बिलासपुर हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी : साइबर आतंकवाद का नया चेहरा, न्यायपालिका पर सीधा हमला…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्याय व्यवस्था को उस समय गंभीर संकट का सामना करना पड़ा जब बिलासपुर हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी भरा एक ईमेल प्राप्त हुआ। इस धमकी से न्यायिक और सुरक्षा तंत्र में खलबली मच गई और इसने पूरी न्यायिक प्रणाली को एक नए खतरे से रूबरू करा दिया है। धमकी ‘मद्रास टाइगर्स फॉर अजमल कसाब’ नामक एक अज्ञात संगठन की ओर से आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कोर्ट परिसर में विस्फोटक लगा दिए गए हैं और यह जल्द ही विस्फोटित हो सकते हैं।
सुरक्षा तंत्र की घेराबंदी : धमकी मिलने के बाद, हाईकोर्ट परिसर में सनसनी फैल गई। समर वेकेशन के बाद कोर्ट कार्यवाही में लौट चुका था, जब अचानक यह खतरनाक ईमेल प्राप्त हुआ। ईमेल में लिखा गया था कि हाईकोर्ट परिसर में ‘अमोनियम सल्फर आधारित आईईडी’ लगाए गए हैं, जो किसी भी समय विस्फोट कर सकते हैं। यह धमकी इतनी गंभीर थी कि कोर्ट अधिकारियों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और पूरे परिसर को खाली कर दिया। जज, वकील, स्टाफ और पक्षकारों को तात्कालिक रूप से बाहर निकाला गया और पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया।
बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉड ने की जांच, लेकिन कुछ नहीं मिला : धमकी की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और बम निरोधक दस्ते (BDS) के अलावा डॉग स्क्वॉड को भी मौके पर तैनात किया गया। जांच के दौरान, कोर्ट परिसर के प्रत्येक हिस्से, गाड़ियों, कमरों, और पार्किंग क्षेत्रों को बारीकी से खंगाला गया। लगभग तीन घंटे तक चली इस जांच में कोई विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली, हालांकि इस दौरान कई सवाल उठे कि धमकी वास्तव में सिर्फ एक डराने की रणनीति थी या फिर कोई सशक्त साजिश।
संवेदनशील मुद्दों को लेकर धमकी, न्याय व्यवस्था को चुनौती : ईमेल के कथन ने इसे और भी खतरनाक बना दिया। भेजने वाले ने अजमल कसाब को दी गई फांसी, कुछ मुसलमानों की हिरासत और कथित अन्यायपूर्ण कार्रवाइयों का जिक्र करते हुए इस हमले को ‘पवित्र मिशन’ बताया। धमकी देने वाला व्यक्ति यह दावा कर रहा था कि भारतीय न्यायपालिका को सबक सिखाया जाएगा। यह संदेश सीधे तौर पर सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत था।
साइबर जांच और ATS सक्रिय, FIR दर्ज : बिलासपुर पुलिस ने तुरंत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ IPC और UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत प्राथमिकी दर्ज की और मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को सतर्क कर दिया। साइबर सेल इस ईमेल के स्रोत और आईपी एड्रेस की जांच कर रही है, और शुरुआती सूचना के अनुसार, यह ईमेल किसी विदेशी सर्वर से भेजा गया था। एसएसपी रजनेश सिंह ने मीडिया से कहा, “हमने प्राथमिक जांच पूरी कर ली है और किसी तरह का विस्फोटक नहीं मिला है, लेकिन हम इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं।”
सुरक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव, न्यायपालिका पर साइबर हमला : यह घटना केवल एक धमकी नहीं, बल्कि भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ साइबर आतंकवाद का खतरनाक चेहरा दिखाती है। हाईकोर्ट की सुरक्षा अब अभूतपूर्व रूप से सख्त कर दी गई है। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और परिसर में आने-जाने वाले हर वाहन की जांच की जा रही है। जजों और महत्वपूर्ण अधिकारियों को अस्थायी सुरक्षा कवच भी दिया गया है।
विशेषज्ञ इसे साइबर आतंकवाद का नया रूप मानते हैं, जो सीधे न्यायपालिका और संविधानिक संस्थाओं को निशाना बना रहा है। हालांकि यह धमकी झूठी साबित हुई, लेकिन इसने सुरक्षा एजेंसियों को एक नई चेतावनी दी है कि न्यायिक संस्थाएं भी अब आतंकियों और साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं। यह घटना अब यह सवाल खड़ा करती है कि क्या हम अपने न्यायिक तंत्र और संवैधानिक संस्थाओं को साइबर आतंकवाद के खतरे से पूरी तरह सुरक्षित रख पा रहे हैं?
गुनहगारों की तलाश जारी : इस सनसनीखेज घटना ने भारतीय सुरक्षा तंत्र को नई चुनौती दी है। अब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस धमकी के पीछे छिपे गुनहगारों को जल्द से जल्द बेनकाब किया जाए और उन्हें सख्त सजा दिलाई जाए।