने वाले विधानसभा में शायद यह शख्स पुन: कांग्रेस को सत्तारूढ़ करना चाहता है जिसे भाजपा समझ ही नहीं पा रहीं क्योंकि हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं वह अंबिकापुर में कांग्रेस के कद्दावर नेता का करीबी कहलाता है। वह हैं श्रृंग कन्सट्रक्शन वर्ग-ए ठेकेदार अंबिकापुर में कांग्रेस का महामंत्री द्वितेन्द्र मिश्रा और श्रृंग कन्सट्रक्शन का पार्टनर के साथ ही अपराधिक प्रवृति का अमित जायसवाल, ये लोग कांग्रेसी नेता सरगुजा महाराज सिंहदेव के चहेते कहलाते हैं जो चर्चा-चौपाल में विख्यात है…।

सिंचाई विभाग में भाजपा समर्थित कितने ठेकेदार कार्य कर रहे है…. ? कितने आदिवासी ठेकेदारों को अवसर मिला है, यह तो मुख्यमंत्री ही जाने यो फिर विभागीय मंत्री केदार कश्यप ही जाने… किन्तु उच्चाधिकारियों द्वारा कांग्रेसी ठेकेदार अमित जायसवाल को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन से लेकर अब तक लगभग अरबों का काम तो दिया ही गया होगा… छत्तीसगढ़ के श्रृंग कन्ट्रक्शन और महाराष्ट्र के खलतकर इंफ्रा. ने सारे नियम कानून को ताक पर रख कर करोड़ों रूपये का कार्य उठाया वहीं दबाकर शासन को चूना भी लगाया जिसकी सुक्ष्मता और ईमानदारी से जाँच भी हो गई तो द्वय ठेकेदारों सहित सहयोग करने वाले अधिकारी हवालात की हवा. खाते नजऱ आएंगे… क्योंकि श्रृंग कंस्ट्रक्सन द्वारा झूठे शपथ पत्र के साथ ही हस्तगत कार्यों को जहाँ दिखाना था वहाँ छिपा दिया गया ताकि छत्तीसगढ़ में चलने वाले श्रृंग कंस्ट्रक्सन के कार्य को दिख ना पाए… अगर श्रृंग कंस्ट्रक्सन ने छत्तीसगढ़ में होने वाले समस्त हस्तगत कार्यों को दिखा दिया होता तो करोड़ों-अरबों के निविदा में लिए गये कार्यो से वंचित हो जाना निश्चित था।

अब देखना यह है कि क्या विभागीय मंत्री केदार कश्यप इस भ्रष्ट और 420 अपराधिक प्रवृति के ठेकेदार अमित जायसवाल के फर्म श्रृंग कन्सट्रक्शन पर कार्यवाही करते हुए इसे ब्लैक लिस्ट करते है या फिर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरों टारलेंस की मुहिम को नजर अंदाज करते हुए सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लागाने की खुली छूट देते है…।

सत्ता किसी भी पार्टी की हो… बहने वाली उस सत्ता की सरिता (नदी) में डूबकी सभी मारते हैं… चाहे पक्ष हो या विपक्ष… बिना डूबकी मारे, काम भी नहीं चलता… वरना होने वाले भ्रष्टाचार की पोल उजागर होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है.. तू मेरी धो… मैं तेरी… की तर्ज पर चलने वाला खेल बरसों से चला आ रहा है… हम सत्ता की बात इसलिए भी कर रह हैं… क्योंकि सरकार के इशारे पर चलने वाले विभागों में, होने वाले भ्रष्टाचार… या करने वाले भ्रष्टाचारियों पर सरकार की ही लगाम होती है… किंतु उन भ्रष्टाचारियों पर चाबूक चलाने वाली सरकार… खुद ही मूकदर्शक हो जाए तो दोष किसे दें…? समझ से परे है…?‎

