रायगढ़ : “धरमजयगढ़ में आदिवासी की दर्दनाक मौत : हत्यारा हाथी नहीं, जंगल लूट की भूखी व्यवस्था है?”…

रायगढ़। जिले के धरमजयगढ़ वनमंडल अंतर्गत आमगांव क्षेत्र से एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक जंगली हाथी ने स्थानीय ग्रामीण भगत राम राठिया (आयु 40 वर्ष, निवासी वैसी गांव) को बेरहमी से कुचलकर मार डाला। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह हाथी कई दिनों से अपने झुंड से बिछड़कर इलाके में अकेले भटक रहा था।
घटना धरमजयगढ़ रेंज के 372 आरएफ जंगल क्षेत्र की है। हाथी द्वारा बार-बार पटकने के कारण मृतक के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए हैं। सूचना मिलते ही ग्रामीणों और वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
लेकिन सवाल वही है – क्या यह सिर्फ एक हादसा है या विनाशकारी विकास मॉडल की एक और बलि?…
धरमजयगढ़ और रायगढ़ का वन क्षेत्र आज जिस संकट से गुजर रहा है, वह केवल प्राकृतिक नहीं, नीतिगत और प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। खनन और उद्योगों के विस्तार के लिए जंगलों को काटा गया, हाथियों के प्राकृतिक गलियारे तहस-नहस कर दिए गए, और अब हाथी गांवों की ओर रुख करने को मजबूर हैं।
परिणाम? :
- वन्यजीव और मानव के बीच सीधा संघर्ष
- आदिवासी ग्रामीणों की लगातार मौतें
- और सरकार की चुप्पी
आंकड़ों की जुबानी त्रासदी :
- 2024-25 में धरमजयगढ़ क्षेत्र में 11 से भी अधिक लोगों की जान हाथियों के हमले में गई
- रायगढ़ जिले की 38% से अधिक वनभूमि खनन और उद्योगों को सौंप दी गई
- DBL जैसी कंपनियों द्वारा लगातार जंगलों के बीच खनन कार्य चल रहे हैं
प्रशासन के पास कागज हैं, पर समाधान नहीं : हर घटना के बाद मुआवजे की औपचारिकता होती है। वन विभाग बयान देता है। लेकिन क्या कभी किसी मंत्री, किसी नीति निर्माता ने यह पूछा – “हाथी जंगल से क्यों भटक रहे हैं?”
अब सीधा सवाल – पर्यावरण मंत्री जी, क्या आप सुन रहे हैं? : धरमजयगढ़ जल रहा है, जंगल उजड़ रहा है, आदिवासी मर रहे हैं और आपका मंत्रालय खामोश है। क्या यही पर्यावरण संरक्षण है?
मंत्री महोदय, कृपया बताइए :
- क्या DBL जैसी कंपनियों की परियोजनाओं का पर्यावरणीय मूल्यांकन हुआ था?
- क्या विस्थापित वन्यजीवों के लिए पुनर्वास नीति तैयार की गई है?
- और सबसे अहम – कब तक हाथियों के कोप का शिकार बनते रहेंगे ग्रामीण?
पर्यावरण मंत्री जी, अब तो कुछ कीजिए – वरना इतिहास गवाह रहेगा कि जब जंगल चीख रहे थे, आप चुप थे।