बहनाटांगर में स्वास्थ्य सेवाओं की दलाली! सरकारी योजनाओं को बेच रहे सिस्टम के दलाल ; शिकायतकर्ता संतोष यादव ने किया बड़ा खुलासा!…

पत्थलगांव। जब स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी और संवेदनशील चीज़ भी व्यापार बन जाए, तो समझ लीजिए कि व्यवस्था का रोग बेहद गहरा है।
ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला बहनाटांगर गांव से सामने आया है, जहां सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में मुफ्त सेवाओं के नाम पर पैसे की उगाही की जा रही है — वह भी पूरी बेशर्मी और बेफिक्री से।
क्या है पूरा मामला?
- बीपी और शुगर जांच के नाम पर 50 रुपये वसूले जा रहे हैं
- ABHA ID बनवाने के लिए 20 रुपये
- और सबसे चौंकाने वाली बात — TT (टिटनेस) इंजेक्शन के लिए 400 रुपये की मांग
यह सब सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में हो रहा है, उस केंद्र में जहां सेवा नि:शुल्क होनी चाहिए, और जनता के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी CHO (Community Health Officer) की होती है।
संतोष यादव की शिकायत ने खोली पोल : गांव के ही जागरूक नागरिक संतोष यादव ने इस मामले को सबसे पहले उजागर किया।
उन्होंने स्वयं BMO (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) को लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें यह साफ़ तौर पर बताया गया कि कैसे स्वास्थ्य सेवा के नाम पर खुलेआम वसूली की जा रही है।
👉 संतोष यादव की पहल ने वो काम किया, जो सालों से ग्रामीणों के मन में गुस्सा बनकर बैठा था – सिस्टम को आईना दिखा दिया।
केंद्र सरकार की नीतियों की उड़ती धज्जियाँ : भारत सरकार की ओर से 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए बीपी, शुगर और कैंसर की जांच पूरी तरह नि:शुल्क है।
ABHA ID (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता) बनाना जन-कल्याण योजना का हिस्सा है – इसके लिए एक रुपया तक नहीं लिया जाना चाहिए।
TT इंजेक्शन तो राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का अंग है – जिसका पैसा लेना कानूनी अपराध है।
तो बहनाटांगर में यह वसूली कौन कर रहा है? और किसके संरक्षण में?
CHO की गैरमौजूदगी : जिम्मेदारी या मिलीभगत? – स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र के CHO अक्सर गैरहाजिर रहते हैं।
👉 उनकी अनुपस्थिति में स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी किसके पास है?
👉 क्या उनकी जानकारी में यह सब हो रहा है?
👉 या फिर उनकी मौन सहमति इस लूट की सबसे बड़ी वजह है?
अगर CHO को सब कुछ पता है और वे चुप हैं, तो ये लापरवाही नहीं, संलिप्तता है।
BMO की चुप्पी और प्रशासन की नाकामी : शिकायत मिलने के बाद BMO ने जांच का आश्वासन जरूर दिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
- क्या यह मामला सिर्फ जांच के कागजों में ही घिसटता रहेगा?
- या प्रशासन दोषियों को कानूनी सज़ा देगा?
यदि जांच के नाम पर सिर्फ “रिपोर्ट बनाएंगे” और “देखेंगे” कहा जाएगा, तो ये लूट आगे भी जारी रहेगी।
जनता के सवाल, जिनका जवाब ज़रूरी है :
- जब सरकार कह रही है कि सेवाएं मुफ्त हैं, तो बहनाटांगर में पैसे क्यों लिए जा रहे हैं?
- 400 रुपये में बिकने वाला TT इंजेक्शन क्या अब गरीबों की पहुंच से बाहर हो चुका है?
- CHO और BMO जैसे अधिकारी क्यों मौन हैं?
- क्या बहनाटांगर सिर्फ शुरुआत है — क्या जिलेभर में ऐसा ही नेटवर्क सक्रिय है?
अब वक्त है कार्रवाई का, नहीं तो जन आक्रोश तय है : यह मामला सिर्फ बहनाटांगर की सेहत का नहीं, बल्कि पूरे जनस्वास्थ्य तंत्र की साख का सवाल है।
यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संदेश जाएगा कि
गरीबों की सेहत का सौदा इस सिस्टम में खुलेआम मंजूर है।
शिकायतकर्ता संतोष यादव ने बहादुरी से आवाज़ उठाई, लेकिन अब यह प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की परीक्षा है –
वे इस लूट को बंद करेंगे या अगले “संतोष” के इंतजार में आंखें मूंदे रहेंगे?
अब कार्रवाई चाहिए, न कि आश्वासन।
अब जवाब चाहिए, न कि जाँच के बहाने।
क्या शासन-प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा? या बहनाटांगर में “स्वास्थ्य माफिया” ऐसे ही लोगों की जान और जेब लूटते रहेंगे?