अगर एक विभाग जल संसाधन की ही बात करें तो ठेकेदारों सहित कई अधिकारियों का काला चिट्ठा खुल सकता है… शासन के संज्ञान में भी है… चाहे भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की… किंतु एक दूसरे के पाजामें का नाड़ा पकड़े… ठेकेदार-अधिकारियों पर आज तक कार्यवाही का ना होना… सत्तासीन दिग्गजों को भी कटघरे में खड़ा करता है। ‎महाराष्ट्र के मेसर्स खलतकर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्रायवेट लिमिटेड ‘अÓ वर्ग ठेकेदार नागपुर निवासी ने छत्तीसगढ़ शासन को शपथ पत्र में गलत जानकारी देकर… शिवनाथ नदी पर कुकर्दी (अमलडीहा) एनीकट निर्माण हेतु जलसंसाधन विभाग छत्तीसगढ़ से… तथ्यों को छिपाकर गलत और झूठी जानकारी देते ठेका अनुबंध प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया… जलसंसाधन विभाग में स्थापना से लेकर तकनीकी के अद्भूत ज्ञाता विराजमान हैं… किंतु करोड़ों-अरबों की चल-अचल संपत्ति अर्जित करने वाले ठेकेदारों को और ना ही विभागीय अधिकारियों की भूख मिट पाई, मेसर्स खलतकर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ‘अ` वर्ग ठेकेदार ने अपने द्वारा महाराष्ट्र में चलने वाले हस्तगत कार्यों की संपूर्ण जानकारी ना देते छत्तीसगढ़ में चलने वाले अनेक्चर के मात्र दो स्थानों पत्थलगांव व ब्लाक जिला जशपुर एवं तिल्दा ब्लाक जिला रायपुर का ही उल्लेख किया है… इतना ही नहीं.. जल संसाधन विभाग में दिए शपथ पत्र में कॉलम 4 में स्पष्ट किया है कि… निविदा अहर्ता हेतु मेरे/हमारे द्वारा निविदा के साथ प्रस्तुत समस्त प्रमाण पत्र/अभिलेख सत्य एवं सही है… एवं कोई भी जानकारी नहीं छिपाई गई… तथा इनकी सत्यकथा के लिए मैं/हम पूर्ण रूप से उत्तरदायी हैं…। कोई भी जानकारी असत्य पाए जाने पर निविदा हेतु प्रस्तुत धरोहर राशि छग शासन के पक्ष में राजसात करने एवं अन्य आवश्यक कार्यवाही करने हेतु जलसंसाधन विभाग अधिकृत है…।

जबकि मेसर्स खलतकर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा महाराष्ट्र में किए गए …अनेक कार्यों में चंद कार्यों को छत्तीसगढ़ की सत्ता मय प्रमाण के प्रकाशित कर रहा है… जिसमें

1. चिमुर जिला चंद्रपुर महाराष्ट्र में अपग्रेडेशन २४+क्कस्/०४ रुश्वहृ हृ॥-३५३श्व निविदा राशि (लाखों में) 4532.05, निष्पादित कार्य लाख राशि 3542.00, हस्तगत राशि (लाख में) 990.05…।

2. सिंदेवय जिला चंद्रपुर महाराष्ट्र धोदावरी शाखा नहर के शेष मिट्टी कार्य और कट ओवर 48410 मीटर से 49940 मीटर तक निविदा राशि (लाख में) 4034.70, निष्पादित कार्य 1453.34 हस्तगत राशि (लाख) में 2581.36…।

3. शिंदेवाडी जिला चंद्रपुर महाराष्ट्र के घोंदावारी शाखा नहर की.मी. 51 से 55.04 की. मी. तक मिट्?टी कट ओवर स्ट्रक्चर और लाइनिंग के कार्य- निविदा राशि (लाख में) 3542.23 निष्पादित कार्य (लाख में) राशि 2498.06 हस्तगत राशि (लाख में) 1044.27…।

4. भिवापुर नागपुर महाराष्ट्र के मोखा वरदी लिफ्ट इरिगेशन स्कीम के क्र.ष्ठ.ह्र. से 444.10 मीटर मुख्य नहर का शेष कार्य, निविदा राशि (लाख) में 5188.78, निष्पादित कार्य (लाख) राशि 1817.88, हस्तगत राशि (लाख में) 3370.90…।

5. क्क्यत्र-5 सीमेंट कंक्रीट रोड निर्माण क्रष्ठ-2 हेम्पाई रोड से लोकमाता खापर बलराज मार्ग क्रष्ठ-8 खेर मार्ग धन्टोली, निविदा राशि (लाख में) 1587.00, निष्पादित कार्य (लाख) राशि 0.00, हस्तगत राशि (लाख में) 1587.00…।

