“मग्गू सेठ” एक नाम, जो कानून को लात मारकर हँसता है, और प्रशासन गर्दन झुका लेता है…!

बलरामपुर। जब एक अपराधी खुलेआम घूमे, जब पीड़ित आत्महत्या करें, जब थाने शिकायतों से भर जाएं और फिर भी कोई गिरफ्तारी न हो तो यह समझ लेना चाहिए, कानून मर चुका है और उसका कातिल कोई और नहीं, बल्कि ‘मग्गू सेठ’ जैसे माफिया हैं!
नई FIR, नई मौत, मगर वही पुरानी चुप्पी : 06 मई को दर्ज FIR (क्रमांक 0103) सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि इस शासन की लाचारी का चार्जशीट है! मग्गू सेठ ने राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भईरा को इस हद तक डराया, धमकाया और ज़मीन हड़पने की कोशिश की कि उसने आत्महत्या कर ली।
अब भईरा की लाश चीख-चीख कर कह रही है “मुझे नहीं, सिस्टम को मार डाला गया है!”
15 साल का अपराध साम्राज्य, फिर भी पुलिस मौन, प्रशासन अंधा :
- हत्या, धोखाधड़ी, अपहरण, SC/ST उत्पीड़न, बलवा, बंधक बनाना…
- 10+ FIR, दर्जनों पीड़ित, कोर्ट में कई लंबित केस…
- और फिर भी एक भी दिन जेल में नहीं गया मग्गू सेठ!
क्यों? क्योंकि उसके पास “बोटी नुमा” पैसा है, जो प्रशासन की रीढ़ तोड़ देता है और अफसरों की आत्मा गिरवी रख लेता है।
सवाल नहीं, अब चार्जशीट जनता पढ़ रही है!
- जिला बदर की फाइल किसने रोकी?
- जांच की चाल क्यों धीमी पड़ी?
- भईरा की मौत के बाद भी एक भी अफसर बर्खास्त क्यों नहीं?
साफ है – सत्ता की छांव में पल रहा है अपराध !
और यह छांव सिर्फ पैसा नहीं, राजनीतिक गठजोड़ की गंदी दलाली से सींची गई है?…
ED को भी है मग्गू सेठ की काली कमाई का सुराग मगर गिरफ्तारी नहीं, संरक्षण जारी : PMLA के तहत मग्गू की संपत्ति अपराध से उपज मानी जा सकती है, मगर उसके पहले गिरफ्तारी होनी जरूरी है, और गिरफ्तारी वहीं रुकी है – जहाँ मग्गू के नोटों की गर्मी अफसरों की आत्मा जला चुकी है।
अब ED से भी सवाल है – कब तक लाशों का इंतजार?
भईरा की मौत नहीं, सिस्टम की हत्या हुई है!
- अब आदिवासी नहीं डरेगा, अब ग्रामीण चुप नहीं रहेगा।
- अब मग्गू की गिरफ्तारी मांग नहीं अल्टीमेटम है !
“मग्गू को अगर सिस्टम नहीं पकड़ सका, तो अब जनआंदोलन उठेगा!” या मग्गू गिरफ्तार होगा या तो पूरा तंत्र बेनकाब होगा!