रायगढ़ में पत्रकारों पर हमला : सत्ता का संरक्षण या प्रशासन की नाकामी?…

समाचार कवरेज कर रहे पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की , थाने के सामने हुई घटना, पत्रकार सुरक्षा को लेकर उठे सवाल…
रायगढ़। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता समाज को निष्पक्ष और सही जानकारी देने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। लेकिन रायगढ़ जिले के जुटमिल थाना क्षेत्र में बीती शाम पत्रकारों के साथ हुई घटना ने पत्रकार सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। समाचार कवरेज के दौरान भाजपा नेता रविंद्र भाटिया के पुत्र तरनजीत भाटिया और उनके कुछ साथियों द्वारा पत्रकारों के साथ अशोभनीय व्यवहार और दुर्व्यवहार की घटना सामने आई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस दौरान पत्रकारों से धक्का-मुक्की की गई और उन्हें अपशब्द कहे गए। यह घटना थाने के सामने हुई, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता चर्चा का विषय बन गई है।
पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार : निष्पक्ष जांच की आवश्यकता : पत्रकार राजा खान, दीपक शोमवानी और मनीष सिंह (खबर उजागर) एक महत्वपूर्ण समाचार की रिपोर्टिंग कर रहे थे, जब यह घटना घटी, स्थानीय नागरिकों के हस्तक्षेप से स्थिति नियंत्रण में आई, लेकिन यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि पत्रकारों को समाचार संकलन के दौरान इस तरह की स्थितियों का सामना क्यों करना पड़ता है?
प्रशासन की भूमिका पर सवाल : घटना स्थल थाना भवन के निकट होने के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता ने कई सवाल खड़े किए हैं। यदि किसी भी नागरिक या पत्रकार को सुरक्षा का भरोसा नहीं रहेगा, तो यह कानून व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। पत्रकारों ने इस मामले में निष्पक्ष जांच और उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सुरक्षा आवश्यक : पत्रकारिता समाज का आईना होती है और इसके सुरक्षित रहने से ही जनता तक सही जानकारी पहुंच पाती है। यह आवश्यक है कि पत्रकारों को सुरक्षित और स्वतंत्र वातावरण में कार्य करने दिया जाए।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करता है या नहीं। यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह पत्रकार सुरक्षा के प्रति एक नकारात्मक संदेश दे सकता है।