रायगढ़ : भाजपा में बगावत के सुर-कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से संगठन में हलचल, घरघोड़ा की हार से गहराया संकट…

रायगढ़। जिले में भाजपा ने हालिया चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, लेकिन इस विजय के बाद संगठन में असंतोष के स्वर मुखर हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं की अनदेखी और नए समीकरणों के चलते पार्टी के भीतर मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वरिष्ठ कार्यकर्ता और नेता अपने विचार खुलकर रख रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि संगठनात्मक फैसलों को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है।
घरघोड़ा में अप्रत्याशित हार – कार्यकर्ताओं में नाराजगी : घरघोड़ा नगर पंचायत में भाजपा के 9 पार्षद होने के बावजूद कांग्रेस समर्थित 4 पार्षदों की रणनीति के चलते उपाध्यक्ष पद पार्टी के हाथ से फिसल गया। यह परिणाम संगठन की रणनीतिक कमजोरी और आंतरिक समन्वय की कमी को दर्शाता है।
भाजपा नेता दिनेश गोरख ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा –
“खरसिया जीतने के चक्कर मे घरघोडा हार रहे है लगातार…विचार करे जिला भाजपा के पदाधिकारीगण”
पंकज ठाकुर ने अपनी टिप्पणी में कहा :
“अपनी घर भी नहीं बचा पाए सत्ताधारी जिलाध्यक्ष सांसद जी बधाई नगर पंचायत उपाध्यक्ष घरघोड़ा”
वहीं, भाजपा नेता सुनील सिंह ठाकुर ने सीधे शब्दों में लिखा :
“घरघोड़ा क्षेत्र के गद्दार पार्षद और उनको प्रोत्साहित करने वाले दिग्गज भाजपा नेताओ को गद्दारी मुबारक,,, किसी को नीचा दिखाने के लिए पार्टी का बेड़ा गर्क कर रहे है।”
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर फैसले से असंतोष : भाजपा को जिला पंचायत चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली थी, लेकिन संगठन के फैसले से कार्यकर्ता आश्चर्यचकित रह गए। वरिष्ठ एवं समर्पित नेता रजनी राठिया, शांता भगत और सुषमा खलको में से किसी को भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद नहीं दिया गया, बल्कि हाल ही में कांग्रेस से आए नेता की पत्नी को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई। 6 मार्च को जब नाम की आधिकारिक घोषणा हुई, तो कार्यकर्ताओं में असंतोष स्पष्ट रूप से नजर आया। भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत, जिनकी पत्नी शांता भगत खुद डीडीसी हैं, ने अपनी नाराजगी एक कविता के रूप में व्यक्त की –
“मैं अड़ियल हूं सच के खातिर,
मैं जिद्दी हूं हक के खातिर,
मैं लड़ता हूं जनहित के लिए,
इतनी तो मेरी गलती है।”
भाजपा जिलाध्यक्ष पर मनमानी के आरोप : भाजपा जिलाध्यक्ष अरुणधर दीवान को पद संभाले ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन संगठन में उनके फैसलों को लेकर असहमति बढ़ रही है। घरघोड़ा में पार्टी की हार और जिला पंचायत अध्यक्ष चयन प्रक्रिया के बाद उन पर कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने और मनमानी करने के आरोप लगे हैं।
भविष्य की राह-क्या संगठन एकजुट रह पाएगा? : रायगढ़ में भाजपा ने चुनावी जीत का परचम जरूर लहराया, लेकिन कार्यकर्ताओं में बढ़ता असंतोष संगठन के लिए एक नई चुनौती बन सकता है। अगर शीर्ष नेतृत्व ने जल्द ही संवाद स्थापित नहीं किया और कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया, तो यह असंतोष पार्टी की भविष्य की रणनीति और संगठनात्मक मजबूती को प्रभावित कर सकता है।
अब सवाल यह है कि भाजपा इस स्थिति को कैसे संभालेगी और क्या संगठन की एकजुटता को बरकरार रख पाएगी? आने वाले दिनों में इसका असर स्पष्ट रूप से दिख सकता है।