बिलासपुर

बिलासपुर : जिस जांच अधिकारी के  कमजोर रिपोर्ट से आला अफसर बच निकले, उन्हें फिर से सौंप दी गयी पदोन्नति घोटाले के जांच की जिम्मेदारी…

बिलासपुर। तीन साल पहले शिक्षा विभाग में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति के मामले में जांच अधिकारी बनकर आए एनसीईआरटी के सहायक संचालक जेपी रथ को एक बार फिर से पदोन्नति में हुए घोटाले की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है।

पूर्व में हुई कमजोर जांच से फर्जी नियुक्ति में फंसे तत्कालीन सहायक संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी और एक बाबू साफ बच गए थे। दोनों अधिकारी को कोर्ट से राहत मिल गई और लिपिक का सिर्फ एक इंक्रीमेंट रोका गया था। ऐसे में पदोन्नति घोटाले की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं।

पदोन्नति के बाद तबादला और फिर संशोधन के बाद मनमुताबिक स्कूल में नौकरी करने के लिए बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए गुरुवार को राजधानी रायपुर से एनसीईआरटी के सहायक संचालक जेपी रथ को स्कूल शिक्षा विभाग ने जांच अधिकारी बनाकर बिलासपुर भेजा है। तीन साल पहले जिले में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति की शिकायत हुई थी। उस समय तत्कालीन डीईओ एसके प्रसाद, सहायक संचालक पी दासरथी और बाबू विकास तिवारी के खिलाफ नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोप लगे थे।

उस समय एनसीईआरटी के सहायक संचालक जेपी रथ को जांच अधिकारी बनाया गया था। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी। जांच में 14 नियुक्तियों को फर्जी पाया गया था। इसके बाद भी दोषियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट तैयार की गई, ताकि उन्हें आसानी से राहत मिल सके। भर्ती और आर्थिक अनियमितता का मामला होने के कारण एफआइआर दर्ज करानी थी। साथ ही रिकवरी की कार्रवाई होनी थी। अब तक मामले में एफआइआर नहीं हो सकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पदोन्नति व संशोधन घोटाले के रहस्य से पर्दा उठ पाएगा या नहीं।

शिक्षकों को भेजे गए पत्र में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि पूरी शिकायत उनके द्वारा लिखित में दी गई जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगा। पर यहां तो सब कुछ उलटा पुलटा होते दिखाई दिया। गोपनीयता के नाम पर शिक्षकों के साथ मजाक किया गया है। शिक्षकों के द्वारा दी जा रही लिखित जानकारी सीधे दागी अफसर एके प्रसाद ले रहे थे। शिक्षकों की लिखित शिकायत को न केवल ले रहे थे साथ ही पढ़ भी रहे थे और जहां प्रतिकूल टिप्पणी शिक्षकों के द्वारा की गई थी उसे सुधरवा भी रहे थे। बिलासपुर शिक्षा संभाग में हुए इस घोटाले की फाइल एक बार फिर खुल गई है। पदोन्नति के बाद 799 शिक्षकों का पदस्थापना आदेश फिर संशोधन को लेकर जेडी कार्यालय में रातों-रात कलम चलाई गई थी। संशोधन के खेल में लाखों का वारा-न्यारा भी हुआ। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। आखिर में राज्य शासन ने बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले को लेकर जेडी स्तर पर किए गए पदोन्नति के बाद पदस्थापना आदेश को रद कर दिया था। तब इस मामले में बड़ा बवाल भी मचा था।

600 शिक्षकों ने हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका : शिक्षकों के प्रमोशन के बाद पदस्थापना में बड़े पैमाने में हुए घोटाले के बाद राज्य शासन से पदस्थापना आदेश को रद कर दिया था। शासन के फैसले के खिलाफ 600 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई होने तक जिन शिक्षकों की जिस स्कूल में पदस्थापना आदेश जारी किया गया है वहीं पदस्थ रहने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी थी कि अगर शिक्षक रिलीव हो गए हैं तो ना ही नई जगह ज्वाइन कर सकेंगे और ना ही पुरानी जगह रिलीव ही रहेंगे।

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