मैनपाट के टाइगर पाइंट में आग का कहर! एक दर्जन दुकानें जलकर राख-हादसा या साजिश?

सरगुजा। छत्तीसगढ़ के मैनपाट स्थित टाइगर पाइंट में शनिवार रात आग ने भीषण तांडव मचाया। महज कुछ ही मिनटों में एक दर्जन से अधिक दुकानें जलकर राख हो गईं। गनीमत रही कि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, वरना घना जंगल भी इसकी चपेट में आ सकता था, जिससे विनाशकारी स्थिति बन सकती थी।
अचानक कैसे भड़की आग : स्थानीय लोगों के मुताबिक, आग झोपड़ीनुमा एक दुकान से उठी और तेजी से फैलती चली गई। देखते ही देखते लपटों ने पूरे बाजार को अपनी चपेट में ले लिया। जब तक ग्रामीण कुछ कर पाते, सबकुछ जलकर खाक हो चुका था। सवाल ये उठता है कि यह घटना महज एक हादसा थी या इसके पीछे किसी असामाजिक तत्व की साजिश थी?
आग का दायरा और संभावित तबाही : टाइगर पाइंट के पास जंगल का घना इलाका शुरू होता है। यदि आग वहां तक पहुंच जाती, तो गर्मी के मौसम में यह पूरे मैनपाट को लील सकती थी। वन विभाग और ग्रामीणों की मुस्तैदी से एक बड़ी त्रासदी टल गई, लेकिन सवाल यह उठता है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन के पास क्या ठोस रणनीति है?
पर्यटन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को झटका : मैनपाट पर्यटन का बड़ा केंद्र है, जहां छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों से सैलानी पहुंचते हैं। पर्यटकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने होटल, ढाबे और दुकानें खोल रखी थीं, जो इस आगजनी में जलकर बर्बाद हो गईं। यह घटना न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि पूरे पर्यटन व्यवसाय के लिए बड़ा झटका है।
कड़ी जांच और सुरक्षा इंतजामों की मांग : स्थानीय व्यापारी और ग्रामीण इस घटना को महज एक दुर्घटना मानने को तैयार नहीं हैं। वे इसे असामाजिक तत्वों की साजिश मान रहे हैं और प्रशासन से सख्त जांच की मांग कर रहे हैं। सवाल ये भी उठ रहा है कि मैनपाट जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
अब प्रशासन के सामने चुनौती : अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि पीड़ित व्यापारियों को राहत पहुंचाए और आगजनी की इस घटना की निष्पक्ष जांच करे। मैनपाट के टाइगर पाइंट जैसे महत्वपूर्ण स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं। क्या यह हादसा सच में महज एक संयोग था, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है? प्रशासन की जांच क्या हकीकत उजागर कर पाएगी?