जशपुर

रामनगरी अयोध्या में बीजेपी की हार चौंकाने वाली…

अयोध्या। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतगणना पश्चात अयोध्या सीट से बीजेपी को करारी शिखस्त का सामना करना पड़ा है। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है जहां पार्टी 2019 के करिश्माई प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाई।  फैजाबाद सीट को अयोध्या सीट के नाम से जाना जाता है। फैजाबाद सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह को 48104 वोट से हरा दिया। अयोध्या राम मंदिर निर्माण के मुद्दा बीजेपी के चुनाव-प्रचार का अहम हिस्सा था।

बीजेपी को अयोध्या से हार क्यों मिली, आइये जानते हैं…

(1) बीजेपी का फोकस सिर्फ अयोध्य धाम पर : बीजेपी ने अयोध्या धाम के विकास पर सबसे ज्यादा फोकस किया। सोशल मीडिया से लेकर चुनाव-प्रचार में अयोध्या धाम में हुए विकास कार्यों को बताया गया लेकिन बीजेपी ने अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अयोध्या धाम से अलग ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बिल्कुल अलग रही। ग्रामीणों ने इसी आक्रोश के चलते बीजेपी के पक्ष में मतदान नहीं किया।

(2) रामपथ निर्माण के समय तोड़े गए घर, लेकिन मुआवजा नहीं मिला : अयोध्या में रामपथ के निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया। कई लोगों के घर-दुकान तोड़े गए। निराशाजनक पहलू यह रहा कि कई लोगों को मुआवजा नहीं मिला। इसकी नाराजगी चुनाव परिणाम में साफ नजर आ रही है। कुछ ऐसी ही स्थिति चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण में भी देखने को मिली। बड़ी संख्या में घर-दुकान तोड़े गए लेकिन प्रभावितों को उचित नहीं मिला।

(3) स्थानीय प्रत्याशी लल्लू सिंह के प्रति बहुत नाराजगी : बीजेपी ने सांसद लल्लू सिंह पर भरोसा जताते हुए तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा था। नया चेहरा ना उतरना ही बीजेपी को यहां भारी पड़ गया। लल्लू सिंह के खिलाफ स्थानीय लोगों को नाराजगी का अंदाजा पार्टी नहीं लगा पाई। नतीजतन बीजेपी को प्रतिष्ठित सीट गंवानी पड़ी। लल्लू सिंह ने चुनाव-प्रचार के दौरान संविधान बदलने का बयान भी दिया था जिस बयान पर काफी हो-हल्ला मचा था।

(4) आवरा पशु को लेकर नाराजगी : अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आवारा पशुओं से खासे परेशान हैं। सरकार ने गोशाला जरूर बनाई हैं लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकाल पाई है। आवारा पशुओं के मुद्दे को समाजवादी पार्टी ने मुद्दा बनाया था। बीजेपी को इस मुद्दे पर नाराजगी झेलनी पड़ी और हार का दंश झेलना पड़ा।

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