“मेडरमार में जल जीवन मिशन की टंकी नहीं, भ्रष्टाचार की मीनार खड़ी हो गई…!”
• लाखों की लागत, शून्य परिणाम -टंकी लीक, जल आपूर्ति ठप, अधिकारी मौन...

रायगढ़। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु चलाई जा रही जल जीवन मिशन योजना धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम मेडरमार में पूरी तरह विफल होती नजर आ रही है। लाखों रुपये खर्च कर बनाई गई पानी की टंकी आज तक गांववालों को एक बूंद पानी नहीं दे सकी। उल्टा, उसकी दीवारों से रिसता पानी भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर कर रहा है।
टंकी बनी ‘लीकेज मॉडल’, विकास की जगह बनी ग्रामीणों की बेबसी का प्रतीक :जल जीवन मिशन के अंतर्गत मेडरमार कॉलोनी में पीएचई विभाग द्वारा टंकी का निर्माण वर्षो पूर्व कराया गया। ठेकेदार ने प्रत्येक घर में नल कनेक्शन भी करवा दिए, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन नलों से आज तक एक बूंद भी पानी नहीं टपका।
टंकी में पानी भरते ही नीचे से तेज़ी से रिसाव शुरू हो जाता है, जिससे स्पष्ट होता है कि निर्माण में गम्भीर स्तर पर अनियमितताएं बरती गई हैं। नतीजतन, ठेकेदार अब टंकी में पानी भरने से भी डर रहा है।
ठेकेदार की लापरवाही अफसरों की चुप्पी – किसकी चल रही है मिलीभगत?….स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में ठेकेदार और पीएचई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, ताकि अधिक मुनाफा कमाया जा सके। विभाग को सब कुछ पता होने के बावजूद ना कोई जांच की गई, ना ही ठेकेदार पर कोई कार्रवाई हुई।
“अगर टंकी सही है, तो पानी क्यों नहीं आ रहा? और अगर टंकी लीक है, तो अब तक दोषियों पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई?” – ग्रामीण
ग्रामीणों में रोष – नल उखाड़ने लगे, प्रदर्शन की चेतावनी…पानी न मिलने से आक्रोशित ग्रामीण अब घर-घर से नल उखाड़ फेंक रहे हैं। उनका कहना है कि यदि अगले 15 दिनों में टंकी से जल आपूर्ति शुरू नहीं की गई, तो वे प्रशासनिक कार्यालयों का घेराव करेंगे और धरना प्रदर्शन करेंगे।
प्रशासन से बड़े सवाल – जवाब कौन देगा?…
- क्या सरकारी धन का दुरुपयोग कर ठेकेदार को बचाया जा रहा है?
- क्या टंकी निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की कभी जांच हुई?
- जल जीवन मिशन जैसी अहम योजना के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों?
- क्या अफसरों की लापरवाही के चलते शासन का पैसा बर्बाद हुआ?
धरमजयगढ़ की जनता पूछ रही है क्या हमारी प्यास की कीमत सिर्फ कमीशन है?…
मेडरमार की यह टंकी अब विकास की नहीं, भ्रष्टाचार और लापरवाही की प्रतीक बन चुकी है। शासन और प्रशासन को अब जवाब देना होगा वरना आने वाले समय में यह गूंज केवल धरमजयगढ़ में नहीं, रायगढ़ से लेकर राजधानी तक सुनाई देगी।