बेमेतरा : साजा न्यायालय में गौसेवा के बहाने शासकीय राशि का गबन मामले में दोषियों के फैसले पर टिकी है निगाहें…

बेमेतरा। गौशाला संचालन की आड़ में गड़बड़ी करने वालों पर कोई गाज गिरेगी अथवा त्रुटिपूर्ण जांच की वजह से बच जाएंगे ? गौशाला संचालन की आड़ में लाखों रुपए की शासकीय अनुदान राशि का दुरूपयोग करने के बहुप्रतीक्षित प्रकरण की सुनवाई न्यायालय में हो चुकी है। पता चला है कि इसका फैसला शीघ्र ही आने वाला है। जिले के साजा स्थित एक न्यायालय में होने वाले फैसले पर लोगों की निगाहें लगी हुई है। ग्राम रानो के मयूरी गौशाला व गोडमर्रा के फूलचंद गौशाला संचालकों सहित 10 सहयोगियों के खिलाफ परपोड़ी थाना में 2017 में अपराध दर्ज हुआ था।
पुलिस ने पूरे मामले की पड़ताल के बाद मामला न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया था। राजपुर के शगुन गौशाला सहित उक्त दोनों गौशालाओं में बदइंतजामी के चलते हुई सैकड़ों गायों की मौत के बाद मामला प्रकाश में आया तो पशु पालन विभाग के उपसंचालक सहित चिकित्सों पर राज्य शासन कार्यवाही करते हुए तात्कालिन मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। ज्ञात हुआ था कि राज्य गौसेवा आयोग ने शगुन गौशाला को 93.64 लाख रुपए फूलचंद गौवंशो शाला गोडमर्रा को 50 लाख रुपए एवं मयूरी गौरक्षा केंद्र रानो को 22.64 लाख रुपए का अनुदान प्रदान किया था।
उक्त राशि के सदुपयोग के बजाय गायोें की खाल उतारकर प्रतिबंधित मांगुर मछलियों को चारा के रूप में खिलाने जैसा जघन्य अपराध उजागर होते ही धमधा इलाके सहित पूरे प्रदेश में हडकंप मच गया था। गौसेवकों ने उक्त प्रकरण में संचालकों पर गौशाला संचालन की आड़ में गौ तस्करी का भी आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के नरवा गरवा घुरवा बाड़ी छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी की बात का विरोध भाजपा ने जोरशोर से किया था, यही नहीं गौठान व गोबर खरीदी में हुए भ्रष्टाचार का आरोप मढते हुए छत्तीसगढ़ में पदस्थ भाजपा ने पिछले सरकार की योजना को बंद कर दिया है। अब देखना है कि पूर्व में भाजपा शासनकाल में ही हुए उक्त अनियमितता में न्यायालय क्या फैसला सुनाती है।