रायगढ़

रायगढ़ : एन.एच. 49 के किनारे सड़क मद की जमीन के खरीद-विक्री में भू-माफिया अत्याधिक सक्रिय…

रायगढ़ । नगर के बाईपास के किनारे-किनारे की जमीनों की खरीद-विक्री में आए दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसका कारण यह है कि बाईपास के निर्माण हेतु अधिग्रहित जमीनों के मुआवजे का कागजात व सड़क का नक्शा पी.डब्ल्यू.डी. के पास कथित रूप से सुरक्षित नहीं होना बताया जा रहा है। इस संबंध में वर्ष 2005 में तत्कालीन कलेक्टर ने इस समस्या के निराकरण हेतु एक आदेश पारित किया था, उस आदेश में कलेक्टर द्वारा यह कहा गया था कि एन.एच. 49 बाईपास के मध्य से दोनों ओर 30 मीटर अर्थात् 100 फुट तक किसी भी प्रकार की जमीन की खरीद-विक्री एवं किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। किन्तु आज उस आदेश का अनदेखी कर जिले का राजस्व अमला कार्य कर रहा है।

बताया जा रहा है कि गत 16 मई को जिले का राजस्व अमला अनिल केडिया नामक एक व्यक्ति के जमीन का सीमांकन करने मौके पर पहुंचा था। इस मामले में गौर करने वाली बात यह है कि श्री केडिया की जमीन बाईपास मध्य सड़क से 30 मीटर के अन्दर ही स्थित है। उसके बाद भी राजस्व अमला द्वारा आवेदक को लाभ पहुंचाने के लिए नियम विरूद्ध सीमांकन का प्रयास किया गया। हांलाकि 30 मीटर के दायरे से बाहर के जमीन मालिकों ने सीमांकन पर लिखित आपत्ती दर्ज कराई है, जिस कारण से सीमांकन कार्य रूका हुआ है। वहीं दूसरी तरफ रायगढ़ विधायक व प्रदेश के वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी द्वारा चुनाव में बाईपास को रिंग रोड बनाने का आश्वासन नगर वासियों को दिया गया था।

राजस्व अमले द्वारा इस प्रकार से बाईपास के किनारे-किनारे की जमीनों का सीमांकन, रिंग रोड के प्रस्ताव को भी खटाई में डाल सकता है। इसके अतिरिक्त आए दिन इस प्रकार के मामले समाचार-पत्रों के सुर्खियों में देखने और पढ़ने को मिल रहे हैं। इसलिए राजस्व अमले के गतिविधियों पर लोक चर्चा है कि इस प्रकार के विवादों से निजात पाने हेतु बाईपास का नक्शा जो पूर्व में बना था, उस नक्शे से वर्तमान सड़क का भौतिक सत्यापन करते हुए, चालू नक्शा व भूईयां नक्शा में सड़क मध्य से दोनों ओर 30-30 मीटर को रेखांकित किया जाना चाहिए। उसके पश्चात् ही भूमि स्वामियों के भूमि का सीमांकन किया जाना उचित प्रतीत होता है। ज्ञात हो कि भू-माफिया एवं राजस्व विभाग के साँठ-गाँठ के कारण कमोबेश ऐसी स्तिथि नगर के चारो तरफ़ उत्पन्न हो रही है। 

बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज रोड, बोइरदादर एरिया, भगवानपुर, अम्लीभौना, सांगीतराई, छातामुड़ा, सहदेवपाली, पटेलपाली, कोड़ातराई, तेतला व ओड़िसा एवं खरसिया मार्ग पर स्थित कई ग्राम जो राज मार्ग के किनारों पर स्थित हैं, वहां इस प्रकार की समस्याएं देखी जा रही हैं। इस प्रकार के सार्वजनिक समस्याओं के निराकरण के लिए शासन की ओर भी लोग आशा भरे निगाहों से देख रहे हैं। इसके अतिरिक्त खरसिया की ओर राजमार्ग के किनारे के गांवों में एक समस्या ऐसी भी देखी जा रही है कि पटवारी द्वारा जमीन सीमांकन के दौरान यदि किसी व्यक्ति के जमीन के रकबा में अंतर पाए जाने पर यह कह कर चुप करा दिया जाता है कि जो नई सड़क बनी है, उसका निर्माण कहीं-कहीं पर एक तरफा हुआ है। पटवारी के इस मौखिक कथन के पश्चात् भूमि स्वामी/कृषक अपने आप को ठगा सा महसूस करता है। इसलिए यह आवश्यक है कि नक्शे में 60 मीटर के पूर्ण सड़क को रेखांकित किया जाए।

जमीन के सीमांकन हेतु 26 जुन 2023 को नरसिंह लाल केडिया द्वारा तहसीलदार को आवेदन प्रस्तुत किया गया। इस आवेदन पर कार्यवाही करते हुए तहसीलदार ने अपने रिर्पोट में लिखा है कि आवेदक की भूमि रोड से लगकर स्थित है, जो कि मध्य सड़क से 30 मीटर की दूरी के अन्दर स्थित है, जिसका रकबा आवेदित रकबा से कम है और जिसे चालू नक्शा में लाल स्याही से चिन्हांकित किया गया है।अतः सड़क मध्य से 30 मीटर के अन्दर की जमीनों के सीमांकन से तत्कालीन कलेक्टर के आदेश का सीधा-सीधा उलंघन हो रहा है। इसी कारण से कहा जा रहा है कि इस प्रकार के समस्याओं के निराकरण के लिए बाईपास के मध्य से दोनों ओर 30-30 मीटर का उचित नक्शा रेखांकित होना आवश्यक है।

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