रायगढ़

रायगढ़-धरमजयगढ़ में हाथियों का आतंक ! फसलें तबाह, ग्रामीणों की रातें बेचैन, दंतैल के हमले में ग्रामीण की मौत…

रायगढ़। रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में 117 हाथियों का दल बेकाबू हो चुका है। हर रात ये झुंड गांवों के करीब पहुंचकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। सोमवार रात ही 11 किसानों की फसलें रौंद दी गईं, जिससे सैकड़ों क्विंटल अनाज बर्बाद हो गया। गांवों में दहशत का माहौल है, किसान रातभर जागने को मजबूर हैं, लेकिन वन विभाग के दावे हवा में उड़ रहे हैं।

घरघोड़ा के जंगल में दंतैल ने ली जान, लाश मिलने के बाद मचा हड़कंप : घरघोड़ा वन परिक्षेत्र के बरौद बीट में मंगलवार को एक दंतैल हाथी ने 50 वर्षीय ग्रामीण बंधन राठिया को कुचलकर मार डाला। वह जंगल में गया था, लेकिन जब घर नहीं लौटा तो गांववालों ने तलाश शुरू की। बुधवार सुबह उसकी छत-विक्षत लाश जंगल में मिली, जिससे पूरे गांव में दहशत फैल गई।

वन विभाग की लापरवाही उजागर! इलाके में हाथी ‘न होने’ की झूठी रिपोर्ट : सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वन विभाग ने 11 फरवरी 2025 को रिपोर्ट दी थी कि घरघोड़ा क्षेत्र में हाथी नहीं हैं। लेकिन ग्रामीण की मौत ने इस रिपोर्ट की पोल खोल दी। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से इलाके में हाथी घूम रहे थे, लेकिन वन विभाग इसे नजरअंदाज करता रहा। नतीजा – एक निर्दोष ग्रामीण को अपनी जान गंवानी पड़ी।

➡ रातभर जागकर खेतों की रखवाली कर रहे किसान : हाथियों के बढ़ते आतंक के कारण गांवों में रतजगा करना किसानों की मजबूरी बन गई है। हाथी मित्र दल और वनकर्मी इन्हें भगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बार-बार लौटकर ये फिर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।

➡ कहां-कहां फैला है हाथियों का आतंक? वन विभाग के मुताबिक, धरमजयगढ़ के तिलाईदरहा में सबसे ज्यादा 39 हाथी हैं। इसके अलावा –
छाल रेंज (बोजिया) – 28 हाथी
कापू (कुमरता) – 9 हाथी
रायगढ़ (कांटाझरिया) – 7 हाथी
भैंसगढ़ी – 18 हाथी
अलग-अलग रेंज में कुल 117 हाथी विचरण कर रहे हैं, जिनमें 40 नर, 55 मादा और 22 शावक शामिल हैं।

गांवों में खौफ, प्रशासन बेखबर! कब मिलेगा राहत? ग्रामीणों का आरोप है कि  :
रात के समय गांवों की बिजली काट दी जाती है, जिससे हाथियों का खतरा और बढ़ जाता है।
वन विभाग हाथियों की लोकेशन तक नहीं ट्रैक कर पा रहा, सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।
डीएफओ ने चुनाव की व्यस्तता बताकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की।

वन्य प्राणी प्रेमी गोपाल अग्रवाल (रायपुर) ने इस मामले में सीसीएफ से जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि वन विभाग को जिम्मेदारी लेनी होगी, वरना आने वाले समय में और भी बड़ी घटनाएं हो सकती हैं।

क्या वन विभाग और प्रशासन जागेगा या फिर किसी और की जान जाएगी? यह पूरा मामला वन विभाग की घोर लापरवाही और प्रशासन की नाकामी को दिखाता है। ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। अगर जल्द ठोस रणनीति नहीं बनी, तो यह संकट और विकराल हो सकता है

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