युक्तियुक्तकरण नहीं, ये तो ‘युक्तिहीन तमाशा’ है साहब ! धरमजयगढ़ में नियम नहीं चलते, यहाँ बस केवल नेता चलता है…!
✍️ विशेष तीखा व्यंग्य : ऋषिकेश मिश्रा

रायगढ़। जिले के विकासखंड धरमजयगढ़ में शिक्षा विभाग या सर्कस का रंगमंच?
धरमजयगढ़ के मासूम स्कूलों में आजकल ‘शिक्षा’ नहीं, ‘शिकार’ होता है। यहाँ अगर आप कला विषय के जूनियर शिक्षक हैं, तो आप ‘विशेष बचे हुए’ हैं।
बाकियों का क्या?
उनका नाम हो चाहे अगनेयुस कुजूर हो या कांती बाई, अगर वो सीनियर हों, तो भी ‘अतिशेष’ घोषित किए जाएंगे।
क्यों?
क्योंकि धरमजयगढ़ में वरिष्ठता नहीं, सिफ़ारिश चलती है।
📍 केस-1: गनपतपुर — जहां ‘हिन्दी’ को हटा कर ‘कला’ का किला बचाया गया
प्रकरण:
- प्रधान पाठक: अगापित मिंज (कला) अतिशेष संरक्षण
- शिक्षक: राजू बेक (कला) – जूनियर
- अगनेयुस कुजूर (हिन्दी) – विषय में अकेला, फिर भी अतिशेष!
📌 अब आप सोचिए,
जब एक विषय (कला) में दो शिक्षक और एक प्रधान पाठक, फिर भी हिन्दी वाले को हटाया गया?
अरे भाई! ‘अगनेयुस’ हिन्दी का शिक्षक था, कोई ‘हिट पार्टी’ का सदस्य नहीं!
📍 केस-2: ससकोबा — तीन कला शिक्षक, और हटे वो जिसकी तारीख नियुक्ति सबसे पहले!
स्थिति:
- प्रधान पाठक — बचे! (चलो ठीक है)
- कांती बाई – नियुक्त: 10.10.2009
- मंजू रानी – नियुक्त: 01.07.2011 (जूनियर)
🧨 लेकिन क्या हुआ?
कांती बाई को हटा दिया गया, और रानी जी को बचा लिया गया!
क्योंकि शायद विभाग में नियम ये है:
“रानी कभी हार नहीं मानती — चाहे वो शिक्षा विभाग की हो या महलों की!”
🔥 और अब विभाग का मास्टरस्ट्रोक :
वीडियो कॉन्फ्रेंस में फरमान:
“जिन्हें जहाँ बिठा दिया गया है, वहीं बैठो — सवाल मत पूछो!”
“धनिया बो दिए हैं, अब नींबू की उम्मीद मत करो!”
🤹♂️ शिक्षा के नाम पर मज़ाक :
- अगनेयुस हटे, क्योंकि वो शायद नियम को सीरियसली लेते थे!
- राजू बेक बचे, क्योंकि वो शायद… ‘BEO के लिए बेकअप प्लान’ हैं!
- कांती बाई हटीं, क्योंकि उनका नाम वोट बैंक से मेल नहीं खाता?
🧾 शिक्षा विभाग का नया पाठ्यक्रम :
विषय | नया नाम |
---|---|
युक्तियुक्तकरण | चहेतायुक्तकरण |
वरिष्ठता | अवसरहीनता |
नियमानुसार प्रक्रिया | “धनिया बो” प्रक्रिया |
पदस्थापना | पगला-स्थान |
🥁 निष्कर्ष नहीं, न्याय का पोस्टमॉर्टम : धरमजयगढ़ की शिक्षा व्यवस्था आज सवाल नहीं पूछती, सिर्फ ‘बेक’ वालों को बचाती है, और बाकियों को बेकाबू बना देती है।
📣 अब ये सवाल उठाना जरूरी है :
क्या शिक्षा विभाग में अब “कला” का मतलब सिफारिश की कला हो गया है?
क्या युक्तियुक्तकरण अब ‘यू-टर्नयुक्तकरण’ बन चुका है?
📢 अंतिम पंच :
“यहां वरिष्ठता मायने नहीं रखती,
यहां सिर्फ वो मायने रखता है —
जो ‘धनिया बोने’ में दक्ष हो।”