महासमुंद

महासमुंद :करणी कृपा स्टील एवं पॉवर प्लांट में नाबालिक श्रमिक कि मौत ; क्या प्रशासनिक लापरवाही बनी मौत कि वजह??…

महासमुंद। जिला मुख्यालय से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर 1000 करोड़ की लागत से स्थापित करणी कृपा स्टील एवं पॉवर प्लांट की शुरूआत 1 साल पहले ही हुई थी। इस एक साल के अंदर ही इस प्लांट में लगातार हादसे होते ही जा रहे हैं। इन हादसों में ढेरों गंभीर घायल होने के अलावा 3 मौतें भी हो चुकी हैं। यह घटना छत्तीसगढ़ में श्रमिकों की सुरक्षा और औद्योगिक मानकों के पालन में गंभीर लापरवाही को उजागर करती है। करणी कृपा स्टील एंड पावर प्लांट में लगातार हो रही दुर्घटनाएँ और अब नाबालिग श्रमिक की मौत, श्रम कानूनों के उल्लंघन और प्रबंधन की लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है।

मुख्य बिंदु :

  • नाबालिग श्रमिक का उपयोग : 18 वर्ष से कम उम्र के श्रमिकों से काम कराना भारतीय श्रम कानूनों के तहत अवैध है। यह प्रकरण बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का उल्लंघन करता है।
  • सुरक्षा मानकों की अनदेखी : प्लांट में श्रमिकों के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए, जो औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा अधिनियम का उल्लंघन है। नाबालिग अभिषेक वर्मा को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के 8 फीट गहरे गड्ढे में काम के लिए भेजा गया था।
  • प्रशासन की लापरवाही : श्रम विभाग और औद्योगिक सुरक्षा अधिकारियों की ओर से निरीक्षण में अनियमितता का यह मामला चिंताजनक है। यदि पिछले एक साल में यह समस्या मौजूद थी, तो समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
  • प्लांट प्रबंधन की जिम्मेदारी : प्लांट प्रबंधन पर गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने न केवल सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज किया, बल्कि एक अन्य मजदूर की मौत की जानकारी को दो महीने तक छुपाया।
  • कानूनी कार्रवाई की मांग : महासमुंद के विधायक और स्थानीय प्रशासन ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है, साथ ही मुआवजे की बात कही है। हालांकि, यह देखना होगा कि यह आश्वासन कितनी जल्दी और प्रभावी रूप से लागू होता है।

आवश्यक कदम :

  • दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई : प्लांट प्रबंधन, श्रम विभाग और सुरक्षा अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • नाबालिग श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा :  बाल श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए और दोषियों को सजा दी जाए।
  • सुरक्षा निरीक्षण और निगरानी : औद्योगिक सुरक्षा मानकों को लागू करने और नियमित निरीक्षण के लिए स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति की जानी चाहिए।
  • मुआवजा और पुनर्वास :  मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और अन्य श्रमिकों के लिए काम के सुरक्षित माहौल की गारंटी हो।

इस घटना ने औद्योगिक श्रमिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत को फिर से उजागर किया है।

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