बिलासपुर : जिला प्रशासन सांसद को बंगला आबंटित करना भूला…
◆ न्यायधानी के नए सांसद तोखन साहू को अब तक नही मिला शासकीय बंगला…सांसद रहते हुए अरुण साव को आबंटित हुआ बंगला आज तक नही हुआ खाली…
छत्तीसगढ़ की राजनीति में अब बंगले की चाहत की चर्चा जोरो पर है। ऐसा लगता है कि मंत्री जी को कई बंगलो की आवश्यकता है.सांय सरकार ने बड़े बड़े विभागों की भी जिम्मेवारी इन्ही मंत्री जी को दी हुई है। सूबे में भाजपा की सरकार को सुशासन की सरकार के नाम से जाना जा रहा है पर सुशसन का तात्पर्य आम जनता को अब तक समझ में नहीं आया। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी में नेताओ को सरकारी बंगले की आवश्यकता शायद कुछ ज्यादा ही न्यायधानी के नेहरू चौक में स्टेट बैंक के सामने वाली रोड पर बिलासपुर के सांसद स्व दिलीप सिंह जूदेव को एक बंगला एलॉट हुआ था। उसके बाद से उस बंगले को बिलासपुर के सांसद को देने की परिपाटी जिला प्रशासन ने शुरू ही कर दी थी.जूदेव जी के बाद बिलासपुर के सांसद बने अरुण साव को भी यही बंगला आबंटित हुआ।
वर्तमान में अरुण साव लोरमी के विधायक है साथ ही प्रदेश की सांय सरकार में उपमुख्यमंत्री है।इनके पास लोकनिर्माण विभाग की भी जिम्मेदारी है।उपमुख्यमंत्री को रायपुर सिविल लाइन में एक बड़ा बंगला भी आबंटित हो गया है। पर पूर्व में सांसद होने के नाते बिलासपुर में जो बंगला अरुण साव को आबंटित किया गया था उस बंगले को आज तक खाली नहीं किया गया है। आज भी सांसद के बंगले में उपमुख्यमंत्री जी ही काबिज है।
सूत्रों के अनुसार सांसद के बंगले में उपमुख्यमंत्री जी का कार्यालय संचालित हो रहा है। बकायदा बंगले के बाहर उपमुख्यमंत्री का नेम प्लेट भी लगा हुआ है ।अब बिलासपुर के नए सांसद तोखन साहू है उनको आज तक जिला प्रशासन ने बिलासपुर में बंगला आबंटित नहीं किया है।
न्यायधानी के सांसद मोदी सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री भी है। आखिर किस वजह से जिला प्रशासन ने बिलासपुर के सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री को अब तक बंगला आबंटित नहीं किया.इसको लेकर अब बहुत सी बाते भी उठने लगी है। आखिर सांसद के नाम से आबंटित होने वाला बंगला अब तक नए सांसद को क्यों नहीं दिया गया। इस मामले में कांग्रेस के लोगो का कहना था की राहुल गाँधी ने सांसदी जाते ही दिल्ली में मिले बंगले को खाली कर दिया था.पर हमारे बिलासपुर के पूर्व सांसद अरुण साव को जो बंगला मिला है उसमे आज तक काबिज है जो की सरासर गलत है।इनका कहना है की अब तो ये उपमुख्यमंत्री है इनको राजधानी में बंगला मिल चूका है फिर सांसदी के समय मिला बंगला ये किस आधार पर अब तक अपने पास रखे हुए है।सत्ता के नशे में यह लोग कुछ भी कर रहे है। जनता ही इनको सबका सिखाएगी।
इस मामले पर जब हमने लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजिनियर से बात की तो उनका कहना था की मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है.विभाग ईं ई को यह जानकारी हो।मैं आपको उनसे बात करके ही बता पाऊंगा.
कुल मिलाकर लोकनिर्माण विभाग के अफसरों को भी इस बंगले की वास्तविकता मालूम नहीं है।
मतलब की प्रदेश की सांय सरकार के उपमुख्यमंत्री अरुण साव को यह बंगला विभागीय मंत्री होने के नाते भी आबंटित नहीं हुआ है। यह बंगला उनको सांसदी के समय आबंटित हुआ था जो की उनको अब तक इस बंगले को नए सांसद के लिए खाली कर देना था पर आज दिनांक तक इस बंगले में वो ही काबिज है। वैसे उपमुख्यमंत्री का निजी आवास भी इसी शहर में है पर अब इतने बड़े पद में बैठे व्यक्ति को बंगला खाली करने का नोटिस भी कौन देगा? वैसे एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को स्वयं आगे बढ़कर यह बंगला खाली कर देना था। सरकारी बंगले को लेकर अब बहुत सी बाते न्यायधानी के चौक चौराहो में भी होने लगी है।