रायपुर

भू-माफियाओं की शामत तय : छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित हुआ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2025, अब नहीं बिकेगी 5 डिसमिल से कम कृषि भूमि…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस संशोधन से प्रदेश में अवैध प्लाटिंग पर निर्णायक प्रहार होगा, साथ ही जमीन से जुड़ी वर्षों पुरानी कानूनी पेचीदगियों और दलाली के जाल पर सरकार ने सीधा वार किया है।

अब नहीं होगी टुकड़ों में खेती की सौदेबाज़ी : संशोधन के अनुसार, अब 5 डिसमिल (लगभग 0.05 हेक्टेयर) से कम कृषि भूमि की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। यह प्रतिबंध ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लागू होगा, जिससे अवैध प्लाटिंग और बेजा भू-विकास पर लगाम लगेगी। हालांकि, नगर निगम क्षेत्रों को इस नियम से फिलहाल बाहर रखा गया है, जिससे शहरी विकास को प्रभावित न किया जाए।

वारिसों के लिए खत्म हुआ ‘नामांतरण का नर्क’ : विधेयक का दूसरा बड़ा प्रावधान वारिसों और उत्तराधिकारियों को बड़ी राहत देता है। अब:

  • भू-स्वामी की मृत्यु के बाद जमीन का नामांतरण स्वतः वारिसों के नाम पर दर्ज हो जाएगा।
  • भू-स्वामी यदि जीवित है, तो भी वह अपने वारिसों के नाम पर जमीन दर्ज करा सकेगा, जिससे मृत्यु के बाद होने वाले पारिवारिक विवाद, रिश्वतखोरी और प्रशासनिक दौड़धूप से निजात मिलेगी।

सरकार की दो टूक : “भूमि व्यवस्था को पारदर्शी और आमजन के अनुकूल बनाएंगे” – राजस्व मंत्री ने विधेयक पेश करते हुए स्पष्ट कहा, “छत्तीसगढ़ में ज़मीन को लेकर दलालों, बिचौलियों और माफियाओं का खेल लंबे समय से चलता आ रहा था। यह विधेयक उसी गंदे खेल का अंत है। हम जनता को अधिकार देना चाहते हैं, उत्पीड़न नहीं।”

किसको लगेगा झटका?

  • अवैध प्लॉटिंग करने वाले बिल्डर और माफिया गिरोह
  • नामांतरण में दलाली करने वाले पटवारी और एजेंट लॉबी
  • छोटे टुकड़ों में ज़मीन खरीदने-बेचने वाले कालाबाजारी नेटवर्क

किसको मिलेगा लाभ?

  • सीधे वारिसों और ग्रामीणों को, जिन्हें अब कोर्ट-कचहरी की ज़रूरत नहीं होगी
  • ईमानदार भू-स्वामी, जो अब अपने जीते-जी ज़मीन अपने बच्चों के नाम कर सकते हैं
  • राजस्व विभाग, जो अब अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी काम कर सकेगा

इस संशोधन विधेयक के लागू होते ही छत्तीसगढ़ में भू-स्वामित्व व्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर गई है। यह केवल कानूनी प्रक्रिया में बदलाव नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, बिचौलियों और माफियातंत्र पर सीधा प्रहार है -एक ऐसा कदम, जिसे जनहित में क्रांतिकारी कहा जाएगा।

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस कानून को ज़मीन पर भी उतनी ही सख्ती से लागू करेगा, जितनी तेजी से इसे विधानसभा में पारित किया गया? जवाब भविष्य देगा, लेकिन संकेत साफ हैं, छत्तीसगढ़ अब अवैध प्लॉटिंग का गढ़ नहीं, पारदर्शी भू-प्रबंधन की मिसाल बनने जा रहा है।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!