बिलासपुर

बिलासपुर : जहरीली शराब कांड पर प्रशासन की लीपापोती, पीड़ित परिवारों को अब तक नहीं मिला न्याय…

बिलासपुर। कोनी थाना क्षेत्र के लोफंदी गांव में जहरीली शराब पीने से हुई 9 मौतों ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया, लेकिन प्रशासन अब तक सच को छुपाने और मामले को दबाने में लगा हुआ है। जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी और लीपापोती ने पीड़ित परिवारों की तकलीफ को और बढ़ा दिया है।

प्रशासन की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी : घटना के बाद प्रशासन ने मौतों का कारण जहरीली शराब मानने से इनकार कर दिया और फूड पॉइजनिंग, सर्पदंश और कार्डियक अरेस्ट जैसी थ्योरी गढ़ दी। लेकिन सवाल उठता है कि अगर मौतों का कारण फूड पॉइजनिंग था, तो केवल उन्हीं लोगों की मौत क्यों हुई जिन्होंने महुआ शराब पी थी?

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर सवाल : सिम्स अस्पताल में भर्ती पवन कश्यप की रविवार सुबह मौत के बाद मृतकों की संख्या 9 हो गई। प्रशासन द्वारा जारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कार्डियक अरेस्ट को मौत का कारण बताया गया, लेकिन परिजन इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं। परिजनों का साफ कहना है कि यह प्रशासन द्वारा गढ़ी गई कहानी है, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों और शराब माफिया को बचाया जा सके।

चुनाव के चलते बढ़ी अवैध शराब बिक्री : गांव वालों का कहना है कि चुनावी मौसम में शराब की बिक्री बढ़ गई थी और प्रशासन की शह पर अवैध शराब का धंधा बेरोकटोक चल रहा था। इस मामले में अब तक किसी भी सरकारी अधिकारी या शराब माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई है।

मुआवजे के नाम पर धोखा : पीड़ित परिवारों ने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। उल्टा, प्रशासन के कुछ अफसर परिवारों पर दबाव बना रहे हैं कि वे इस मामले को ज्यादा तूल न दें।

गांव में आक्रोश, विरोध प्रदर्शन की चेतावनी : गांव वालों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि निष्पक्ष जांच और मुआवजा नहीं मिला तो वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यह गरीब और मजदूर तबके के लोगों की जान की कीमत पर माफियाओं और नेताओं का गठजोड़ फल-फूल रहा है।

प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है:

  1. अगर मौतें प्राकृतिक थीं, तो फिर बिसरा रिपोर्ट आने से पहले प्रशासन ने निष्कर्ष कैसे निकाल लिया?
  2. अवैध शराब कारोबारियों पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
  3. मृतकों के परिवारों को अब तक मुआवजा क्यों नहीं मिला?

लोफंदी गांव में हुई इस त्रासदी ने प्रशासन की नाकामी को उजागर कर दिया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई करेंगे या हमेशा की तरह गरीबों की मौत को नज़रअंदाज़ कर दिया जाएगा?

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