6. क्क्यत्र-5, सीमेंट कंक्रीट रोड निर्माण क्रष्ठ-26 हसनबांध चौक से गदगेनगर रमन मारोती से अप गजानन मंदिर क्रष्ठ-27, निविदा राशि (लाख में) 1496.00, निष्पादित कार्य (लाख) राशि 0.00, हस्तगत राशि (लाख में) 1496.00…।

7. प्रतापनगर स्क्वायर से ओरंज स्ट्रीट रोड क्क्यत्र-14 सीमेंट कंक्रीट रोड निर्माण निविदा राशि (लाख में) 1806.00, निष्पादित कार्य (लाख) राशि 0.00, हस्तगत राशि (लाख में) 1806.00…। कार्य शामिल हैं… जिसे विभाग के सामने दर्शाया नहीं गया… ऐसी चर्चा आम है…।

सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की चालबाजी से जहां सरकारी टैक्स की चोरी सरेआम की जाती है… और सरकार की खजाने को चोट पहुंचाई जाती है… इस ओर सरकार की नजर क्यों नहीं जाती…? उधर खलतकर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड नागपुर ने छत्तीसगढ़ में लिए कार्यों में महाराष्ट्र के किए गए हस्तगत कार्यों को जहां शासन से छिपाया… वहीं छत्तीसगढ़ के मेसर्स शृंग कंस्ट्रक्शन ‘अÓ वर्ग ठेकेदार अंबिकापुर ने जलसंसाधन विभाग छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र के खलतकर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड नागपुर के कार्यों को सबलेट में लेकर… सरकारी खजाने को चुना कैसे लगाया जाता है…? यह इन सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों को बखूबी पता है… जहां खलतकर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा ने हस्तगत कार्यों को छिपाकर जलसंसाधन विभाग को गुमराह किया… वहीं छत्तीसगढ़ के मेसर्स शृंग कंस्ट्रक्शन ‘अÓ वर्ग ठेकेदार अंबिकापुर ने खलतकर इंफ्रा द्वारा छत्तीसगढ़ जलसंसाधन से लिए कार्यों का सबलेट लेकर अपने हस्तगत कार्यों को छिपाकर शासन को गुमराह किया…। जिसमें मेसर्स शृंग कंस्ट्रक्शन ने छत्तीसगढ़ में चलने वाले लगभग 14 हस्तगत कार्यों को शासन से छिपाकर मेसर्स खलतकर इंफ्रा को लाभ पहुंचाया है… जिसमें सेंद्रिपानी टैंक स्कीम, रेंगनर स्कीम निमार्ण योजना, अमामुडा डायवर्सन स्कीम, कंसट्रक्शन वर्क ऑफ दबेना, एनिकट, लहसुनवाही टैंक स्कीम, जोगिसर एनिकट स्कीम निर्माण कार्य, बलेन्हारा टैंक स्कीम, दंतेवाड़ा स्कीम निर्माण योजना, कंस्ट्रक्शन ऑफ 402.00द्व लॉग क्रष्टष्ट महानदी रिवर नियर विलेज सल्हेटोला, जोरबहरा जलाशय निर्माण कार्य योजना, स्टॉप डैम कम कल्वर्ट एट कंचनपुर निर्माण कार्य एवं तिपन नदी डाईवर्जन स्कीम निर्माण कार्य शामिल है… एैसे में सवाल उठता है कि टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण करने वाले विभागीय अधिकारी… टेंडर प्रक्रिया के दस्तावेजों की बारीकियों पर सूक्ष्म नजर रखते हैं… जिसमें गलती की कोई गुंजाईश ही नहीं होती… किंतु वेंडर को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने सारे नियमों को ताक पर रखकर… जहां अपने कार्य के प्रति बेईमानी की… वहीं शासन और विभाग के साथ भी गद्दारी कर डाली… ठेकेदार तो शपथ पत्र में राजसात करने का उल्लेख कर देता है… एैसे में इन अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति को क्या राजसात नहीं करना चाहिए…? जो शासन के खजाने को चपत लगाकर अकूत संपत्ति अर्जित कर एैश कर रहे हैं…? सवाल विभागीय मंत्री पर भी उठ रहे हैं और स्वच्छ छवि का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार पर भी… जिनके नाक के नीचे करोड़ों-अरबों के घोटाले हो जाएं और उन्हें हवा भी ना लगे…?

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