अम्बिकापुर

मेहता प्वाइंट बना ‘मौत का मोड़’ : सुरक्षा इंतज़ाम ज़ीरो, 30 फीट गहरी खाई में गिर गई युवकों की कार, दो गंभीर…

सरगुजा। छत्तीसगढ़ के ‘शिमला’ कहे जाने वाले मैनपाट के प्रसिद्ध मेहता प्वाइंट पर मंगलवार दोपहर एक दर्दनाक हादसा हुआ। एक मारुति कार तेज रफ्तार में स्लिप होकर 30 फीट गहरी खाई में जा गिरी। कार में सवार चार युवकों में से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे ने न केवल पर्यटक सुरक्षा की पोल खोल दी है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि प्रशासन ने इस खूबसूरत लेकिन खतरनाक पर्यटक स्थल को ‘मौत के प्वाइंट’ में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

बारिश, रफ्तार और लापरवाही का मिला-जुला कहर : जानकारी के मुताबिक, अंबिकापुर निवासी विश्वजीत सिंह (23), गौरव (24) और उनके दो अन्य साथी मैनपाट की वादियों का लुत्फ उठाने पहुंचे थे। दोपहर करीब 2 बजे ये चारों मेहता प्वाइंट पर पहुंचे। इसी दौरान जब चालक ने कार रोकने के लिए ब्रेक मारा, तो लगातार बारिश के कारण फिसलन भरी मिट्टी में गाड़ी स्लिप हो गई। देखते ही देखते कार खाई में जा गिरी।

हादसे में कार एक पेड़ की डाल को तोड़ते हुए नीचे जा पहुंची और सामने का हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। चारों युवकों को स्थानीय लोगों ने बहादुरी से बाहर निकाला। दो युवकों को मामूली चोटें आईं, जबकि विश्वजीत और गौरव को गंभीर हालत में अंबिकापुर रेफर किया गया है।

कोई बैरिकेडिंग नहीं, कोई चेतावनी नहीं – प्रशासन क्यों मौन? – मेहता प्वाइंट, जहां यह हादसा हुआ, वहां कोई बैरिकेडिंग नहीं है। भारी बारिश में जब मिट्टी दलदली हो जाती है, तब सड़क से ज़रा भी उतरते ही वाहन फिसलने लगते हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने न तो चेतावनी बोर्ड लगाए हैं, न ही कोई फिजिकल बैरियर।

यह पहली बार नहीं है जब मैनपाट में इस तरह की दुर्घटना हुई हो। लेकिन हर हादसे के बाद जिम्मेदार विभाग ‘मौसम की मार’ या ‘तेज रफ्तार’ का बहाना बना कर पल्ला झाड़ लेता है। यह प्रशासनिक आपराधिक लापरवाही नहीं तो और क्या है?

पर्यटन को प्रमोट करने वाले मैनपाट में मौत क्यों आमंत्रित कर रही है सरकार? – सरगुजा संभाग के इस खूबसूरत स्थल को पर्यटन नक्शे पर उभारने के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन पर्यटक सुरक्षा पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया जाता।

  • कोई गार्ड नहीं
  • कोई मेडिकल इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम नहीं
  • कोई सुरक्षा गाइडलाइन नहीं

यह सवाल खड़ा होता है: क्या प्रशासन हादसे का इंतज़ार करता है, ताकि उसके बाद ‘समीक्षा बैठक’ और ‘दोषियों की पहचान’ का ड्रामा शुरू हो? 

इस हादसे को चेतावनी मानते हुए जनहित में माँग की जाती है कि :

  1. मेहता प्वाइंट समेत अन्य खतरनाक स्थानों पर सुरक्षा बैरिकेडिंग और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं
  2. पर्यटक सुरक्षा गार्ड की स्थायी तैनाती हो
  3. स्थानीय अस्पतालों में आपातकालीन सुविधा और 108 एम्बुलेंस स्टैंडबाय रखी जाए
  4. हादसों की जवाबदेही तय हो, और लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई हो

यह महज़ एक हादसा नहीं, सिस्टम की नाकामी की तस्वीर है : जब तक हम हादसों को ‘दुर्भाग्य’ कहकर टालते रहेंगे, तब तक न मेहता प्वाइंट सुरक्षित होगा और न पर्यटक। यह वक्त है जवाबदेही तय करने का। वरना अगली बार कोई हादसा किसी की जिंदगी की आख़िरी तस्वीर बन सकता है।

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