रानी दहरा झरना बना मौत का फंदा: जल प्रलय में बहे दो युवक, एक की मौत, दूसरा लापता; NDRF की रेस्क्यू टीम मौके पर तैनात…

कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में प्रकृति की गोद में स्थित खूबसूरत रानी दहरा वाटर फॉल सोमवार को सैलानियों के लिए पिकनिक नहीं, बल्कि एक भयावह त्रासदी का स्थल बन गया। दोपहर के बाद अचानक आए जलसैलाब ने वहां मौजूद लोगों को दहशत में डाल दिया, जब झरने में नहाने उतरे दो युवक तेज बहाव में बह गए। इनमें से एक की मौत हो चुकी है और दूसरे की तलाश जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतक की पहचान मुंगेली निवासी नरेंद्र पाल (45), पिता औतार सिंह के रूप में हुई है। उसका शव झरने से करीब 3 किलोमीटर दूर बरामद किया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मर्ग कायम किया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
लापता युवक की तलाश में जुटीं NDRF की टीमें : घटना के दौरान एक अन्य युवक को ग्रामीणों ने किसी तरह बचा लिया और उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। लेकिन इसी झरने में एक दूसरी चौंकाने वाली घटना भी सामने आई है।
मुंगेली से आए 30 लोगों के ग्रुप में से एक और युवक अचानक लापता हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उसे आखिरी बार ऊपरी झरने की ओर जाते हुए देखा गया था, जिसके बाद वह नदी की गर्जना में गुम हो गया।
अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। पुलिस और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन दिन ढलते ही अंधेरा बढ़ने लगा है, जिससे बचाव कार्य बाधित हो रहा है।
सवालों के घेरे में पर्यटन सुरक्षा व्यवस्था – रानी दहरा जलप्रपात में सुरक्षा उपायों की भारी कमी एक बार फिर मानव जीवन की कीमत चुका बैठी है। न तो सुरक्षा गार्ड तैनात थे, न ही कोई चेतावनी बोर्ड, और न ही बहाव के खतरे की पूर्व चेतावनी।
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही? – हर साल मानसून के दौरान रानी दहरा में जल स्तर बढ़ने की जानकारी के बावजूद प्रशासन की तैयारी नदारद रही। अब प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन के नाम पर खानापूर्ति में जुटा है, लेकिन ये सवाल पीछे छूटते नजर आ रहे हैं:
- क्या रानी दहरा जैसे संवेदनशील पर्यटन स्थल पर आपदा चेतावनी तंत्र लागू नहीं होना प्रशासन की घोर लापरवाही नहीं है?
- क्या स्थानीय प्रशासन मानव जीवन से अधिक पर्यटन राजस्व को प्राथमिकता दे रहा है?
रानी दहरा में प्रकृति की गोद में मौत का मातम पसरा है। जो कल तक परिवार के साथ मौज-मस्ती की उम्मीद लेकर आए थे, आज वे लाशें ढो रहे हैं या अपनों को खोजने की गुहार लगा रहे हैं।
यह घटना न सिर्फ एक हादसा है, बल्कि एक सिस्टम की विफलता की खुली किताब भी है। कब तक इस तरह के खूबसूरत स्थलों पर सैलानी मौत के मुंह में जाते रहेंगे?